मैं अपने रिटायरमेंट के लिए एक बड़ी रक़म इकट्ठी करना चाहता हूं. तो इसके लिए मुझे ELSS और NPS दोनों में निवेश करना चाहिए या एक ही स्कीम में निवेश काफ़ी है? - एक पाठक
इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं है. इसका सही जवाब पाना है तो कई बातों पर ग़ौर करना होगा. मसलन, निवेश को लेकर आपका नज़रिया क्या है? ज़रूरतें क्या हैं? अगर आप रक़म जमा कर रहे हैं और आपके में रिटायरमेंट में 10 साल या इससे ज़्यादा वक़्त है, तो जितनी ज़्यादा हो सके, उतनी रक़म इक्विटी में लगानी चाहिए. रक़म जमा करने के दौरान ज़्यादा-से-ज़्यादा बचत और निवेश करने से बड़ा कॉर्पस बनाने में मदद मिलती है.
रिटायरमेंट के लिए निवेश के लिहाज़ से नेशनल पेंशन सिस्टम यानी NPS काफ़ी अच्छा विकल्प है. ख़ासकर उन लोगों के लिए जिनमें अनुशासन की कमी है और संभावना है कि वो रिटायरमेंट की रक़म बीच में ही निकाल कर ख़र्च कर सकते हैं.
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अपने NPS फ़ंड का प्रदर्शन चेक करें. NPS आपकी रक़म को 60 साल की उम्र तक लॉक कर देता है. किन्हीं ख़ास परिस्थितियों में रक़म निकाली जा सकती है, लेकिन इसमें कई तरह की शर्तें होती हैं. मगर कुल मिला कर NPS में रिटायरमेंट में आपकी बचत सुरक्षित रहती है. रिटायरमेंट के समय भी, कुल कॉर्पस का 40 फ़ीसदी हिस्सा एन्युटी प्लान ख़रीदने पर ख़र्च करना ज़रूरी है. एन्युटी प्लान कम-से-कम इसका इंतज़ाम आपके लिए कर देता है कि आपको नियमित तौर पर पेंशन के रूप में एक तय रक़म मिलती रहे.
इसक अलावा, NPS में निवेश करके इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80CCD (1B) के तहत ₹50,000 तक की अतिरिक्त टैक्स छूट भी हासिल कर सकते हैं. ये टैक्स छूट, सेक्शन 80C की ₹1.5 लाख वाली लिमिट के ऊपर मिलती है और ये छूट तभी मिलेगी जब आप NPS टियर-I अकाउंट में निवेश करेंगे. याद रखें, बचाया गया टैक्स भी एक तरह से आपकी कमाई है. एक और बात, NPS के ज़रिए आप इक्विटी में 75 फ़ीसदी से अधिक रक़म निवेश नहीं कर सकते हैं.
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इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम यानी ELSS में पूरी रक़म इक्विटी में लगाई जाती है. साथ ही लिक्विडिटी के मोर्चे पर भी ये NPS की तुलना में बहुत ज्यादा सहूलियत देती है. लिक्विडिटी का मतलब है, आप ज़रूरत पड़ने पर आप अपने निवेश से आसानी से धन निकाल सकें. ELSS का लॉक-इन-पीरियड सिर्फ़ तीन साल का है. लेकिन रिटायरमेंट के लिए ELSS में निवेश करते हुए, आपको ख़ुद पर क़ाबू रखना होगा, जिससे आप धन बीच में ही न निकाल लें. अगर आप धन बीच-बीच में निकालते रहे तो आपकी रिटायरमेंट प्लानिंग का भगवान ही मालिक होगा और आप रिटायरमेंट के लिए बहुत छोटा कॉपर्स ही बना पाएंगे.
अगर आप अनुशासित निवेशक हैं, तो लिक्विडिटी पर समझौता करने और 100 फ़ीसदी के बजाए 75 फ़ीसदी रक़म ही इक्विटी में निवेश करने का कोई मतलब नहीं है. ख़ास कर तब, जब आप रक़म इकट्ठा करने के फ़ेज़ में हैं और रिटायरमेंट में काफ़ी समय है. बस आप ELSS में निवेश करते हुए ₹1.5 लाख की 80C लिमिट का फ़ायदा उठाएं. टैक्स छूट के लिए अतिरिक्त ₹50,000 NPS में निवेश करने में कोई नुकसान नहीं है. लेकिन अगर आप पैसों के मामले में उतने अनुशासित नहीं हैं तो NPS एक अच्छा विकल्प रहेगा.
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