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मार्केट को टाइम करने का झूठा विकल्प बनाम वैल्यू की तलाश

उम्मीद और डर, या फिर शांत विश्लेषण? विकल्प साफ़ है

मार्केट को टाइम करने का झूठा विकल्प बनाम वैल्यू की तलाशAnand Kumar

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कुछ समय पहले, मुझे नियमित तौर पर पढ़ने वाले एक पाठक का ईमेल मिला जिसने मुझे इक्विटी निवेश के बारे में हमेशा व्यक्त की गई मेरी कुछ मान्यताओं के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया. मेरे इस मित्र ने निवेश के बारे में मेरे द्वारा बरसों से बताए गए ज्ञान में एक स्पष्ट विरोधाभास की ओर इशारा किया. "आप हमेशा कहते हैं कि हमें कभी भी मार्केट को टाइम नहीं करना चाहिए. आप ये भी कहते हैं कि हमें ओवरवैल्यूड स्टॉक नहीं ख़रीदने चाहिए. हालांकि, हम ये नहीं देख रहे हैं कि मार्केट ऊपर है या नीचे, ऐसे में हम वैल्यूएशन के आकर्षक होने का इंतज़ार कर रहे हैं? क्या ये एक ही बात नहीं है?"

मुझे इस तरह के सवाल मिलना वाक़ई पसंद है. ये दिखाते हैं कि कोई व्यक्ति इस बारे में गहराई से सोच रहा है कि उसे क्या करना चाहिए. वे हमें अपने नज़रिए की जांच करने और निवेश रणनीति का वास्तविक स्वभाव जानने के लिए मजबूर करते हैं. निवेश करने और उसके बारे में लिखने के तीन दशकों के बाद, मैंने सीखा है कि सतह पर जो बात विरोधाभासी लगती है, वो अक्सर अंदर से एक ज़्यादा परिष्कृत और उपयोगी सत्य को उजागर करती है.

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तो, आइए इस कथित विरोधाभास की जांच करें. जब मैं लोगों से मार्केट को टाइम न करने के लिए कहता हूं, तो मैं उस चीज़ के ख़िलाफ़ चेतावनी दे रहा हूं जिसे कोई 'मार्केट एस्ट्रोलॉजी' कह सकता है - ये विश्वास लुभावना है कि हम भविष्यवाणी कर सकते हैं कि क़ीमतें अगले हफ़्ते या अगले महीने बढ़ेंगी या घटेंगी या हम मार्केट की चाल के सबसे ऊपर होने या सबसे नीचे होने को सटीक तरीक़े से पकड़ सकते हैं और इस तरह करोड़ों कमा सकते हैं. मैंने बहुत से निवेशकों को इस विश्वास में पैसा खोते (या मौक़े गंवाते) देखा है कि ऐसा किया जा सकता है.

लेकिन निवेशकों को इस बारे में सोचना चाहिए: अलग-अलग स्टॉक चुनते समय वैल्यूएशन को लेकर सजग रहना एक पूरी तरह से अलग मुद्दा है. इसे इस तरह से सोचें: मैं ये दावा नहीं कर रहा हूं कि मैं भविष्यवाणी कर सकता हूं कि कोई ख़ास स्टॉक अपने अगले शिखर या निचले स्तर पर कब पहुंचेगा, लेकिन मैं इसके मूल सिद्धांतों, इसके P/E और इसकी ग्रोथ की संभावनाओं को देख सकता हूं और इस बारे में तर्कसंगत फ़ैसला ले सकता हूं कि क्या इसकी मौजूदा क़ीमत सही है. यहां कोई विरोधाभास नहीं है.

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मैं इन दो अवधारणाओं के पीछे के मनोविज्ञान पर चर्चा करने जा रहा हूं क्योंकि यहीं पर कई निवेशक अपनी गलतियां करते हैं. जब हम मार्केट को टाइम करने की कोशिश करते हैं, तो हम अक्सर भावनाओं के आधार पर काम करते हैं - जब क़ीमतें बढ़ रही होती हैं तो चूक जाने का डर या जब वे गिर रही होती हैं तो घबराहट. ये एक प्रतिक्रियाशील मानसिकता है, जहां मार्केट की गतिविधियों के बारे में हमारी भावनाएं हमारे तर्कसंगत निर्णय को ख़त्म कर देती हैं. हर रोज़ की प्राइस शीट तनाव का कारण बन जाती है, और हर ख़बर की हेडलाइन तत्काल कार्रवाई की मांग करती है.

इसके विपरीत, वैल्युएशन पर आधारित निवेश के लिए पूरी तरह से अलग मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण की ज़रूरत होती है. यहां, हम एक बिज़नस के मालिक (जो एक इक्विटी निवेशक होता है) की तरह काम कर रहे हैं, एक संभावित अधिग्रहण का वैल्युएनशन या मूल्यांकन कर रहे हैं और उचित मूल्य पर फ़ैसला लेने से पहले चुनी हुई कंपनी के फ़ाइनांस, मार्केट की स्थिति और ग्रोथ की संभावनाओं का सावधानी से आकलन कर रहे हैं. ध्यान इस बात से हट कर कि "क़ीमतें कब बढ़ेंगी?", इस पर आ जाता है कि "इसका मूल्य क्या है?". ये मानसिकता ज़्यादा विश्लेषण वाली और कम भावनात्मक है, जो हमें मार्केट की भविष्यवाणियों के बजाय ठोस पैमाने पर नियंत्रण देती है. आप दूसरे निवेशकों को मात देने की कोशिश नहीं कर रहे हैं - आप बस जो ख़रीद रहे हैं उसके लिए ज़्यादा भुगतान करने से इनकार कर रहे हैं. ये जुआ खेलने और समझदारी से ख़रीदारी करने के बीच का अंतर है.

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तो हां, जहां ऊपरी तौर पर, दोनों अवधारणाएं मेरे दोस्त को विरोधाभास की तरह लग रही थीं, असलियत इसके बिल्कुल उलट है. आइए हम अपने मार्केट में जो देखते हैं उसकी ठोस मिसाल देखें. जिन निवेशकों से मैं बात करता हूं, उनमें से कई इस बात पर अड़े हुए हैं कि क्या हाल के सबसे ऊंचे स्तर से 5 प्रतिशत की ये गिरावट उस बड़े सुधार को दर्शाती है जिसके बारे में सभी चेतावनी दे रहे हैं. वे लगातार चार्ट की जांच कर रहे हैं, सोशल मीडिया पर 'विशेषज्ञों' को फ़ॉलो कर रहे हैं, और पता लगा रहे हैं कि क्या ये वो 'टॉप' है जिसका वे इंतज़ार कर रहे थे. कुछ लोग महीनों से नक़दी पर बैठे हैं, इस पल का इंतज़ार कर रहे हैं. ये बाजार को टाइम करना हुआ, और ये एक बेकार का काम है.

इस बीच, वैल्यू को लेकर सतर्क निवेशक कुछ अलग कर रहे हैं - वे अलग-अलग कंपनियों की तरीक़े से जांच कर रहे हैं ताकि पता लगाया जा सके कि कौन सी कंपनी अच्छी वैल्यू बन गई है. वैल्यू रिसर्च स्टॉक एडवाइज़र में मेरी टीम इस पर रात-रात भर काम कर रही है. वे ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं कि सेंसेक्स 5 प्रतिशत और गिरेगा या वापस उछलेगा; वे केवल अच्छे बिज़नस की पहचान कर रहे हैं जो अब सही वैल्युएशन पर हो सकते हैं. मार्केट को टाइम करने वाला निवेशक मार्केट की अगली चाल का अंदाज़ा लगाने की कोशिश में पंगु हो जाएगा. इस बीच, वैल्युएशन के प्रति सजग निवेशक कंपनी दर कंपनी मौक़े तलाश रहा होगा, फिर चाहे सेंसेक्स अगले सप्ताह या अगले महीने में कुछ भी करे.

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