देश में म्यूचुअल फ़ंड के SIP अकाउंट की संख्या 20 करोड़ पार कर गई है. जैसे जैसे लोगों में फ़ाइनांस को लेकर ज़्यादा जागरुकता आ रही है, भारत में म्यूचुअल फ़ंड के फ़ायदे लोगों को समझ आ रहे हैं.
म्यूचुअल फ़ंड कम ख़र्च और हाई रिटर्न देने वाले निवेश हैं. ख़ासतौर पर SIP के साथ, ये बहुत से लोगों के लिए किफ़ायती हो जाता है, जहां ₹100 जितनी छोटी रक़म से भी निवेश शुरू किया जा सकता है. आज के डिजिटल दौर में आप AMC (ऑनलाइन या ऑफ़लाइन), ब्रोकरेज फ़र्म, एजेंट, बैंक, रजिस्ट्रार और विभिन्न म्यूचुअल फ़ंड निवेश साइटों और फ़ोन ऐप प्लेटफ़ॉर्मों के ज़रिए अपने फ़ोन से ही फंड में निवेश शुरू कर सकते हैं, उसे जारी रख सकते हैं, नज़र रख सकते हैं, और ज़रूरत पड़ने पर फ़ोन के दो क्लिक से अपना पैसा वापस अपने अकाउंट में पा सकते हैं. आपको किसी डीमैट खाते की भी ज़रूरत नहीं है, बस कुछ ही मिनटों में अपनी ज़रूरी जानकारियां और दस्तावेज़ से ये संभव किया जा सकता है.
म्यूचुअल फ़ंड का पहला और सबसे बड़ा फ़ायदा आपके निवेश किए गए पैसे का डाइवर्सिफ़िकेशन है. अलग-अलग निवेशकों से इकट्ठी की गई रक़म को इक्विटी (equity), डेट (debt), सोना, विदेशी सिक्योरिटीज़ और कई दूसरे एसेट क्लास में निवेश किया जाता है. इसे अलग-अलग सेक्टर, उद्योगों और छोटी-बड़ी साइज़ की कंपनियों में निवेश किया जाता है. एक डाइवर्स पोर्टफ़ोलियो अलग-अलग एसेट क्लास के फ़ायदे आपके निवेश में लाने में मदद करता है और साथ ही रिस्क भी कम करता है.
यूं तो म्यूचुअल फ़ंड में निवेश के कई फ़ायदे हैं, मगर यहां 6 सबसे बड़े फ़ायदों पर नज़र डालते हैं.
1. हर तरह के निवेशकों के लिए हैं म्यूचुअल फ़ंड
चूंकि म्यूचुअल फ़ंड कई तरह के एसेट्स में निवेश करते हैं और कई तरह के होते हैं, इसलिए वे बड़े पैमाने पर निवेशकों के लिए तरह-तरह की स्कीमें पेश करते हैं. ज़्यादा रिस्क सहन करने की क्षमता वाले निवेशकों के लिए इक्विटी फ़ंड हैं और कम रिस्क के साथ तयशुदा रिटर्न चाहने वालों के लिए डेट फ़ंड हैं. आप टैक्स का फ़ायदा चाहते हैं तो आपके लिए ELSS और शॉर्ट-टर्म में बेहतर रिटर्न के लिए FD के विकल्प के तौर पर लिक्विड फ़ंड भी हैं. अगर आप इक्विटी फ़ंड में सुरक्षित निवेश चाहते हैं, तो आप लार्ज-कैप फ़ंड चुन लें क्योंकि इनके फ़ंड मैनेजर ज़्यादातर निवेश ब्लूचिप कंपनियों में करते हैं.
ब्लूचिप यानी बड़ी पूंजी वाली कंपनियां सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) द्वारा लिस्टिड कंपनियों में टॉप 100 कंपनियां हैं. अगर आप ज़्यादा रिस्क उठा सकते हैं, तो आप मिड-कैप या स्मॉल-कैप फ़ंड चुन लीजिए. इनके फ़ंड मीडियम या छोटी कंपनियों में निवेश करते हैं, जिनमें रिस्क ज़्यादा होता है, लेकिन लंबे समय के दौरान रिटर्न भी बहुत ज़्यादा मिलने की संभावना होती है. आप अपने निवेश के लक्ष्यों और रिस्क उठाने की क्षमता से बेहतर तालमेल के लिए एक मिक्स्ड पोर्टफ़ोलियो भी बना सकते हैं और तय कर सकते हैं कि आपका कितना पैसा किस तरह के फ़ंड में लगेगा.
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2. म्यूचुअल फ़ंड का रिटर्न कैसा होता है?
म्यूचुअल फ़ंड अच्छा रिटर्न देते हैं और समय के साथ महंगाई दर को मात देते हुए पूंजी बनाने की क्षमता रखते हैं. चूंकि ये एसेट, सेक्टर और इंडस्ट्री के मिश्रण में निवेश करते हैं, इसलिए इसमें निवेश किए पैसे के लिए रिस्क और रिटर्न का बेहतर बैलेंस होता है. साथ ही, SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के साथ, आप एकमुश्त रक़म के बजाय कुछ साल के लिए छोटी-छोटी रक़म का निवेश लगातार (जैसे ₹1,000 हर महीने) कर सकते हैं. जब फ़ंड यूनिट की क़ीमत ज़्यादा होती है तो आपको कम यूनिट मिलते हैं और जब क़ीमत कम होती है तो ज़्यादा यूनिट आपके हिस्से आते हैं. इसे रुपए की लागत के औसत होने का फ़ायदा (rupee cost averaging) कहा जाता है, जिसमें यूनिट्स की औसत लागत कम हो जाती है और इसलिए, निवेश पर ज़्यादा रिटर्न (RoI) मिलता है.
3. जब ज़रूरत हो तब फ़ंड निवेश काम आए
आसानी से पैसा निकालने को ज़्यादा लिक्विडिटी के तौर पर जाना जाता है. म्यूचुअल फ़ंड्स के ELSS (equity linked saving scheme जो आपको टैक्स में छूट का फ़ायदा देती है) जैसे लॉक-इन के साथ आने वाले फ़ंड्स को छोड़कर, किसी भी फ़ंड को कभी भी भुनाया जा सकता है. आप आसानी से पैसे निकाल सकते हैं और यूनिट बेच सकते हैं जो इसे बहुत ज़्यादा लिक्विड बनाता है. आप अपने पैसे को कुछ ही दिनों के भीतर अपने बैंक अकाउंट में पा जाते हैं.
आपको अलग-अलग राशियों और भुगतान के तरीक़ों के ज़रिए फ़ंड निवेश के लिए लचीले भुगतान करने की आज़ादी होती है. म्यूचुअल फ़ंड स्कीम में आप जितनी चाहे उतनी रक़म का निवेश कर सकते हैं, इसकी कोई सीमा नहीं है और आप अपना भुगतान अलग-अलग तरीक़ों से निकल भी सकते हैं. आप एकमुश्त भुगतान (lump sum) कर सकते हैं या सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP), सिस्टमेटिक ट्रांसफ़र प्लान (STP) और सिस्टमेटिक विथड्रॉल प्लान (SWP) चुन सकते हैं. SIP आपको मासिक या त्रैमासिक भुगतान के ज़रिए छोटी रक़म निवेश करने की सहूलियत देती है. आप SIP की रक़म को बढ़ा या घटा भी सकते हैं.
4. इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट आपके पैसे की देखभाल करते हैं
ये म्यूचुअल फ़ंड्स का सबसे अच्छा और सबसे बड़ा फ़ायदा है. उनके पास पेशेवर निवेश प्रबंधन करने के लिए फ़ंड मैनेजर होते हैं. आमतौर पर, लोगों के पास स्टॉक पर रिसर्च और अनालेसिस करने का समय, और कौशल नहीं होता. इसलिए, फ़ंड्स में निवेश करके आपको एक डाइवर्स इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो के लिए कहीं और जाने की ज़रूरत नहीं होती. AMC के पास क़ाबिल प्रबंधक और टीमें होती हैं जो तय करती हैं कि अलग-अलग सिक्योरिटीज़ में फ़ंड कैसे और कब एलोकेट किया जाए.
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5. फ़ंड्स में निवेश का ख़र्च कम होता है
म्यूचुअल फ़ंड के लिए कई निवेशकों से धन इकट्ठा किया जाता है. एक निवेशक के तौर पर, आप म्यूचुअल फ़ंड में अपने हिस्से के यूनिटधारक होते हैं. अगर आप कई स्टॉक, दूसरे एसेट ख़रीदते हैं, या निवेश में ऐसी डाइवर्सिटी ख़ुद लाने की कोशिश करते हैं, तो आपको बड़ी पूंजी की ज़रूरत होगी. लेकिन म्यूचुअल फ़ंड के साथ, आप छोटी रक़म में ही डाइवर्स इन्वेस्टमेंट पोर्टफ़ोलियो के फ़ायदे पा सकते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि म्यूचुअल फ़ंड बड़ी मात्रा में सिक्योरिटीज़ का लेनदेन करते हैं और इस लेनदेन की लागत कम हो जाती है. जब आप बड़ी संख्या क में यूनिट ख़रीदते या बेचते हैं, तो प्रति यूनिट लेनदेन की लागत रिटेल निवेशकों को स्टॉकब्रोकर के ज़रिए होने वाली लागत से सस्ती हो जाती है.
हालांकि, जब आप निवेश करें तो म्यूचुअल फ़ंड स्कीम के एक्सपेंस रेशियो (व्यय अनुपात) को ज़रूर देखें. एक्सपेंस रेशियो एक सालाना फ़ीस है जो फ़ंड हाउस या AMC (एसेट मैनेजमेंट कंपनियां) म्यूचुअल फ़ंड मैनेज करने के लिए लेती हैं.
6. पारदर्शी और रेग्युलेटेड
म्यूचुअल फ़ंड ऐसे चंद निवेश के तरीक़ों में शुमार हैं जो बहुत ज़्यादा पारदर्शी हैं क्योंकि सेबी इन पर कड़ाई से निगरानी रखता है और नियंत्रित करता है. साथ ही, फ़ंड हाउस और AMC ने एसोसिएशन ऑफ़ म्यूचुअल फ़ंड्स इन इंडिया (AMFI) का गठन किया है जो एक सेल्फ़-रेग्युलेटेड संस्था है. AMFI सेबी के दायरे में आने वाली एक संस्था है जो नैतिक और पेशेवर स्टैंडर्ड्स पर म्यूचुअल फ़ंड इंडस्ट्री को चलाना और विकसित करना चाहती है.
SEBI फ़ंड्स के लिए अलग-अलग मैंडेट या जनादेश तय करती है जिनका AMC पालन करती हैं. ये फ़ंड कंपनियों को अपने सभी म्यूचुअल फ़ंड्स (MF) स्कीमों और उनके इन्वेस्टमेंट पोर्टफ़ोलियो के बारे में ज़रूरी ख़ुलासे करने का निर्देश देती है. आप निवेश से पहले फ़ंड मैनेजरों की साख, फ़ंड हाउस के प्रबंधन के तहत एसेट्स (AUM) और हरेक MF स्कीम के रिस्क लेवल की जांच कर सकते हैं. उनके ख़ुलासे में हरेक एसेट और सेक्टर में एलोकेट की गई राशि की जानकारी होती है.
आप म्यूचुअल फ़ंड निवेश करें या नहीं?
म्यूचुअल फ़ंड में निवेश के कई फ़ायदे हैं और इसलिए लोगों में जानकारियां बढ़ने के साथ-साथ इसने हाल ही में बड़ी संख्या में नए निवेशकों को आकर्षित करना शुरू किया है. किसी भी निवेश के अपने फ़ायदे और नुक़सान को समझदारी भरे फ़ैसले लेने के लिए जानना ज़रूरी है. म्यूचुअल फ़ंड पेशेवर तरीक़े से मैनेज किए जाते हैं, ऊंचा रिटर्न देते हैं और कम ख़र्च वाले होते हैं. इसमें आपके पैसे को कई तरह के निवेशों में लगाया जाता है और सभी तरह के निवेशकों के लिए अलग-अलग तरह की म्यूचुअल फ़ंड मौजूद हैं. चाहे आप एक अनुभवी निवेशक हों या पहली बार निवेश करने जा रहे हों, अपनी रिस्क सहने की क्षमता और अपने निवेश की अवधि के मुताबिक़ आपको सही म्यूचुअल फ़ंड्स मिल ही जाएंगे.
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डिस्क्लेमर: लेख निवेश की सिफ़ारिश नहीं कर रहा है. निवेश करने से पहले आप ख़ुद रिसर्च करें और फिर एक जानकार की तरह फ़ैसला लें.
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