अनुभवी निवेशक समझते हैं कि निवेश पोर्टफ़ोलियो बनाने के लिए अलग-अलग तरह के निवेशों में पैसे लगाना ज़रूरी होता है. इसे ही डाइवर्सिफ़ाई करना कहा जाता है. जहां इक्विटी (equity) अक्सर सुर्खियों में छाई रहती है, वहीं निवेश की संतुलित और लचीली स्ट्रैटजी के लिए डेट के विकल्प (debt instrument) भी उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं. आइए जानें, क्यों हमें फ़िक्स्ड-इनकम निवेश पर ध्यान देना चाहिए.
डेट इंस्ट्रूमेंट में निवेश के फ़ायदे
डेट इंस्ट्रूमेंट कई तरह के हैं, जिनमें से हरेक विकल्प एक अलग उद्देश्य पूरा करता है. जहां सरकारी सिक्योरटीज़ सुरक्षा देती हैं, वहीं फ़िक्स्ड डिपॉज़िट स्थिरता लाते हैं और उम्मीद के मुताबिक़ रिटर्न देते हैं. जहां तक डेट म्यूचुअल फंड की बात है तो ये पेशेवर मैनेजमेंट का अतिरिक्त फ़ायदा निवेशकों को पहुंचाते हैं.
अपने पोर्टफ़ोलियो में डेट निवेशों को शामिल करने से कई फ़ायदे हो सकते हैं. सबसे पहला और सबसे बड़ा फ़ायदा है कि ये पोर्टफ़ोलियो के रिस्क को कम कर सकता है. डेट में निवेश रेग्युलर इनकम भी दे सकते हैं, ख़ासतौर पर उन लोगों के लिए जो लगातार मिलने वाले कैश-फ़्लो की तलाश कर रहे हैं. ये एक आकर्षक विकल्प है; हालांकि, बाज़ार के उतार-चढ़ाव का इस पर असर रहता है. इनका इक्विटी मार्केट के साथ कम जुड़ाव होना निवेश में डाइवर्सिफ़िकेशन की एक और परत जोड़ देता है.
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डेट में कितना पैसा रखना चाहिए
पोर्टफ़ोलियो में डेट एलोकेशन का एक आदर्श प्रतिशत अलग-अलग निवेशक के लिए अलग होगा. आमतौर पर कंज़रवेटिव निवेशक स्थिरता के लिए डेट की ओर ज़्यादा झुकाव रखता है. जिन निवेशकों का नज़रिया बैलेंस बनाने का है वो इक्विटी का उतार-चढ़ाव कम करने के लिए डेट और इक्विटी एलोकेशन को मिला-जुला कर रख सकते हैं. और अग्रेसिव निवेशक भी रणनीतिक तौर पर डेट से फ़ायदा उठा सकते हैं, जो बाज़ार के नीचे जाने के दौरान उन्हें राहत दे सकता है.
कई दूसरे फ़ैक्टर भी एक सही डेट एलोकेशन तय करते हैं. निवेशक की उम्र और निवेश की अवधि भी इसमें महत्वपूर्ण हो सकती है. आमतौर पर, आप जैसे-जैसे रिटायरमेंट के क़रीब आते हैं, डेट में आपका निवेश (debt allocation) बढ़ सकता है. आपकी रिस्क सहने की क्षमता और निवेश का लक्ष्य भी डेट एलोकेशन तय करने में ज़रूरी भूमिका निभाते हैं. एक सवाल ये भी है कि आप ग्रोथ की तलाश में हैं या रेग्युलर इनकम की तलाश में? निवेश के पोर्टफ़ोलियो में कितनी इक्विटी रहे और कितना डेट इस पर फ़ैसला लेते समय मौजूदा आर्थिक परिदृष्य और ब्याज दर के रुझान पर भी ग़ौर करना चाहिए.
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डेट निवेश के लिए म्यूचुअल फ़ंड
ज़्यादातर निवेशकों के लिए डेट म्यूचुअल फ़ंड, फ़िक्स्ड-इनकम निवेश का एक ज़रिया बनते हैं. वे पेशेवर मैनेजमेंट और डाइवर्सिफ़िकेशन देते हैं. ब्याज दरों के गिरने पर डेट म्यूचुअल फ़ंड में निवेश बढ़ सकता है. हालांकि, ये रिस्क के बिना नहीं होता. ब्याज दर में उतार-चढ़ाव बॉन्ड की क़ीमतों पर असर डाल सकता है. क्रेडिट रिस्क चिंता की वजह हो सकता है, ख़ासकर कॉर्पोरेट बॉन्ड के साथ. महंगाई दर फ़िक्स्ड-इनकम रिटर्न की असल वैल्यू कम कर सकती है. कुछ डेट इंस्ट्रूमेंट्स लिक्विडिटी की कमी का सामना करने में भी मदद कर सकते हैं.
शॉर्ट-ड्यूरेशन डेट फ़ंड बढ़ती ब्याज दरों वाले माहौल में ब्याज दर का रिस्क कम करने में मदद मिल सकती हैं. बाज़ार की अलग-अलग स्थितियों में डेट अलग-अलग भूमिका निभाता है. ये पोर्टफ़ोलियो री-बैलेंस करने के लिए भी अहम होता है, जिससे आप बाज़ार में गिरावट के दौरान कम क़ीमत पर इक्विटी निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा, जब आपके पास इक्विटी में निवेश करने के लिए एकमुश्त रक़म होती है, तो आप इसे डेट फ़ंड में रख सकते हैं और धीरे-धीरे इसे STP (सिस्टमैटिक ट्रांसफ़र प्लान) के ज़रिए इक्विटी फ़ंड में ट्रांसफ़र कर सकते हैं ताकि बाज़ार ऊंच होने पर निवेश में उतरने के रिस्क को कम किया जा सके.
निवेश में डेट को लेकर क्या करें?
इन सभी बातों के बाद, डेट निवेश को हर पहलू से अपने पोर्टफ़ोलियो में शामिल करना ज़रूरी लगता है. ये स्थिरता देने के साथ-साथ, इनकम और रणनीतिक फ़ायदा देता है जो इक्विटी निवेश के पूरक के तौर पर काम करते हैं. अपने जीवन की परिस्थितियों और बाज़ार की स्थितियों में बदलाव के मुताबिक़ अपने डेट एलोकेशन की समय-समय पर समीक्षा करें और ज़रूरत पड़ने पर उसे एडजस्ट करें. याद रखें, पैसों से जुड़े अपने लक्ष्यों को पाना केवल ऊंचे रिटर्न के पीछे भागना ही नहीं है - ये एक संतुलित नज़रिया बनाए रखने की बात है जो बाज़ार के अलग-अलग साइकिल का सामना कर सकता है.
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