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क्या कमज़ोर GMP के बावजूद Hyundai IPO में निवेश करना चाहिए?

हम पता लगाएंगे कि हुंडई के GMP या ग्रे मार्केट प्रीमियम में गिरावट क्यों आई है और क्या ये चिंता का विषय है

Hyundai IPO में निवेश करना सही है?AI-generated image

मिस्टर मार्केट से हमेशा अप्रत्याशित की उम्मीद की जाती है और हुंडई का IPO इस गोल्डन रूल का प्रमाण है. ऐसे समय में जब कमज़ोर लिस्टिंग का आगाज भी ऊंचे प्रीमियम पर हो रहा है, तो भारत के सबसे बड़े IPO को ग्रे मार्केट में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए जूझना पड़ रहा है. हुंडई का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) 4 अक्तूबर 2024 तक 18 फ़ीसदी था, जो अब गिरकर सिर्फ़ 2 फ़ीसदी रह गया है.

तो, अमीरों यानी हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNI) और स्टॉकब्रोकर्स को किस बात की चिंता है? इससे भी अहम सवाल ये है कि क्या रिटेल इन्वेस्टर्स को दक्षिण कोरियाई ऑटोमेकर पर दांव लगाने से बचना चाहिए? भले ही, इसका कोई आसान जवाब नहीं है, लेकिन चिंताओं का गहन एनालिसिस कुछ स्पष्टता प्रदान कर सकता है.

हुंडई को लेकर निराशा!

ग्रे मार्केट अटकलों पर आधारित और अस्थिर होते हैं. भले ही, GMP मार्केट की भावना के संकेतक के रूप में काम कर सकता है, लेकिन इसे हमेशा सावधानी के साथ देखा जाना चाहिए. समझा जाता है कि तीन प्रमुख चिंताएं सामने आई हैं, जिन पर ग़ौर करना ज़रूरी है:

1. IPO सिर्फ़ प्रमोटर्स के लिए ही एक गोल्डन टिकट है
हुंडई लंबे समय से अपनी दक्षिण कोरियाई पैरेंट कंपनी के लिए नकदी का स्रोत रही है. पिछले साल ही, हुंडई ने स्पेशल डिविडेंड के रूप में ₹10,782 करोड़ का भुगतान किया. इसके अलावा, पैरेंट कंपनी ने रॉयल्टी फ़ीस फ़ाइनेंशियल ईयर 24 में 2.2 फ़ीसदी से बढ़ाकर इस फ़ाइनेंशियल ईयर में 3.5 फ़ीसदी कर दी है. कुछ लोगों को चिंता है कि ये IPO भी उसी तरह का है, क्योंकि पूरा इश्यू ऑफर फॉर सेल (OFS) है, जिसका मतलब है कि जुटाई गई कोई भी धनराशि हुंडई के ऑपरेशन में नहीं जाएगी.

2. घटता मार्केट शेयर
परंपरागत रूप से भारत में एक बजट कार बनाने वाली कंपनी हुंडई ने कंज्यूमर की प्राथमिकताओं में छोटी, बजट कारों से SUV की ओर बदलाव का दबाव महसूस किया है. फ़ाइनेंशियल ईयर 22 में उसका मार्केट शेयर 18 फ़ीसदी के स्तर पर था, जो फ़ाइनेंशियल ईयर 24 में घटकर 15 फ़ीसदी रह गया. इससे तेज़ी से बदलते भारतीय ऑटो मार्केट में प्रतिस्पर्धा करने की उसकी क्षमता को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.

3. ऊंची वैल्यूएशन
हुंडई इंडिया दक्षिण कोरियाई पैरेंट कंपनी के रेवेन्यू में लगभग 7 फ़ीसदी का योगदान देती है, लेकिन इसके वैल्यूएशन में 42 फ़ीसदी का अहम योगदान देती है. इस अंतर से ये चिंता बढ़ गई है कि IPO का प्राइस ओवरवैल्यूड हो सकता है.

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संक्षेप में कहें तो जोखिम निश्चित रूप से मौजूद हैं. हालांकि, हमारा एनालिसिस बताता है कि इन्वेस्टर्स की धारणा को चलाने वाला डर वास्तविक जोखिमों की गंभीरता से मेल नहीं खा सकता है. यहां इसके कारण बताए गए हैं…

सकारात्मक पहलू

हमारा मानना ​​है कि जोखिम बहुत ज़्यादा हैं, जो निम्नलिखित फ़ैक्टर्स से उपजे हैं:

1. नए इश्यू की ज़रूरत नहीं थी
फ़ाइनेंशियल ईयर 22 और फ़ाइनेंशियल ईयर 24 के बीच, हुंडई इंडिया ने ऑपरेशन से लगभग ₹14,000 करोड़ की नकदी अर्जित की. प्रबंधन अगले 10 वर्षों में ₹32,000 करोड़ के कैपिटल एक्सपेंडिचर की उम्मीद करता है, जिसे आंतरिक स्रोतों से आसानी से फ़ंडिंग की जा सकती है. बड़े ऑफर फॉर सेल मुख्य रूप से SEBI के नियमों से सामने आया है, जिसमें न्यूनतम पब्लिक होल्डिंग की ज़रूरत होती है.

2. अपनी दक्षिण कोरियाई पैरेंट कंपनी के साथ एकतरफ़ा सौदा नहीं
भले ही, हुंडई मोटर्स कोरिया को हुंडई इंडिया के नकदी जेनरेट करने और भारी डिविडेंड मिलने से फ़ायदा होता है, लेकिन भारतीय सहायक कंपनी को बदले में उचित शेयर मिलता है. हुंडई इंडिया अपनी पैरेंट कंपनी की व्यापक R&D क्षमताओं और ग्लोबल सेल्स नेटवर्क पर निर्भर करती है. पैरेंट कंपनी ने पिछले एक दशक में R&D पर ₹1,85,000 करोड़ का भारी निवेश किया है, जिससे भारतीय शाखा की प्रोडक्ट्स लाइन-अब और प्रतिस्पर्धी क्षमता को काफ़ी फ़ायदा हुआ है.

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3. मार्केट शेयर बढ़ रहा है
भले ही, हुंडई SUV के बाज़ार में देर से आई, लेकिन अब ये तेज़ी से आगे बढ़ रही है. फ़ाइनेंशियल ईयर 24 में भारत में SUV की कुल बिक्री में 28 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई, हालांकि, हुंडई ने SUV की बिक्री में 29 फ़ीसदी की ग्रोथ दर्ज की. भले ही, लो बेस इफेक्ट का इसमें ख़ासा योगदान रहा हो, लेकिन हुंडई की प्रीमियम बिक्री लगातार बढ़ रही है, जिससे ये बाज़ार में खोई हुई जमीन वापस पाने की स्थिति में है.

4. वैल्यूएशन उचित हो सकती है
वैश्विक स्तर की दिग्गज कंपनियों का भारतीय सहायक कंपनियों की तुलना में ऊंचे प्रीमियम पर कारोबार करना असामान्य नहीं है. ये ज़्यादातर इमर्जिंग मार्केट्स की ख़ासियत है. हुंडई का 26x का P/E रेशियो मारुति के 27x के P/E से थोड़ा कम है, जिससे पता चलता है कि इसकी वैल्यूएशन उतनी ज़्यादा नहीं होगी, जितनी शुरू में आशंका थी.

क्या आपको निवेश करना चाहिए?

हमेशा की तरह, जब IPO में निवेश करने की बात आती है तो हम सावधानी बरतने की सलाह देते हैं. यहां हमारा लक्ष्य हुंडई IPO से जुड़ी मुख्य चिंताओं को उजागर करना और स्थिति के बारे में ज़्यादा गहन नज़रिया प्रस्तुत करना था.

आखिरकार, भले ही जोखिम सही हैं, लेकिन मौजूदा आशंकाएं बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गईं हो सकती हैं. यदि आप निवेश करने पर विचार कर रहे हैं, तो बाज़ार की अटकलों के बजाय हकीकत और अपनी व्यक्तिगत निवेश रणनीति के आधार पर फैसला लें.

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