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चार्ली मंगर की असली पूंजी

चार्ली मंगर की 'ग़रीबी' पर ऑनलाइन चर्चा चल रही है लेकिन निवेशकों के लिए इसका कोई मतलब नहीं

What is the true measure of Charlie Munger's wealth?AI-generated image

चार्ली मंगर की लिखी किताब जिसका शीर्षक है, "पुअर चार्लीज़ अल्मनैक: द विट एंड विज़डम ऑफ़ चार्ल्स टी. मंगर" में एक दिलचस्प विडंबना है. जहां इस किताब का शीर्षक बेंजामिन फ़्रैंकलिन के "पुअर रिचर्ड्स अल्मनैक" पर आधारित है, कुछ लोग कह सकते हैं कि इत्तेफ़ाक से शीर्षक के दो मायने निकलते हैं. हाल ही में, हेलिओस म्यूचुअल फ़ंड के CEO समीर अरोड़ा ने मंगर की $2.6 बिलियन की 'मामूली' (अपेक्षाकृत) संपत्ति को लेकर 'एक्स' पर एक दिलचस्प सवाल उठाया, ख़ासकर उनके पुराने साथी वॉरेन बफे़ की संपत्ति की तुलना में. पता चला कि बफ़े के मुक़ाबले, लोगों की उम्मीद के उलट, वो असल में पुअर चार्ली थे!

हालांकि, मुझे लगता है कि हम निवेशकों को चार्ली की ग़रीबी पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर देनी चाहिए. मंगर ने जो असली पूंजी खड़ी की वो सिर्फ़ मंगर की धन-संपत्ति में नहीं, बल्कि निवेशकों की कई पीढ़ियों को दी गई बौद्धिक पूंजी में है. जॉन टेम्पलटन के छोटे से वक्तव्य में मंगर के बताए निवेश सिद्धांतों पर नज़र डालें, जिसका ज़िक्र उसी एक्स पोस्ट में है कि निवेश के ये आठ नियम, कितने ही अरब डॉलर की दौलत से ज़्यादा क़ीमती हैं क्योंकि इनसे अनगिनत निवेशकों को दौलत बनाने में मदद मिली है. आइए देखें, आख़िर ये सिद्धांत इतना मायने क्यों रखते हैं.

सबसे पहले, मंगर ने विशेषज्ञता और अपनी 'क्षमता के दायरे' को समझने पर ज़ोर दिया है, जिसने कई निवेशकों को महंगी ग़लतियों से बचाया है. बॉबी फ़िशर के बारे में उनका क़िस्सा इस बात को बड़े शानदार तरीक़े से दिखाता है: जब उनसे पूछा गया कि शतरंज के चैंपियन को कैसे हराया जाए, तो उनका जवाब बहुत ही सरल था, 'शतरंज के अलावा किसी भी खेल में उनसे मुक़ाबला करवाओ.' इसका सबक़ क्या है? आप अपनी विशेषज्ञता के दायरे में ही रहें.

स्केल और ब्यूरोक्रेसी पर उनकी समझ आज और भी ज़्यादा प्रासंगिक है. उनकी चेतावनी थी कि 'बड़ा होना बेहतर नहीं है अगर ये नौकरशाही को जन्म देता है', उनकी इस बात से एक ऐसा कालातीत सत्य उजागर होता है जो तकनीकी दुनिया के दिग्गजों या सरकारी संस्थानों को समझने पर भी लागू होता है. ये समझ, निवेशकों को किसी संगठन में विकास में मौक़ों और ख़तरों दोनों को पहचानने में मदद करती है.

असल में, टेक्नोलॉजी और बिज़नस पर पड़ने वाले इसके असर के बारे में मंगर का नज़रिया समझदारी भरा था. उन्होंने इस बात को समझा कि टेक्नोलॉजी एक दोधारी तलवार है जो ग्राहकों या शेयरधारकों को मिलने वाले मुनाफ़े के आधार को लेकर या तो 'मदद कर सकती है या मार सकती है'. ये सिद्धांत आज के डिजिटल दौर में कहीं ज़्यादा प्रासंगिक हैं, जब टेक्नोलॉजी के बड़ी तेज़ी से होने वाले बदलाव, इंडस्ट्री के अर्थशास्त्र और प्रतिस्पर्धा में बड़ी तेज़ी से उलट-फेर कर सकते हैं. उनकी चेतावनी निवेशकों के लिए एक अहम सबक़ है कि कैसे टेक्नोलॉजी के बदलाव बिज़नस के सुरक्षा घेरे पर कैसे असर डालते हैं इसे लेकर निवेशकों को सावधानी से मूल्यांकन करना चाहिए.

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सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि जब संभावनाएं आपके पक्ष में हों तो 'अच्छी तरह से सोचे-समझे दांव' लगाने को लेकर मंगर की सलाह ने पोर्टफ़ोलियो मैनेजमेंट पर लोगों की सोच बदलने में मदद की है. ये सिर्फ़ अपने निवेश में डाइवर्सिटी या विविधता शामिल करने की बात नहीं है, बल्कि ऐसे दुर्लभ, असाधारण अवसर मिलने पर उनमें पैसा लगाने की बात है. जैसा कि उन्होंने कहा, 'बहुत ज़्यादा छूट पर एक अच्छा बिज़नस पाना मुश्किल है'--यही वजह है कि जब आपको ऐसा बिज़नस मिले तो आपको निर्णायक फ़ैसले लेने चाहिए.

वॉरेन बफे़ ने मंगर की सबसे महत्वपूर्ण सीख के तौर पर कहा कि क्वालिटी बिज़नस ख़रीदने के बारे में उनकी समझदारी, ख़ासतौर से ऐसे युग में दूरदर्शी साबित हुई है जहां अमूर्त संपत्तियां अक्सर भौतिक संपत्तियों से ज़्यादा मायने रखती हैं. इस सिद्धांत ने निवेशकों को ये समझने में मदद की कि असाधारण कंपनियों के लिए प्रीमियम का भुगतान करना औसत दर्जे की कंपनियों को लेकर सौदेबाज़ी करने के मुक़ाबले कहीं बेहतर नतीजे क्यों देता है.

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लंबे समय के निवेश को कैलुलेट करने की जो स्पष्टता वो लेकर आए, उसकी मिसाल उनके सहज स्पष्टीकरण में मिलती है कि कैसे टैक्स के लिहाज़ से बेहतर, कम-टर्नओवर वाला निवेश कंपाउंडिंग करता है. इसे लेकर उनका उदाहरण था कि दो निवेशकों को एक जैसा 15 प्रतिशत वाला सालाना रिटर्न मिलता है, लेकिन उस पर टैक्स अलग तरह से लागू होता है. एक निवेशक के पास ऐसा एसेट है जहां हर साल मुनाफ़े पर टैक्स लगता है (जैसे ब्याज की आमदनी पर), और दूसरे एसेट में केवल निवेश से बाहर निकलने पर ही टैक्स लगता है, जैसे म्यूचुअल फ़ंड पर कैपिटल गेन. ऐसा होने पर 30 साल बाद, दूसरे शख़्स के पास पहले वाले की तुलना में 2.5 गुना पैसा होगा.

इसलिए, जहां कुछ लोग अचरज में सवाल करेंगे कि मंगर का भाग्य और उनकी संपत्ति बड़ी क्यों नहीं थी, उनका सवाल ग़लत कहलाएगा. उनकी असली विरासत उनके कमाए अरबों डॉलर में नहीं, बल्कि उस ज्ञान में है जो उन्होंने लोगों के साथ साझा किया. अपने सिद्धांत, व्याख्यान और लेखन के ज़रिए, उन्होंने तर्क पर आधारित निवेश का एक रास्ता तैयार किया, जिसने अनगिनत लोगों का भाग्य बदलने में मदद की.

तो, चार्ली मंगर का योगदान सिर्फ़ उनकी संपत्ति से आंकना एक शिक्षक के असर को उनके वेतन से आंकने जैसा है. उनकी विरासत का असल मूल्य दूसरों को दिए ज्ञान, साझा की गई समझ और उन सिद्धांतों में छुपा है जो बरसों-बरस बाद भी निवेशकों को रास्ता दिखाते रहेंगे. ये एक ऐसी विरासत है जो किसी भी संपत्ति से कहीं ज़्यादा मायने रखती है.

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