Anand Kumar
क़रीब दो साल पहले, मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने डेरिवेटिव ट्रेडिंग पर एक रिसर्च रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसकी शुरुआत इस वाक्य से हुई थी, "इक्विटी F&O सेगमेंट में 89% इंडीविजुअल ट्रेडर्स (यानी 10 में से 9 इंडीविजुअल ट्रेडर्स) को घाटा हुआ, जिसका औसत घाटा FY22 के दौरान ₹1.1 लाख रहा..."
जहां कुछ लोग इससे हैरान थे, वहीं इक्विटी मार्केट को क़रीब से देखने वाले किसी भी व्यक्ति को ये अप्रत्याशित नहीं लगा. ये मानी हुई बात है कि लगभग सभी इंडीविजुअल ट्रेडर्स F&O में भारी घाटा उठाते हैं, लेकिन ये महत्वपूर्ण है कि सेबी की स्टडी ने इसे एक नंबर दे दिया है. असल में, उस समय, मैंने देखा कि अगर ट्रेडर्स को लंबे समय तक ट्रैक किया जाता, तो ये नंबर और ज़्यादा होता.
अब, सेबी ने तीन फ़ाइनेंशियल ईयर: FY22, FY23 और FY24 के डेटा के आधार पर एक फ़ॉलो-अप रिपोर्ट जारी की है. इसका मुख्य नतीजा अभी भी आश्चर्यजनक नहीं है. FY24 में भी लगभग 91 प्रतिशत ट्रेडर्स ने पैसा गंवा दिया. हालांकि, ये अपडेट की गई रिपोर्ट कई दूसरे तरीक़ों से काफ़ी दिलचस्प है. इसके अनालेसिस में विस्तार से दी गई जानकारी ऐसे पैटर्न को सामने लाती है जो अगर आश्चर्यजनक नहीं तो काफ़ी दिलचस्प ज़रूर है. इनमें से कुछ इस ओर भी इशारा करते हैं कि रेग्युलेटर बदलावों को किस दिशा में ले जाना चाहिए.
मैंने इनमें से कुछ को यहां इकट्ठा किया है, जिन पर मैं अपने पाठकों का ख़ास ध्यान चाहूंगा क्योंकि इससे उन्हें ये समझने में मदद मिलेगी कि क्या चल रहा है.
इंडीविजुअल्स ने F&O में घाटा उठाया और FPI तथा प्रोप्राइटरी ट्रेडर्स ने मुनाफ़ा कमाया. प्रोप्राइटरी ट्रेडर्स ने FY24 में F&O सेगमेंट में लगभग ₹33,000 करोड़ का कुल मुनाफ़ा कमाया, उसके बाद FPI ने क़रीब ₹28,000 करोड़ का कुल मुनाफ़ा बनाया. इंडीविजुअल्स और दूसरे लोगों को FY24 में ₹61,000 करोड़ से ज़्यादा का घाटा हुआ. FPI और प्रोप्राइटरी ट्रेडर्स के लिए सबसे ज़्यादा मुनाफ़ा एल्गोरिथमिक ट्रेडिंग संगठनों ने कमाया. FY24 में FPI के मुनाफ़े का 97% और प्रोप्राइटरी ट्रेडर्स के मुनाफ़े का 96% हिस्सा ऐसी संस्थाओं से आया.
फ़्यूचर्स में घाटा उठाने वाले व्यक्तियों का प्रतिशत ऑप्शन्स के मुक़ाबले लगातार कम रहा है. FY24 में, लगभग 60% ट्रेडर्स ने फ़्यूचर्स में शुद्ध घाटा उठाया, जबकि ऑप्शन्स में ये 91.5% था. फ़्यूचर्स में, इंडीविजुअल्स ने FY24 में प्रति व्यक्ति क़रीब ₹60,000 का औसत शुद्ध लाभ कमाया, जबकि FY23 में प्रति व्यक्ति ₹1,28,000 का घाटा हुआ.
F&O में ट्रेड करने वाले युवा ट्रेडरों (30 साल से कम उम्र के) का अनुपात FY23 में 31% से FY24 में 43% तक काफ़ी बढ़ गया है. इन युवा ट्रेडरों में से लगभग 93% ने FY24 में F&O में घाटा उठाया, जो FY24 में 91.1% के औसत घाटे से ज़्यादा है. FY24 में 75% से ज़्यादा इंडीविजुअल F&O ट्रेडरों ने ₹5 लाख से कम की सालाना आमदनी घोषित की.
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FY24 में सभी F&O ट्रेडरों में से लगभग आधे (42 लाख ट्रेडर) "नए ट्रेडर" थे (यानी ऐसे ट्रेडर जिन्होंने इक्विटी F&O सेगमेंट में तीन साल में पहली बार ट्रेड किया). इन "नए ट्रेडरों" में से 92.1% ने घाटा उठाया और औसतन, FY24 में प्रति व्यक्ति लगभग ₹46,000 का शुद्ध घाटा उठाया.
FY22 से FY24 तक, इंडीविजुअल्स ने F&O में ट्रेडिंग के लिए लेनदेन लागत के रूप में ₹50,000 करोड़ से ज़्यादा का ख़र्च वहन किया. औसतन, इंडिविजुअल्स ट्रेडर्स ने FY24 में F&O लेनदेन लागत पर प्रति व्यक्ति ₹26,000 ख़र्च किए. क़रीब 71% लेनदेन लागत ब्रोकरेज (TC का 51%) और एक्सचेंज फ़ीस (TC का 20%) के रूप में थी; बाक़ी कर थे.
तो ये कहानी है: F&O में ट्रेड करने वाले लोगों की संख्या में लगातार भारी बढ़ोतरी हो रही है. बड़ी संख्या में लोगों की आमदनी कम है. इंडीविजुअल पैसे गंवाते हैं जबकि बड़े ऑपरेटर पैसे कमाते हैं. याद रखें, डेरिवेटिव एक ज़ीरो-सम खेल है; सारा मुनाफ़ा किसी और के नुक़सान से आता है. उसके ऊपर, भारी ब्रोकरेज और एक्सचेंज फ़ीस है.
इसका नतीजा निकालना ज़रूरी है. आपने कई लोगों (अतीत में मेरे सहित) को ये कहते हुए सुना होगा कि ये एक जुआ है. वास्तव में, ये डेटा दिखाता है कि ऐसा नहीं है, बल्कि ये डकैती है. एक्सचेंज, ब्रोकर और बड़े एल्गो ट्रेडर छोटे निवेशकों की जेब से पैसे ले रहे हैं.
सवाल ये है कि रेग्युलेटर इसके बारे में क्या करेगा?
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