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मार्केट चढ़े या गिरे आप हमेशा पैसे बनाएं

शेयर बाज़ार कैसा भी हो हर तरह की मार्केट साइकल में आपके लिए मौक़े हैं

Shares Market Cycles: निवेश जो हर दौर में फ़ायदा देAI-generated image

निवेशक चाहे अनुभवी हो या नहीं, मार्केट की तेज़ी और मंदी के असर से नहीं बच सकता. मार्केट के उतार-चढ़ाव इक्विटी निवेश का हिस्सा हैं. शेयर बाज़ार के उतार-चढ़ाव की साइकिल फ़ाइनेंशियल मार्केट्स के स्वस्थ रहने के लिए ज़रूरी है. आप सिर्फ़ सेंसेक्स के उछाल के ऐतिहासिक शिखर और उसकी गिरावट के गर्त की पर ही ध्यान देकर अपने निवेश में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकते:

1980: 120 अंकों से शुरू हुआ.
1986: 400 फ़ीसदी की छलांग के साथ 600 अंकों तक पहुंचा!
1992: हर्षद मेहता बुल रन के दौरान 4,400 पर जा पहुंचा.
2000: टेक शेयरों के प्रति उन्माद ने इसे 5,900 तक पहुंचा दिया.
2001: टेक बबल के फटने के बाद ये 2,600 पर आ गिरा.
2008: ग्लोबल फ़ाइनेंशियल क्राइसिस से पहले 20,800 पर पहुंच गया.
2009: ग्लोबल रियल एस्टेट क्रैश के दौरान 10,400 तक गिर गया.
2020: कोविड क्रैश ने मार्च 2020 में इसे क़रीब 23 फ़ीसदी की गिरावट के साथ 29,460 पर पहुंचा दिया.
2024: मार्च 2020 के निचले स्तर से 3.3 गुना बढ़कर 85,900 से ऊपर पहुंच गया.

इसे देखने पर आप समझ जाएंगे कि बाज़ार उत्साह और सावधानी या उतार और चढ़ाव के बीच चलते रहते हैं. लेकिन सारी गिरावटों के बावजूद, लंबे अर्से के दौरान इक्विटी बाज़ार मज़बूती और ग्रोथ दिखाते हैं.

बुल और बेयर मार्केट होने का की वजह?

आमतौर पर बुल मार्केट तब शुरू होते हैं जब निवेशकों की उम्मीदें आर्थिक मज़बूती, इंडस्ट्री की ग्रोथ और प्रॉफ़िटेबिलिटी के आधार पर बढ़ जाती हैं

जिस तरह ये स्थितियां बनी रहती हैं, सट्टेबाज़ी वाला व्यवहार हावी हो जाता है. कई निवेशक केवल बढ़ती क़ीमतों पर ही ध्यान देते हैं और उससे जुड़े बिज़नस को अनदेखा कर देते हैं, तो इसका नतीजा होता है भारी कैपिटल इनफ़्लो, जिसके चलते शेयर की क़ीमत बढ़ जाती है.

समय के साथ जब उम्मीदें कंपनियों की वास्तविक क्षमता से ज़्यादा होने लगती हैं, तब वैल्यूएशन बढ़ जाता है. क़ीमत और कंपनी के बुनियादी फ़ैक्टर के बीच का ये अंतर, गिरावट का आधार तैयार कर देता है.

बेयर मार्केट आम तौर पर महंगाई के दबाव, बढ़ती ब्याज दरों या भारी आर्थिक मंदी से शुरू होते हैं जिससे कॉर्पोरेट इनकम और ग्रोथ की संभावनाएं कम हो जाती हैं. जैसे-जैसे आउटलुक कमज़ोर होता है, बड़े स्तर पर बिकवाली शुरू हो जाती है. बेयर मार्केट भले ही कई लोगों को डराते हैं, लेकिन ये सट्टेबाज़ी को कम करके, और वैल्यूएशन को दोबारा निर्धारित करके बाज़ार को संतुलित करने में अहम भूमिका निभाते हैं.

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बाज़ार के अलग-अलग चरणों का फ़ायदा उठाना

एक समझदार निवेशक बनने के लिए, ये जानना महत्वपूर्ण है कि बाज़ार में कमज़ोरी के दौर का अपने फ़ायदे के लिए कैसे इस्तेमाल किया जाए और सट्टेबाजी से जुड़ी रैली से कैसे बचा जाए. यहां आपको क्या ध्यान में रखना चाहिए:

  • भारी बिकवाली से डरें नहीं: मंदी के दौर में, निवेशक ख़ासे डरे रहते हैं, जिससे तेज़ गिरावट आती है, जैसा कि टेक बबल के फटने, रियल एस्टेट के ढहने और कोविड महामारी के दौरान देखा गया था. कंपनियों के अक्सर ख़ासे डिस्काउंट पर ट्रेड होने के कारण ऐसी घटनाएं सुनहरे मौक़े पैदा करती हैं. ख़ास बात ये है कि कंपनियों के फ़ंडामेंटल मज़बूत होने के बावजूद ऐसा होता है. इसलिए, ये याद रखना ज़रूरी है कि भारी गिरावट उद्योगों में सुस्ती या आर्थिक मंदी के कारण होती है, न कि इसलिए कि हर लिस्टेड कंपनी आर्थिक रूप से कमज़ोर हो गई है. ये असली लॉन्ग टर्म वैल्यू वाले बेहतरीन व्यवसायों को खोजने का समय होता है.
    मिसाल के तौर पर, मार्च 2020 में कोविड महामारी के दौरान, देश की सबसे बड़ी ज्वेलरी रिटेलर टाइटन के शेयर की क़ीमत में लगभग 36 फ़ीसदी की गिरावट देखी गई, जिसका P/E रेशियो 47 गुना था - जो इसके ऐतिहासिक रूप से सबसे कम वैल्यूएशंस में से एक था. तब से, इसने वापसी की है और सालाना 40 फ़ीसदी रिटर्न दिया है!
  • अस्थायी गिरावट का फ़ायदा उठाना: बुल फेज़ के दौरान भी, निवेशकों के कभी-कभी घबराहट में बिकवाली करने के कारण अस्थायी गिरावट आती हैं. वे आमतौर पर निराशाजनक आय या अन्य नकारात्मक ख़बरों से प्रेरित होते हैं. इस तरह की गिरावट फ़ंडामेंटल्स पर पड़े वास्तविक असर को नहीं दिखाती है. इसके बजाय, वे बाज़ार के शोर के प्रति भावनात्मक प्रतिक्रियाएं होती हैं. इसलिए, निवेशकों को इन अस्थायी गिरावटों से निराश नहीं होना चाहिए. उन्हें इन गिरावटों का इस्तेमाल उन शेयरों को जोड़ने के लिए करना चाहिए जिनकी फ़ाइनेंशियल मज़बूती बदली नहीं है. फ़ार्मा दिग्गज डिवीज लैबोरेटरीज़ का मामला लें. दिसंबर 2016 और मई 2017 के बीच, US FDA की चेतावनी के बाद इसका स्टॉक लगभग 50 फ़ीसदी गिर गया. नतीजा, P/E 28 से घटकर लगभग 15 गुना रह गया!
    हालांकि, कंपनी बुनियादी तौर पर मज़बूत थी और इस चेतावनी ने इसकी लंबे समय की व्यावसायिक क्षमता को ज़्यादा प्रभावित नहीं किया. अगर आपने अपनी तरफ़ से पर्याप्त जांच की होती और इसे ख़रीदने के मौक़े के तौर पर पहचाना होता, तो स्टॉक में आपका निवेश अब तक 10 गुना बढ़ गया होता!
  • पागलपन से बचना: तेज़ी के दौर में, शेयर की क़ीमतें ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच जाती हैं, यहां तक ​​कि नए रिकॉर्ड भी छू लेती हैं. सट्टेबाज़ी बढ़ने से निवेशक बिज़नस के फ़ंडामेंटल्स की बजाय मोमेंटम के आधार पर शेयरों का पीछा करते हैं. इससे वैल्यूएशन ऐतिहासिक मल्टीपल से कहीं ज़्यादा बढ़ जाता है. यही वो समय होता है जब निवेशकों को अपनी सुरक्षा को बढ़ाने और ये आकलन करने की ज़रूरत होती है कि क्या रैली सही वजहों से देखने को मिल रही है. उन्हें ज़्यादा क़ीमत वाले शेयरों में निवेश से बचना चाहिए और इसके बजाय उन कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिन्हें भीड़ द्वारा अनदेखा किया जाता है (संभावित रूप से कम मूल्यांकन वाली सिक्योरिटीज़).
    ज़ोमैटो निवेशकों के उत्साह का एक उदाहरण है. अपनी स्थापना के बाद से केवल एक साल के मुनाफ़े के साथ, पिछले डेढ़ साल में शेयर लगभग छह गुना बढ़ गया है. पिछले पांच साल में इसका रेवेन्यू सालाना 56 फ़ीसदी बढ़ा है. हालांकि, 430 गुना के ऊंचे P/E के साथ, ये एक महंगा सौदा हो सकता है!

हमारी सलाह

बुल और बेयर मार्केट, इन्वेस्टमेंट साइकल का स्वाभाविक हिस्सा हैं, और इनमें से किसी के भी कारण अलग से डरना या जश्न मनाना नहीं चाहिए. निवेश में सफलता इन साइकल्स को समझने, बाज़ार की स्थितियों को पहचानने और उनके हिसाब से रणनीतियों को बदलने पर निर्भर करती है. जो निवेशक ज़मीन पर टिके रहते हैं, जोश से भरे बुल मार्केट के दौरान अनुशासन बनाए रखते हैं और बेयर (मंदी) के चरणों के दौरान धैर्य बनाए रखते हैं, वे लंबी अवधि में सफल होने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में होते हैं.

जैसा कि प्रसिद्ध निवेशक वॉरेन बफे़ ने समझदारी से कहा, “जब दूसरे लालची हों तो डरो और जब दूसरे डरे हुए हों तो लालची बनो.” इस फ़िलॉसफ़ी को फ़ॉलो करके, निवेशक बुल और बेयर दोनों बाज़ारों में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकते हैं, जिससे लगातार ग्रोथ होती है और वेल्थ बनती है.

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