AI-generated image
ओला इलेक्ट्रिक के IPO ने लिस्टिंग के दिन ही शानदार रिटर्न दिया और इसके कुछ ही सप्ताह बाद, उसको बिज़नस में सीधे टक्कर दे रही कंपनी एथर एनर्जी ने 9 सितंबर 2024 को अपने IPO के कागज़ात दाखिल कर दिए. बेंगलुरु स्थित इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बनाने वाली कंपनी एथर एनर्जी का लक्ष्य नए इश्यू के ज़रिए ₹3,100 करोड़ जुटाना है.
एथर के बारे में काफ़ी चर्चा है, लेकिन नज़दीक से देखने पर इसके फ़ाइनेंशियल्स से जुड़ी दिक़्क़तों का पता चलता है. तो, आइए इस ई-स्कूटर मैन्यूफ़ैक्चरर की दिक्क़तों को समझते हैं:
1. महंगे EV स्कूटर
FY24 तक, एथर के एंट्री-लेवल स्कूटर की क़ीमत ₹1.12 लाख से शुरू होती है, जो स्मार्ट हेलमेट इंटीग्रेशन और इंटर-सिटी ट्रिप प्लानर जैसी कुछ हाई-टेक सुविधाओं की वजह से है.
ओला इलेक्ट्रिक का सबसे कम क़ीमत वाला मॉडल ₹80,000 में आता है, जो रेगुलर ख़रीदारों के लिए एक बढ़िया विकल्प है.
इसी वजह से, ओला इलेक्ट्रिक ने 3.29 लाख यूनिट की बिक्री दर्ज़ की जबकि एथर ने 1.09 लाख यूनिट से थोड़ी ज़्यादा की बिक्री दर्ज़ की.
2. ब्रांडिंग का लक्ष्य अधूरा है
ओला इलेक्ट्रिक को भी अपनी स्थापित ब्रांड की मौजूदगी का फ़ायदा मिलता है, जिसकी एक वजह ओला मोबाइल ऐप के ज़रिए दी जाने वाली राइड सर्विस है.
यहां तक कि एथर के फ़ाउंडर तरुण मेहता भी मानते हैं, "उनकी (Ola) मार्केटिंग बहुत अच्छी है!" बेहतर प्रोडक्ट होने के बावज़ूद, एथर एनर्जी को उन्हें ओला की तरह असरदार ढंग से बेचने के लिए जूझना पड़ता है.
मज़ेदार बात ये है कि भले ही एथर ने पिछले तीन साल में मार्केटिंग पर ओला से ज़्यादा ख़र्च किया हो (ओला के ₹190 करोड़ के मुक़ाबले ₹340 करोड़), फिर भी ओला बिक्री में एथर से आगे है. यहां तक कि ओला ने अपनी बिक्री को दोगुने से ज़्यादा कर दिया है, जबकि एथर की बिक्री में मामूली 19 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
3. क्षमता का पूरा इस्तेमाल न हो पाना
इस समय एथर का कैपेसिटी युटीलाइज़ेशन इसकी मौजूदा 4.2 लाख-यूनिट की कैपेसिटी का 29 फ़ीसदी है, जो कि बहुत ही कम है. हालांकि, ये अपनी प्रोडक्शन कैपेसिटी को 1.42 मिलियन यूनिट तक बढ़ाने के लिए कमर कस रही है.
दूसरी ओर, ओला अपने रिसोर्स का बेहतर इस्तेमाल कर रही है. लगभग 6.8 लाख यूनिट की कैपेसिटी के साथ, इस समय इसका कैपेसिटी युटीलाइज़ेशन 49 फ़ीसदी है. कंपनी अपने प्रोडक्ट पोर्टफ़ोलियो को भी तेज़ी से बढ़ा रही है, और इसने हाल ही में ई-बाइक लॉन्च करने की घोषणा की है, जिससे वॉल्यूम बढ़ाने में मदद मिलेगी.
ये भी पढ़िए - क्या बिज़नेस साइकल फ़ंड में निवेश करना सही है?
4. कम मार्जिन
दोनों कंपनियां घाटे में चल रही हैं, लेकिन ओला की फ़ाइनेंशियल स्थिति थोड़ी कम ख़राब है.
ओला इलेक्ट्रिक ने FY24 में 16 फ़ीसदी का ग्रॉस मार्जिन हासिल किया, जो एथर एनर्जी के 9 फ़ीसदी से ज़्यादा है क्योंकि एथर के टेक-हैवी नज़रिये की वज़ह से R&D ख़र्च और कर्मचारी ख़र्च ज़्यादा होता है.
एथर से आगे है ओला
ओला इलेक्ट्रिक, वॉल्यूम और मुनाफ़े के मामले में एथर एनर्जी से आगे है
पैरामीटर | ओला इलेक्ट्रिक | एथर एनर्जी |
---|---|---|
यूनिट सेल | 3.29 लाख | 1.09 लाख |
रेवेन्यू (करोड़ ₹) | 5,010 | 1,754 |
ग्रॉस मार्जिन (%) | 16.50 | 9.00 |
EBITDA मार्जिन (%) | -19.80 | -36.00 |
नोट: FY24 तक का डेटा है |
इंवेस्टर ध्यान दें
एथर की महत्वाकांक्षी एक्सपेंशन योजनाएं अभी लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाई हैं. इसका ज़्यादा प्रोडक्शन ख़र्च, कम कैपेसिटी युटीलाइज़ेसन और ज़्यादा कैश बर्न चिंताजनक बातें हैं.
हालांकि, इसकी हर चीज़ दिक़्क़त भरी नहीं है. एथर का ऑपरेटिंग लिवरेज ज़्यादा है. दूसरे शब्दों में, अगर ये स्टार्टअप अपना कैपेसिटी युटीलाइज़ेसन बढ़ा ले, तो इसके मार्जिन में नाटकीय रूप से सुधार हो सकता है.
इसके उलट, ओला इलेक्ट्रिक की सफलता की वज़ह, फ़िलहाल के लिए, समझदार प्राइसिंग, रिसोर्स का असरदार इस्तेमाल और मज़बूत ब्रांड हैं. इसने ख़ुद का लिथियम-आयन सेल प्रोडक्शन भी शुरू कर दिया है, जिसका इस्तेमाल FY26 की पहली तिमाही से उनके EV में किए जाने की उम्मीद है. इससे मार्जिन में और सुधार हो सकता है और प्रतिस्पर्धा में फ़ायदा भी मिल सकता है.
फिर भी, निवेशकों को ये याद रखना चाहिए कि दोनों कंपनियां बहुत ज़्यादा साइक्लिक इंडस्ट्री में काम करती हैं और अभी भी घाटे में चल रही हैं.
ये भी पढ़िए- क्या इलेक्ट्रिक व्हीकल्स आपके निवेश के सफर को दमदार बना सकते हैं?