मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फ़ंड अपने पूरे शबाब पर हैं. ये उनके बढ़ते एसेट बेस में दिखाई देता है, जो पिछले साल में 138 फ़ीसदी की शानदार बढ़ोतरी के साथ क़रीब ₹1 लाख करोड़ तक पहुंच गया है (सितंबर 2024 तक), जिसमें नौ नए फ़ंड (NFOs) शामिल हैं, जिन्होंने इस साल ₹7,700 करोड़ जुटाए. इसके अलावा, इन फ़ंड्स ने इसी अरसे में 25 फ़ीसदी का शानदार रिटर्न भी दिया, जिसने उनकी अपील और भी बढ़ा दी है.
निवेशकों के बीच बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए, हमें लगा कि यही सही वक़्त है मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फ़ंड को समझने का. तो, बिना देर किए, आइए इस अनालेसिस में गहराई से उतरते हैं.
मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फ़ंड क्या हैं?
मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फ़ंड हाइब्रिड फ़ंड होते हैं जो अपने इन्वेस्टमेेंट को कम-से-कम तीन एसेट क्लास में फैलाते हैं और हर एक क्लास में कम-से-कम 10 फ़ीसदी निवेश रखते हैं. ये एसेट क्लास हैं - स्टॉक (stocks), डेट (debt), सोना और चांदी वगैरह. ये फ़ंड रियल एस्टेट, आर्बिट्राज़ (arbitrage) और इंफ़्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvITs) में भी निवेश कर सकते हैं. इस तरह के डाइवर्स रुख़ के साथ मल्टी-ऐसेट फ़ंड, म्यूचुअल फ़ंड निवेशों के स्विस आर्मी के चाकू की तरह काम करते हैं. इन फ़ंड्स की इस इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी से निवेशकों को एक लचीला और हरफ़नमौला फ़ंड मिल जाता है.
मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फ़ंड की एलोकेशन स्ट्रैटजी क्या है?
हालांकि मल्टी-ऐसेट फ़ंड्स को अपनी रक़म का कम-से-कम 10 फ़ीसदी तीन एसेट क्लास में निवेश करना ज़रूरी है, लेकिन इसके आगे उनकी एलोकेशन स्ट्रैटजी बहुत डायनैमिक हो सकती है. मिसाल के लिए, उनकी शेयरों में हिस्सेदारी 10 से 80 फ़ीसदी के बीच हो सकती है.
जबकि इस कैटेगरी का एवरेज शेयर एलोकेशन, मौजूदा समय में 56 फ़ीसदी है, कुछ फ़ंड, जैसे कि एडेलवाइज़ मल्टी एसेट एलोकेशन फ़ंड, प्रभावी रूप से ज़ीरो नेट इक्विटी एक्सपोज़र बनाए रखते हैं. इसके उलट, दूसरे फ़ंड्स में 20-30 फ़ीसदी बिना हेजिंग वाला इक्विटी निवेश होता है, और कुछ 60-70 फ़ीसदी तक भी जाते हैं (हेजिंग यानी, ऐसा निवेश जो नुक़सान बचाने का उपाय न किया गया हो).
ये डाइवर्सिटी दिखाती है कि सभी मल्टी-ऐसेट फ़ंड में किसी एक ही तरह की रणनीति का पालन नहीं किया जाता. ये समझना भी अहम है कि आपके निवेश की रक़म का कितना हिस्सा स्टॉक, डेट और सोने में लगा है. पहले से तय किए एलोकेशन वाले फ़ंड्स को चुनने से आपको निवेश से पहले ही उसके रिस्क को बेहतर तरीक़े से समझने में मदद मिल सकती है.
मल्टी-ऐसेट फ़ंड्स को सोना कैसे चमकाता है
अब तक, हममें से ज़्यादातर लोग जानते हैं कि कि सोना बाज़ार की अनिश्चितताओं के खिलाफ़ एक सुरक्षित ठिकाना है. जब बाज़ार में उथल-पुथल होती है, तो ये चमकीली धातु आमतौर पर ऊपर की तरफ़ जाती है. चूंकि मल्टी-ऐसेट फ़ंड्स का कुछ हिस्सा सोने में होता है, इसलिए आर्थिक मंदी के दौरान अपने समकक्षों के मुक़ाबले ये कम गिरते हैं. मिसाल के तौर पर, मार्च 2020 में कोविड-19 मार्केट क्रैश के दौरान, एग्रेसिव हाइब्रिड और फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड, क्रमशः 19 और 29 फ़ीसदी गिर गए. इसके उलट, एक एवरेज मल्टी-ऐसेट फ़ंड 14 फ़ीसदी गिरा, जो इसकी बेहतर स्थिरता देने की ख़ूबी दिखाता है.
आप कह सकते हैं कि कोविड के बाद की रैली में, इन फ़ंड्स ने सबसे कम प्रदर्शन किया है, 2021 की शुरुआत से 16 फ़ीसदी की सालाना रिटर्न के साथ, जबकि एग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड्स का रिटर्न 17 फ़ीसदी और फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड्स का 20 फ़ीसदी रहा है. इसकी अहम वजह मल्टी-ऐसेट फ़ंड्स का कम शेयर एलोकेशन है.
अगर आप सोने में निवेश करने की तमन्ना रखते हैं, तो अपने पोर्टफ़ोलियो में सरकारी गोल्ड बॉन्ड (SGBs) शामिल करने के बारे में सोचें. ये न सिर्फ़ सोने के निवेश का सबसे सुरक्षित तरीक़ा हैं, बल्कि मैच्योरिटी पर टैक्स फ़्री रिटर्न और सोने की क़ीमत के अलावा 2.5 फ़ीसदी का सालाना ब्याज भी देते हैं.
तो, क्या मल्टी-एसेट फ़ंड आपके लिए सही हैं?
मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फ़ंड को अपने पोर्टफ़ोलियो में जोड़ने का फ़ैसला आपके निवेश के नज़रिए पर टिका है. अगर आप अपने पोर्टफ़ोलियो को रिबैलेंस करने की परेशानी से बचना चाहते हैं, डायनैमिक एलोकेशन में सहज हैं या निवेश में नए हैं, तो मल्टी-एसेट फ़ंड एक सुविधाजनक एंट्री प्वाइंट हो सकते हैं.
लेकिन, अगर आप एक ज़्यादा एक्टिव निवेशक हैं जो खास फ़ंड्स के साथ रिटर्न ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, तो ख़ुद करने का तरीक़ा बेहतर होगा. आख़िर, आपको ऐसा एसेट एलोकेशन चुनना चाहिए जो आपके फ़ाइनैंशियल गोल और रिस्क लेने की क्षमता से मेल खाता हो.
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