AI-generated image
ऑटो कंपनियों के लिए एक साल पहले हालात काफ़ी अलग थे. जैसे कि मारुति सुज़़ुकी ने सितंबर 2023 में ख़त्म हुई तिमाही में 80 फ़ीसदी का दमदार मुनाफ़ा दर्ज किया था. हालांकि, इसका काफ़ी श्रेय कोविड के बाद बढ़ी हुई मांग को जाता है. मगर एक साल बाद, मारुति का मुनाफ़ा सितंबर 2024 में ख़त्म हुई तिमाही (Q2 FY25) में 17 फ़ीसदी कम हो गया है. सुस्ती का ये ट्रेंड मारुति तक ही सीमित नहीं है. पूरी इंडस्ट्री में ऐसी ही गिरावट रही है. बाज़ार ने भी अपनी प्रतिक्रिया इसी प्रदर्शन के मुताबिक़ ही रही. BSE ऑटो इंडेक्स जिसने 2023 में सेंसेक्स की तुलना में 27 फ़ीसदी ज़्यादा रिटर्न दिया, लेकिन अब अपने सितंबर के ऊंचे स्तर (25 नवंबर, 2024 तक) से 14 फ़ीसदी नीचे है.
सुस्त होती रफ़्तार
महिंद्रा एंड महिंद्रा को छोड़कर, सभी बड़ी कंपनियों के लिए तिमाही कमज़ोर रही है
कंपनी | रेवेन्यू (YoY) | EBIT (अदर इनकम को छोड़कर) YoY | PAT (YoY) | मासिक आधार पर अक्तूबर में PV की सेल्स |
---|---|---|---|---|
महिंद्रा एंड महिंद्रा | 10.6 | 31.4 | 35.1 | 6.7 |
मारुति सुजूकी | 0.4 | -8.1 | -17.4 | 10.1 |
टाटा मोटर्स | -3.5 | -13.7 | -11.2 | 17.2 |
हुंडई मोटर | -8.3 | -12.1 | -16.5 | 8.7 |
PV यानि पैसेंजर व्हीकल डेटा FY25 की दूसरी तिमाही का है EBITयानि इंटरेस्ट और टैक्स से पहले की कमाई PAT यानि प्रॉफ़िट आफ्टर टैक्स |
क्या बदला ऑटो सेक्टर के लिए?
सुस्त मांग के चलते FY25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर 2024) में ऑटो सेल्स कमज़ोर रही है. इसकी कुछ वजह प्रतिकूल मौसम भी रहा. इस दौरान पैसेंजर व्हीकल (PV) की सेल्स में पिछले साल इसी अवधि में 6 फ़ीसदी की तुलना में केवल 0.5 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई. गाड़ियां कम बिकने के कारण गाड़ियां रिकॉर्ड स्तर पर बन कर बिना बिके खड़ी हैं. इंडस्ट्री की एक संस्था FADA (फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑटोमोबाइल डीलर्स असोसिएशन) के अनुसार यात्री वाहन डीलरों को सितंबर में 80-85 दिनों की सबसे ज़्यादा इन्वेंट्री लेवल का सामना करना पड़ा, जिसका मतलब है ₹79,000 करोड़ की 7.9 लाख गाड़ियां बिना बिके पड़ी थीं.
नतीजा, पिछली दो तिमाहियों में इंडस्ट्री के मार्जिन में कमी आई है. सुस्त मांग और कॉम्पिटीशन बढ़ने के जवाब में, कार कंपनियां क़ीमतों पर छूट दे रही हैं और ख़ूब प्रचार कर रही हैं (मिसाल - टाटा मोटर्स ने सितंबर में कुछ मॉडलों पर ₹2 लाख तक छूट पेश की). इसके चलते कंपनियों का मार्जिन और भी कम हुआ है. दौड़ में बने रहने के लिए ऑटो कंपनियां नए फ़ीचर अपने प्रोडक्ट में जोड़ रही हैं, इसमें नई टैक्नोलॉजी जोड़ना और सेफ़्टी के फ़ीचर बेहतर करना शामिल हैं.
ये भी पढ़िए - निफ़्टी टॉप 10 इक्वल वेट इंडेक्स कितने फ़ायदे का सौदा?
बड़ी ऑटो कंपनियों का क्या हाल है?
FY 2025 की दूसरी तिमाही में, टाटा मोटर्स की पैसेंजर व्हीकल (PV) की बिक्री में सालाना आधार पर 6.1 फ़ीसदी की गिरावट आई. इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट भी पीछे रह गया और इसके EV वॉल्यूम में सालाना आधार पर 16 फ़ीसदी की गिरावट आई. ये इसलिए भी अहम है, क्योंकि टाटा मोटर्स को EV में ख़ासा मज़बूत माना जाता है.
इस तिमाही में मारुति सुज़ुकी और हुंडई मोटर की घरेलू बिक्री में क्रमशः 4 और 6 फ़ीसदी की गिरावट रही.
महिंद्रा एंड महिंद्रा इस मामले में सबसे अलग रही. तिमाही के दौरान इसके ऑटो सेगमेंट की बिक्री (खेती के सेगमेंट से अलग) में 9 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई, जो इसके स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (SUV) की मज़बूत मांग के कारण हुई. लोकप्रिय मॉडलों पर छूट के कारण इसकी SUV की बिक्री में सालाना आधार पर 18 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई.
आउटलुक कैसा है
FY25 की पहली छमाही में इंडस्ट्री में सुस्ती देखने को मिली. लेकिन आगे हालात में सुधार देखने को मिल सकता है. दिसंबर तिमाही ऑटो कंपनियों के लिए अनुकूल रहने की संभावना है, क्योंकि पिछले महीनों में त्योहार की मांग और साल के अंत में इन्वेंट्री क्लीयरेंस की वजह से ऐसा होने की उम्मीद है.
अक्तूबर 2024 में पहले से ही अच्छी ग्रोथ के संकेत दिखाई दे रहे हैं, जिसमें पिछले महीने आए अच्छी मंथली सेल्स (ऊपर दी गई टेबल देखें) के आंकड़े शामिल हैं. FADA के अनुसार, 3 अक्तूबर से 13 नवंबर, 2024 के बीच लगभग 6 लाख पैसेंजर व्हीकल के रजिस्ट्रेशन हुए हैं, जो एक साल पहले की तुलना में 7 फ़ीसदी ज़्यादा हैं. इंडस्ट्री बॉडी उम्मीद है कि बिक्री बढ़ने के साथ ही इन्वेंट्री का स्तर घटेगा.
आने वाले महीने ख़ासे अहम होने जा रहे हैं. इस दौरान आपको पता चलेगा कि क्या सेल्स में दिख रही सुस्ती अस्थायी है या एक लंबी, ज़्यादा चुनौतीपूर्ण दौर की शुरुआत है.
डिस्क्लेमर: ये स्टॉक की सिफ़ारिश नहीं है. निवेश का कोई भी फ़ैसला लेने से पहले अच्छी तरह रिसर्च करें.
ये भी पढ़िए- Zomato vs Swiggy: किसमें निवेश बेहतर है?