भारतीय परिवारों में बचत पारंपरिक रूप से मौजूद रहा है. मगर ये अब है कि निवेश का चलन भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है. एक समय था जब लोग सिर्फ़ फ़िक्स्ड डिपॉज़िट और सोने में ही निवेश को सुरक्षित मानते थे, लेकिन आज म्यूचुअल फ़ंड और स्टॉक्स में निवेश का आकर्षण तेज़ी से बढ़ा है. पिछले कुछ सालों में भारतीय म्यूचुअल फ़ंड इंडस्ट्री ने ₹42 लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर लिया है. इसका मतलब है कि लोग अब पारंपरिक निवेश के अलावा दूसरी निवेश योजनाओं की तरफ़ रुख़ कर रहे हैं. ये लेख इसी सवाल पर आधारित है जो अक्सर लोग इंटरनेट पर या अपने जानने वालों से पूछते हैं कि क्या यही सही समय है म्यूचुअल फ़ंड और स्टॉक में निवेश करने का और अगर हां, तो शुरुआत कैसे की जाए.
जहां तक समय का ताल्लुक़ है, तो ये कहावत इस सवाल पर फ़िट बैठती है कि निवेश का सबसे सही समय कल था और दूसरा सबसे सही समय आज है. इसके अलावा शुरुआत के सवाल पर हम यहां कुछ विस्तार से बात करेंगे कि निवेश के कारण और इसकी शुरुआत कैसे की जाए.
महंगाई को मात देने का ज़रिया
महंगाई (Inflation) हर साल हमारे पैसों की क़ीमत को कम कर देती है. मिसाल के तौर पर, अगर आज आपके पास ₹1 लाख हैं, तो 10 साल बाद उनकी वैल्यू उतनी ही नहीं रहेगी. स्टॉक और म्यूचुअल फ़ंड में निवेश एक ऐसा ज़रिया है जो महंगाई को मात देकर आपके पैसे को बढ़ाने में मदद कर सकता है.
मान लीजिए आप ₹1 लाख को 7% ब्याज पर FD में रखते हैं. 10 साल बाद आपके पैसे बढ़कर क़रीब ₹2 लाख हो जाएंगे. लेकिन वही पैसे अगर आप स्टॉक या म्यूचुअल फ़ंड में 12% वार्षिक वृद्धि पर लगाते हैं, तो ये बढ़कर ₹3 लाख से ज़्यादा हो सकते हैं. इस तरह, महंगाई से बचने के लिए स्टॉक और म्यूचुअल फ़ंड में निवेश महत्वपूर्ण है.
लॉन्ग-टर्म निवेश का महत्व
स्टॉक मार्केट या म्यूचुअल फ़ंड में निवेश का सबसे बड़ा फ़ायदा लॉन्ग-टर्म में देखने को मिलता है. इसका मतलब है कि अगर आप निवेश करने के बाद धीरज के साथ लंबे समय तक उसे बढ़ने का मौक़ा देते हैं, तो रिटर्न भी बेहतर मिलते हैं.
एक किसान के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है. किसान आज एक बीज बोता है, लेकिन फल की उम्मीद तुरंत नहीं करता. उसे पता है कि फसल पकने में समय लगेगा. निवेश भी कुछ ऐसा ही है; इसे समय दीजिए और अच्छे रिटर्न की उम्मीद रखिए.
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म्यूचुअल फ़ंड के प्रकार और सही चुनाव
म्यूचुअल फ़ंड कई तरह के होते हैं, जैसे इक्विटी फ़ंड (equity fund), डेट फ़ंड (debt fund), हाइब्रिड फ़ंड (hybrid fund) आदि. हर फ़ंड का उद्देश्य अलग होता है, और ये आपकी ज़रूरत और अपने निवेश के पैसे के साथ रिस्क उठाने की क्षमता के मुताबिक़ चुने जाते हैं.
अगर आप अपनी पूंजी को धीमी रफ़्तार से लेकिन सुरक्षित तरीक़े से बढ़ाना चाहते हैं, तो डेट फ़ंड आपके लिए सही विकल्प हो सकता है. वहीं अगर आप थोड़ा रिस्क उठा सकते हैं और अच्छे रिटर्न की चाहत रखते हैं, तो इक्विटी फ़ंड में निवेश करना बेहतर रहेगा.
SIP से निवेश की शुरुआत
SIP यानी सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान एक तरीक़ा है जिससे आप थोड़े-थोड़े पैसे हर महीने म्यूचुअल फ़ंड में निवेश कर सकते हैं. ये उन लोगों के लिए ख़ासतौर पर बड़े काम का है जो बड़ी रक़म एक साथ निवेश नहीं कर सकते.
मान लीजिए आप हर महीने ₹5000 की SIP से निवेश करते हैं. ये छोटी-छोटी क़िश्तों में आपकी निवेश यात्रा को आसान बनाता है और आपको बाज़ार के उतार-चढ़ाव के असर से भी बहुत हद तक बचाता है. SIP की ख़ासियत ये है कि इसमें आप अनुशासन के साथ निवेश करते हैं और लंबे समय में अच्छे रिटर्न हासिल कर सकते हैं.
स्टॉक में डायरेक्ट निवेश बनाम म्यूचुअल फ़ंड
स्टॉक में डायरेक्ट निवेश करना थोड़ा जोख़िम भरा हो सकता है क्योंकि इसके लिए आपको मार्केट की अच्छी समझ होनी चाहिए. म्यूचुअल फ़ंड के ज़रिए आप स्टॉक मार्केट में निवेश कर सकते हैं, जिसमें एक पेशेवर फ़ंड मैनेजर आपका निवेश संभालता है.
मान लीजिए आप अपनी आमदनी का एक हिस्सा सीधे किसी कंपनी के शेयर में लगाते हैं. अगर कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो आपको मुनाफ़ा मिलेगा. लेकिन अगर कंपनी का प्रदर्शन गिरता है, तो नुक़सान भी हो सकता है. वहीं म्यूचुअल फ़ंड में एक्सपर्ट की मदद से कई कंपनियों में आपका निवेश बंटा होता है, जिससे जोख़िम कम होता है. इसके अलावा फ़ंड में आपको ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा मिल सके इसके लिए फ़ंड ही आपके पैसे को एक जगह से दूसरी जगह लगाता है. मगर वहीं, आप एक स्टॉक निवेश से पैसा निकाल कर दूसरे स्टॉक में लगाएंगे तो आप पर मुनाफ़े को लेकर टैक्स की देनदारी भी होगी.
स्टॉक और म्यूचुअल फ़ंड में निवेश कब करें?
कई लोग सोचते हैं कि बाज़ार में गिरावट के समय ही निवेश करना सही होता है. हालांकि, किसी भी समय शुरुआत की जा सकती है, बस आपको अपने फ़ाइनेंशियल प्लान और अपने लक्ष्य को ध्यान में रखना चाहिए. नियमित और अनुशासित निवेश लंबे समय में अच्छे नतीजे देते हैं.
मान लीजिए आप बाज़ार के सही समय का इंतज़ार करते हैं और इस दौरान निवेश नहीं करते. इस इंतज़ार में आप अच्छे रिटर्न का एक मौक़ा गंवा सकते हैं. इसलिए किसी भी समय सही प्लान के साथ निवेश शुरू करना फ़ायदेमंद हो सकता है.
निवेश के लिए मानसिकता और अनुशासन का महत्व
निवेश में सबसे ज़रूरी चीज़ है अनुशासन और मानसिकता. अक्सर लोग छोटे-छोटे नुक़सानों से घबराकर निवेश से बाहर निकल जाते हैं, लेकिन असली रिटर्न पाने के लिए धैर्य और अनुशासन बनाए रखना ज़रूरी है.
आख़िर एक माली पौधा लगाने के बाद उसकी देखभाल करता है, उसे पानी देता है, लेकिन हर दिन उसे उखाड़कर तो नहीं देखता कि उसकी जड़ें कितनी बढ़ी हैं. इसी तरह, निवेश के बाद संयम बनाए रखना चाहिए और उसे समय देना चाहिए.
अपने स्टॉक या म्यूचुअल फ़ंड निवेश को लेकर आप क्या करें?
स्टॉक और म्यूचुअल फ़ंड में निवेश महंगाई को मात देने और धन को लंबे समय में बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण तरीक़ा है. इसके ज़रिए आप अपनी फ़ाइनेंशियल फ़्रीडम की राह पर क़दम बढ़ा सकते हैं. हालांकि, हर निवेश के साथ रिस्क भी जुड़ा होता है, लेकिन सही प्लानिंग और अनुशासन के साथ इसे क़ाबू में रखा जा सकता है.
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