जल्द ही, एक नई एसेट क्लास में निवेश करने की अनुमति दी जाएगी, जिसमें कम से कम ₹10 लाख का निवेश किया जाएगा. अभी इस क्लास को 'इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी' क्लास पुकारा जा रहा है. SEBI ने सोमवार (30 सितंबर, 2024) को इस नई एसेट क्लास के लिए मंज़ूरी दे दी है.
एक बार मार्केट में पेश किए जाने के बाद, 'इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी' क्लास, म्यूचुअल फ़ंड और पोर्टफ़ोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) का मिश्रण होगी, जो ज़्यादा रिस्क लेने वाले निवेशकों को बड़े निवेश के टिकट साइज़ की सुविधा उपलब्ध कराएगी (जैसे कि कम से कम ₹10 लाख).
'इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी' पर कुछ बंदिशें
हालांकि, SEBI ने पक्का किया है कि ये एक स्वतंत्र निवेश विकल्प नहीं हो. निवेशकों की सुरक्षा के लिए, रेगुलेटर ने इन स्ट्रैटजी या रणनीतियों पर कुछ बंदिशें लगाई हैं, जो इस तरह से हैं:
क) कोई लीवरेज (उधार) नहीं
ख) म्यूचुअल फ़ंड के लिए पहले से स्वीकृत ग़ैर-लिस्टिड और बिना रेटिंग वाले साधनों में कोई निवेश नहीं
ग) हेजिंग और रिबैलेंसिंग के अलावा दूसरे उद्देश्यों के लिए सीमित डेरिवेटिव एक्सपोज़र (नेट एसेट्स का 25 फ़ीसदी तक).
पैसिव फ़ंड्स के लिए म्यूचुअल फ़ंड लाइट फ़्रेमवर्क की शुरुआत
एक दूसरा अहम क़दम उठाते हुए, SEBI ने पैसिव तरीक़े से मैनेज होने वाली स्कीमों के लिए म्यूचुअल फ़ंड लाइट फ़्रेमवर्क की शुरुआत की है. पैसिव फ़ंड्स के क्षेत्र में नई कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए, रेगुलेटर ने नेटवर्थ, ट्रैक रिकॉर्ड और अन्य ज़रूरी ख़ुलासे से जुड़ी शर्तों में ढील देकर संभावित स्पॉन्सरों के लिए प्रक्रिया को आसान बना दिया है.
इसके अलावा, एक्टिव और पैसिव दोनों फ़ंड्स वाले मौजूदा फ़ंड हाउस के पास अपनी पैसिव स्कीम्स को किसी दूसरी ग्रुप एंटिटी में ट्रांसफ़र करने का विकल्प होगा. इसके बाद, AMCs के पास एक कॉमन स्पॉन्सर के तहत दो फ़ंड हाउस हो सकते हैं.
आख़िरी लेकिन बेहद अहम बात, SEBI ने म्यूचुअल फ़ंड के नॉमिनी की अधिकतम संख्या को तीन से बढ़ाकर 10 कर दिया गया है.
जुलाई में SEBI के इस विषय में कंसल्टेशन जारी करने के बाद ये फ़ैसले लिए गए हैं, जिसमें इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी और म्यूचुअल फ़ंड लाइट फ़्रेमवर्क पर लोगों से प्रतिक्रिया मांगी गई थीं.
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