Anand Kumar
आज मैंने अपनी डॉक्टर वाली हैट पहन ली है, और अब बातचीत शुरू करते हैं. क्या आप शेयर बाज़ार की गिरावट को लेकर चिंतित हैं? मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं—चिंता की कोई वजह नहीं है. ये सच है, मैं मज़ाक नहीं कर रहा. किसी भी ठीक-ठाक लंबे समय में देखें--दो साल, तीन साल या उससे ज़्यादा--तो आप पाएंगे कि इक्विटी अच्छा रिटर्न दे रही है. मौजूदा स्थिति केवल एक सामान्य सा विराम है, जो सामान्य से कुछ लंबा हो सकता है, लेकिन इसमें असाधारण कुछ भी नहीं है.
सोचिए ज़रा: आख़िरी बार आपको असल में निवेश का नया ज्ञान कब सुनने को मिला था? मैंने निवेश और पर्सनल फ़ाइनांस पर लिखने में क़रीब तीन दशक बिताए हैं, और कभी-कभी, कुछ मौलिक रूप से नया कहे बिना ही साल बीत जाते हैं. हां, हमें चर्चा करने के लिए नई चीज़ें ज़रूर मिलती रहती हैं--कुछ अच्छी, कुछ बुरी, कुछ पूरी तरह से बेतुकी--लेकिन बुनियादी सिद्धांत बिना बदले वही बने रहते हैं. मिसाल के तौर पर, ईमु फ़ार्मिंग या क्रिप्टोकरेंसी को ही लीजिए. ये एक नई घटना के तौर पर सामने आए, लेकिन केवल पुराने सिद्धांत को ही मज़बूत किया: ऐसे निवेश से बचें जो कोई वास्तविक आर्थिक मूल्य पैदा नहीं करते.
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जब बाज़ार उतार-चढ़ाव से भरे दिखते हैं तो निवेश के कुछ कुछ मौलिक सत्य फिर से देखने की ज़रूरत होती है. ये नई जानकारियां नहीं हैं, बल्कि हम जो पहले से जानते हैं, उसी को मज़बूत करने वाली अहम बातें हैं. सबसे ज़्यादा ज़रूरी फ़ैक्टर आपके निवेश की टाइम-लाईन होता है. आप जिस भी ऐतिहासिक अवधि को या बाज़ार को चुनते हैं, उसे स्टडी करें और आप देखेंगे कि कोई गिरावट स्थाई नहीं होती, जबकि बाज़ार का ऊपर की ओर बढ़ना स्थायी होता है. हां, आमतौर पर रिकवरी में एक या दो साल लग जाते हैं, मगर कभी-कभी सिर्फ़ कुछ महीने ही लगते हैं. मंदी का बाज़ार केवल तभी समस्या से ग्रस्त होता है जब आपको किसी ख़ास समय पर और मूल्य पर पैसे निकालने के लिए मजबूर होना पड़ता है--लेकिन इक्विटी निवेश का तरीक़ा ये है ही नहीं.
कुछ लोग इस सोच में एक स्पष्ट खराबी की ओर इशारा कर सकते हैं: उन शेयरों के बारे में क्या जो कभी उबर ही नहीं पाते? 2008-2010 की गिरावट के बाद इंफ़्रास्ट्रक्चर शेयरों के बारे में सोचिए. लेकिन इसका जवाब सीधा है—ये क्वालिटी और डाइवर्सिफ़िकेशन पर निर्भर करता है. कोई एक शेयर स्थायी रूप से विफल हो सकता है, लेकिन एक सतर्क निवेशक या तो ऐसे रिस्क से बचता है या अपने रिस्क को सीमित करता है ताकि कोई भी विफलता गंभीर नुक़सान न पहुंचाए.
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अगर आप--टाइम लाईन और डाइवर्सिफ़िकेशन के साथ क्वालिटी--इन दो पहलुओं को सही से समझते हैं तो इतिहास में बाज़ार की हर गिरावट ख़रीदारी का मौक़ा ही होगी. ये भी कोई नई बात नहीं है. 2020 की शुरुआत के बारे में सोचें: सेंसेक्स 41,000 से गिरकर 30,000 से नीचे चला गया, फिर साल के अंत तक 47,000 तक बढ़ गया. आज ये कहना आसान है कि, "उस समय ख़रीदने की हिम्मत किसमें थी?" लेकिन याद रखें- उन महीनों में किए गए हर एक ट्रेड में एक बेचने वाला था और एक ख़रीदार था. ये ख़रीदार बाज़ार के सबसे चालाक खिलाड़ी थे, जो घबराहट को मुनाफ़े में बदल रहे थे. जैसा कि कहावत है, जब सड़कों पर ख़ून बह रहा हो, तब ख़रीदें.
मंदी के दौरान ख़रीदारी करने में एकमात्र वास्तविक चुनौती ये है कि निवेशक अक्सर अपने निवेश की शुरुआत को मन माफ़िक बनाने की बहुत ज़्यादा कोशिश करते हैं. मगर आप अतीत में किसी भी गिरावट को देखते हुए, सटीक तौर पर सबसे नीचे का स्तर चुनने पर ध्यान न दें. 2020 में, स्मार्ट निवेशकों ने मार्च, अप्रैल, मई और यहां तक कि जून और जुलाई में भी ख़रीदारी की. सही समय क्या है ये केवल पीछे मुड़ कर देखने पर ही पता चलता है - वास्तविक दुनिया में शुरुआत का कोई भी समय अच्छा ही होता है.
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सबसे बड़ी बात ये है कि ये मार्केट साइकिल ख़ुद को कैसे दोहराती हैं, फिर भी हम अक्सर उन सबक़ को भूल जाते हैं जो वे हमें सिखाते हैं. हर बार जब बाज़ार में गिरावट आती है, तो मीडिया विनाश की भविष्यवाणी करने लगती है, और कई निवेशक अपनी रणनीति पर सवाल उठाने लगते हैं. लेकिन आप इस सवाल पर सोचें - क्या बाज़ार में उथल-पुथल के दौरान अपने निवेश के प्लान को छोड़ देना कभी सही साबित हुआ है? इतिहास तो इसके बिल्कुल उलट कहता है. जो लोग अपनी सोची-समझी निवेश रणनीति पर टिके रहते हैं, SIP या व्यवस्थित तरीक़े से ख़रीद के ज़रिए नियमित निवेश बनाए रखते हैं, वे आमतौर पर ऐसे दौर से मज़बूत होकर उभरते हैं.
अगली बार जब आप बाजार की हेडलाइनों के बारे में चिंतित हों या बहुत बड़े संकट की भविष्यवाणियां सुनें, तो ख़ुद को ये बुनियादी सच्चाइयां याद दिलाएं. आपको जटिल रणनीतियों या क्रांतिकारी नए निवेश के सिद्धांतों की ज़रूरत नहीं है. आपको जिस चीज़ की ज़रूरत है, वो है अपने पाठ्यक्रम पर बने रहने का स्वभाव और बाज़ार की गिरावट देखने का ज्ञान, जैसा वो असल में है--एक यात्रा में अस्थायी झटके जो लगातार धैर्यवान, अनुशासित निवेशकों को पुरस्कार देते हैं. आख़िरकार, आप पहले से ही ये सब जानते थे--कभी-कभी, हमें बस एक छोटे से रिमाइंडर की ज़रूरत होती है जो हम पहले से ही जानते हैं.
तो, अब आप आज के मार्केट की स्थिति के बारे में कैसा महसूस कर रहे हैं? जैसा कि मैंने शुरू में कहा, ये सब आप पहले से ही जानते हैं - कभी-कभी, हमें बस एक छोटे से रिमाइंडर की ज़रूरत होती है.
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