इंटरव्यू

बैंक और FMCG इस महंगे बाज़ार में भी वैल्यू देंगे

एक्सिस म्यूचुअल फ़ंड में इक्विटी प्रमुख श्रेयश देवलकर के साथ ख़ास बातचीत

Mutual Fund: sectors जिनमें अभी भी value मिलेगी

एक्सिस म्यूचुअल फ़ंड में इक्विटी के प्रमुख श्रेयश देवलकर ने ज़ोर देकर कहा कि, 'एक्सिस में, क्वालिटी हर चीज़ का आधार है.' 2016 में फ़ंड मैनेजर के तौर पर एक्सिस AMC में आने के बाद, वे 2023 से इक्विटी डिवीज़न का संचालन कर रहे हैं. इस समय एक्सिस ब्लूचिप, मिडकैप, टैक्स सेवर और ग्रोथ ऑपर्च्युनिटीज समेत प्रमुख फ़ंड्स मैनेज करते हैं, जिनकी कुल संपत्ति ₹1.3 लाख करोड़ से ज़्यादा है.

वैल्यू रिसर्च के साथ ख़ास बातचीत में देवलकर बताते हैं कि वे बाज़ार के रिकॉर्ड-हाई वैल्यूएशन को कैसे नेविगेट कर रहे हैं. उन्होंने हाल के पोर्टफ़ोलियो एडजस्टमेंट, सेक्टर रोटेशन और ग्लोबल रेट कट के संभावित असर पर भी जानकारी दी.

इक्विटी मार्केट नई ऊंचाइयां छू रहे हैं. इस तेज़ी के पीछे क्या कारण है और क्या ये लंबे समय तक जारी रह सकती है?

पिछले तीन-चार साल में हमने जो तेज़ी देखी है, वो मुख्य रूप से सभी सेक्टर के माइक्रो फ़ैक्टर: अर्निंग ग्रोथ के कारण है. पिछले दशक (2010-2020), ख़ासतौर पर दूसरी छमाही में, कुछ सेक्टर और कंपनियों में बढ़ोतरी देखी गई, जिसके कारण वैल्यूएशन का ध्रुवीकरण हुआ - ज़्यादातर B2B सेक्टर सिकुड़े हैं (कम्प्रेशन हुआ) और कुछ सेक्टर जो अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे उनमें विस्तार हुआ (एक्सपैंशन) है. मौजूदा तेज़ी ने निवेश से लेकर एक्सपोर्ट और कन्ज़म्शन तक अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टरों को अपने घेरे में ले लिया है, और इसके नतीजे में वैल्यूएशन कम्प्रेशन में उलटफेर हुआ है. हाई वैल्यूएशन के बावजूद मज़बूत अर्निंग ग्रोथ के कारण मार्केट में तेज़ी रही है.

टॉप-डाउन नज़रिए से, हमें उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के कुछ बुनियादी पहलू, जिनमें फ़िस्कल डेफ़िसिट, करंट अकाउंट डेफ़िसिट, इनफ़्लेशन और इंटरेस्ट रेट शामिल हैं, नीचे की ओर बढ़ेंगे, यही वजह है कि भारत बाक़ी दुनिया से बेहतर दिखाई देता है. हाई वैल्यूएशन के बावजूद, मार्केट मैक्रो स्टेबिलिटी में राहत महसूस कर रहे हैं.

वैल्यूएशन के हाई रिकॉर्ड पर होने के साथ आप मार्केट में वैल्यू कैसे पा रहे हैं?

मुझे मार्केट में ज़्यादा वैल्यू नहीं दिख रही है. कुछ सेगमेंट ओवरवैल्यूड हैं, और कुछ दूसरे दूसरे सेगमेंट कम ओवरवैल्यूड हैं. भारतीय बाज़ार कभी भी सस्ता नहीं रहा है, और ये संभावना नहीं है कि कोई इस बाज़ार में कहीं भी एब्सल्यूट वैल्यू पा सके.

लेकिन तुलना के आधार पर, अगर आप कई सेक्टरों पर ध्यान दें, जो कि ज़्यादातर लार्ज कैप में दिखाए जाते हैं, तो आप प्राइवेट सेक्टर फ़ाइनेंशियल्स, ख़ासतौर पर बैंकों में रेलेटिव वैल्यू या सापेक्ष मूल्य देख सकते हैं, जहां कोई रेटिंग नहीं हो रही है, और यहां तक कि फ़ास्ट-मूविंग कंज़्यूमर गुड्स (FMCG) सेक्टर में भी. हमने देखा है कि भारत में FMCG सेक्टर ने लगातार हाई वैल्यूएशन पाया है. आज भी, FMCG सेक्टर महंगा बना हुआ है. अगर हम फ़ार्मा और IT सेक्टर को देखें, तो उन्हें बाज़ार में दूसरे B2B सेक्टर की सीमा तक री-रेट नहीं किया गया है, उनके कोविड से पहले के वैल्युएशन की तुलना में. इसलिए मोटे तौर पर, ये ऐसे सेक्टर हैं जहां कोई सापेक्ष तौर पर वैल्यू पा सकता है.

आप ऐसे ग्रोथ स्टॉक की पहचान कैसे करते हैं जो रिस्क और रिवॉर्ड के बीच अच्छा बैलेंस बनाते हैं, ख़ासकर मौजूदा हाई वैल्यूएशन जैसे समय में?

आज के समय में बाज़ार में हर चीज़ महंगी है. क़रीब डेढ़ साल पहले, ऐसे कई सेक्टर थे, जहां मार्केट में वैल्यू मिल सकती थी. हालांकि, कैश के मौजूदा फ़्लो और बाज़ार के ऊपर बढ़ने को देखते हुए, पारंपरिक नज़रिए से सब कुछ अपेक्षाकृत महंगा लगता है.

जहां तक शेयर चुनने की बात है, हमारे लिए सब कुछ वैसा ही रहा है. चूंकि सभी जगह वैल्यूएशन महंगा है, इसलिए हम शायद इस समय सबसे अच्छी कंपनियों और सेक्टर पर ही टिके हुए हैं. सेक्टर के बीच रोटेशन काफ़ी तेज़ है, और अगर आप एक साल की समय सीमा को देखें, तो सबसे अच्छी बढ़ोतरी वाली कंपनियां पॉज़िटिव रिटर्न देंगी. कुछ कंसॉलिडेशन हो सकता है, क्योंकि पिछले तीन से चार साल में, टॉपलाइन और मार्जिन सरप्राइज़ के ज़रिए कई सेक्टरों और सेगमेंट्स में अर्निंग अपग्रेड हुई है. अब जबकि ये स्थिति ख़त्म हो रही है, ये उम्मीद करना वास्तविक नहीं कि हर कंपनी के लिए तिमाही आधार पर मार्जिन सरप्राइज़ जारी रहेगा. इसलिए, हम देखते हैं कि बाज़ार में कुछ कंसॉलिडेशन हो रहा है और उन नामों में पैसा बह रहा है जो लंबे समय के आधार पर ग्रोथ डिलिवर कर रहे हैं.

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AMC स्तर पर, हमने मज़बूत ग्रोथ ओरिएंटेशन से ज़्यादा रेलेटिव ग्रोथ अप्रोच की ओर बदलाव देखा है, जबकि क्वालिटी पर अभी भी मज़बूती से फ़ोकस किया गया है. क्या निवेशक उम्मीद कर सकते हैं कि क्वालिटी पर दिया गया ध्यान आगे भी जारी रहेगा?

एक्सिस में हम सभी के लिए, क्वालिटी हर चीज़ का आधार है. फिर से, मैं विस्तार से बताना चाहूंगा कि क्वालिटी का क्या मतलब है. हम क्वालिटी को इक्विटी पर बेहतर रिटर्न, हाई कैश फ़्लोऔर अच्छे कॉर्पोरेट गवर्नेंस के तौर पर परिभाषित करते हैं. सेक्टर से सेक्टर में कुछ अलग चीज़ें हो सकते हैं, जैसे कुछ उभरते हुए सेक्टर जो इस समय घाटे में चल रहे हैं. हालांकि, हमारा ध्यान ये तय करने पर है कि क्या कंपनियां डुओपॉली स्ट्रक्चर के क़रीब हैं और क्या प्रॉफ़िटेबिलिटी की ओर कोई रास्ता जाता है.

इसलिए, हम इन मेट्रिक्स को उन व्यवसायों से ज़्यादा प्राथमिकता देते हैं जो आंतरिक तौर पर कम क्वालिटी वाले हैं और प्रॉफ़िटेबिलिटी लाने में कोई रोल अदा नहीं करते हैं. ये क्वालिटी फ़ैक्टर हैं, और मेरा मानना ​​है कि हमने लगातार उन्हें प्राथमिकता दी है और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेंगे. इन पहलुओं पर ध्यान देना ज़रूरी है क्योंकि वे आज के बाज़ार में आसानी से उपलब्ध नहीं हो सकते हैं.

आपने प्रदर्शन में सुधार के लिए नौ महीने पहले पोर्टफ़ोलियो एडस्टमेंट और स्टॉक होल्डिंग बढ़ाने की बात कही थी. फिर भी, एक्सिस ब्लूचिप और ELSS जैसे कुछ प्रमुख फ़ंड अभी भी संघर्ष कर रहे हैं. आपको कब लगता है कि निवेशक बदलाव देखेंगे?

हमने अपने पोर्टफ़ोलियो में जो एडजस्टमेंट किए हैं, उनसे हमारे ज़्यादातर फ़ड्स में एक साल और उससे भी ज़्यादा समय के आधार पर नतीजे मिलने लगे हैं. एक्सिस ELSS टैक्स सेवर फ़ंड ने 2024 में ईयर-टू-डेट (YTD) के आधार पर पर अपने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया है, जबकि एक्सिस ब्लूचिप ने मोटे तौर पर बेंचमार्क के मुताबिक़ प्रदर्शन किया है. भविष्य के बारे में कुछ कहना चुनौती भरा है, लेकिन क्वालिटी और ग्रोथ पर हमारा फ़ोकस आगे भी जारी रहेगा.

आप वैल्यू कैटेगरी में अपेक्षाकृत नए खिलाड़ी हैं, एक्सिस वैल्यू के बाद आपने सिर्फ़ दो फंड लॉन्च किए हैं. वैश्विक दरों में कटौती के साथ, आप इसे ग्रोथ और वैल्यू स्टॉक पर किस तरह का असर देखते हैं?

हर साइकिल अलग होती है, और इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी के इस साइकिल के कारण काफ़ी मज़बूत बढ़ोतरी हुई है. यही स्थिति 2006-09 के दौरान भी हुई थी, और अब भी यही हो रही है, जब महंगाई दर और ब्याज दर बढ़ने के बावजूद ग्रोथ मज़बूत बनी हुई है.

बात जब बाज़ार की आती है, ख़ासकर भारतीय बाज़ारों की तो हमने वैल्यूएशन में भी काफ़ी तेज़ी से बढ़ोतरी देखी है. इसलिए, ब्याज दर के साइकिल के उलटे होने पर वैल्यूएशन में और बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. मेरा मानना ​​है कि शेयर की क़ीमतें वैल्यूएशन की तुलना में अर्निंग में बढ़ोतरी को लेकर ज़्यादा संवेदनशील होती हैं. इसलिए, सेक्टर के भविष्य का प्रदर्शन अर्निंग में बढ़ोतरी से प्रभावित होगी.

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साल की शुरुआत से मिड-कैप फ़ंड के प्रदर्शन में सुधार हुआ है. हमने देखा है कि पिछले आठ महीनों में स्टॉक की संख्या बढ़ी है, जिसमें नए शेयरों ने सकारात्मक योगदान दिया है. साथ ही, आपने कुछ कम प्रदर्शन करने वाले लॉन्ग-टर्म होल्डिंग्स को बेच दिया है. किसी शेयर को कब बेचना है, ये तय करने के लिए आपके मानदंड क्या हैं, ख़ास तौर पर इन हालिया पोर्टफ़ोलियो एडजस्टमेंट के साथ?

पिछले तीन साल में पोर्टफ़ोलियो में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं. कोविड ख़त्म होने के बाद की आर्थिक रिकवरी के बाद, हमने 2022-23 में बदलावों को लागू करना शुरू किया, जो 2024 तक जारी रहे. जैसा कि आपने देखा होगा, पिछले कुछ महीनों में, हमने बाज़ार के कुछ सबसे महंगे हिस्सों, जैसे इंडस्ट्रियल सेक्टर में अपना रिस्क कम कर दिया है, जबकि फ़ार्मा सेक्टर में अपना रिस्क बढ़ा दिया है. असल में, वैल्युएशन और बाज़ार में आने वाले मौक़े, दोनों ही, इन फ़ंड्स के फ़ैसलों या बदलावों पर असर करते हैं. ये ख़ासतौर स मिड- और स्मॉल-कैप कैटेगरी के लिए प्रासंगिक है, क्योंकि मेरा मानना ​​है कि कुछ व्यवसायों में बड़ी ग्रोथ हो सकती है.

हम उन कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिनमें ऑर्बिट को बदलने की क्षमता होती है. अगर कोई कंपनी ऐसा पैटर्न दिखाती है, तो वैल्युएशन किसी बड़ी चिंता का कारण नहीं होना चाहिए. अगर आप एक्सिस मिडकैप फ़ंड को देखें, तो पोर्टफ़ोलियो में टॉप 10 में से तीन से चार कंपनियों ने अपने हाई वैल्यूएशन के बावजूद रिटर्न दिया है. ये कंपनियां अपने फ़ॉर्मैट की नकल करके या अपने प्लेटफ़ॉर्म को दूसरे सेगमेंट में बढ़ा कर अपनी फ़ील्ड से बाहर निकल सकती हैं. ये फ़ैक्टर अहमियत रखते हैं, और हम इन पैमानों पर बारीक़ी से नज़र रखते हैं, ताकि ये तय किया जा सके कि शेयरों को बनाए रखना है या बेचना है, उनके वैल्युएशन को ध्यान में रखते हुए. इसके अलावा, शेयर बेचते समय अर्निंग में गिरावट का साइकिल अहम पैरामीटर बना हुआ है.

ELSS, फ़ोकस्ड और ग्रोथ ऑपर्च्युनिटीज़ फ़ंड में मिड और स्मॉल कैप में आपका निवेश अपेक्षाकृत कम है. इस फ़ैसले को क्या प्रेरित कर रहा है, ख़ासकर तब जब मिड और स्मॉल कैप अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं?

अगर हम एक्सिस ग्रोथ ऑपर्च्युनिटीज़ फ़ंड को देखें, तो इसमें कैटेगरी की परिभाषा के अनुसार मिड कैप में निवेश काफ़ी है. हालांकि, फ़ंड में कुछ विदेशी इक्विटी को शामिल करने के कारण, मिड और स्मॉल कैप शेयरों में हमारा निवेश हमारी इंडस्ट्री के साथियों की तुलना में कम लग सकता है. हालांकि, अतीत में, हमने फ़ंड में अपने विदेशी निवेश को कम किया है और लार्ज और मिड-कैप नाम जोड़े हैं.

एक्सिस फ़्लेक्सी कैप फ़ंड के बारे में, हमने लार्ज, मिड और स्मॉल कैप में कई स्टॉक जोड़े हैं. अर्थव्यवस्था के कंज़म्शन वाले पक्ष पर पूरी तरह निर्भर रहने के बजाय, मैं तर्क दूंगा कि सभी इक्विटी फ़ंड कंज़म्शन, इन्वेस्टमेंट और एक्सपोर्ट जैसे थीम में डाइवर्सिटी दिखाते हैं. सभी फ़ंड - बताए फ़ंड्स के अलावा - उस सीमा तक डाइवर्स हैं.

एक्सिस मल्टीकैप फ़ंड ने 2023 और 2024 में शानदार प्रदर्शन किया है, जिसकी कुछ वजह मिड- और स्मॉल-कैप एक्सपोज़र है. क्या आप सहमत हैं? इस फ़ंड के लिए क्या कारगर रहा है?
निश्चित ही, पिछले तीन से चार साल में मिड- और स्मॉल-कैप कैटेगरी ने काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया है. इसलिए, मिड और स्मॉल कैप में ज़्यादा एलोकेशन हमारे प्रदर्शन का नुस्ख़ा रहा है. हालांकि, फ़ंड ने काफ़ी हद तक स्टॉक के चुनाव और डायवर्सिफ़िकेशन के कारण अच्छा प्रदर्शन किया है.

क्या ऐसे कोई सेक्टर हैं जो इस समय मार्केट से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं? आप उनके बारे में क्या आशावादी बनाता है?

पिछले छह से नौ महीनों में बाज़ार में मज़बूत सेक्टर रोटेशन देखने को मिला है, और मज़बूत सेक्टर कॉल लेने में फ़ायदा है. हालांकि, सालाना आधार पर, कुछ अच्छे प्रदर्शन वाले शेयरों में निवेश करने से ख़ास सैक्टरों या थीम में निवेश करने की तुलना में बेहतर नतीजे मिलेंगे. इस साइकिल में बाज़ार की कुछ थीम जैसे कि पावर,डिफ़ेंस, EMS और फ़ार्मा द्वारा संचालित होता है. थीम-बेस्ड नज़रिए के मुक़ाबले बॉटम-अप स्टॉक-पिकिंग नज़रिया बेहतर होगा.

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