मिड और स्मॉल कैप की बेहद उतार-चढ़ाव भरी दुनिया में नाम बनाना आसान नहीं है, और मनीष लोढ़ा ने यही किया है. उनके पास 25 साल का अनुभव है और वे इस समय महिंद्रा मैनुलाइफ के 11 फ़ंड्स की अगुआई कर रहे हैं. लेकिन मिड-कैप (वैल्यू रिसर्च की 4-स्टार रेटिंग) और स्मॉल-कैप फ़ंड के हालिया शानदार प्रदर्शन से उन्होंने सभी का ध्यान खींचा है.
हमारी बातचीत के दौरान उन्होंने इसके कारण बताए. (हम इसलिए भी जानने के लिए उत्सुक रहे, क्योंकि मिड-कैप और स्मॉल-कैप फ़ंड्स
इसके अलावा, कोलकाता के रहने वाले मनीष लोढ़ा ने अपनी निवेश फ़िलॉसफ़ी भी हमारे साथ शेयर की और बताया कि क्यों उन्हें लगता है कि मिड- और स्मॉल-कैप स्पेस "भारत के आर्थिक विकास के अगले चरण के लिए ज़्यादा प्रासंगिक होती जा रही है”. बातचीत में उन्होंने उन सेक्टरों पर भी रोशनी डाली जो उन्हें सबसे ज़्यादा संभावनाओं वाले लगते हैं.
यहां हम इंटरव्यू का संपादित रूप पेश कर रहे हैं.
शुरुआत में ऐसा क्या था जिसने आपको इक्विटी निवेश की ओर आकर्षित किया? क्या कोई ऐसा ख़ास पल या अनुभव था जिसने आपकी दिलचस्पी जगाई?
ये कलकत्ता (अब कोलकाता) में मेरे स्कूल के दिनों की बात है. कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज मेरे स्कूल से बस कुछ ही दूरी पर था. 90 के दशक के मध्य में, शेयर बाज़ार तेज़ी से बढ़ रहे थे, और मेरे कुछ बैचमेट स्कूल के बाद एक्सचेंज में जाते थे. कलकत्ता स्टॉक निवेशकों के लिए एक हलचल भरा केंद्र था, जो सीखने और कमाई दोनों के मौक़े देता था.
जब बाज़ार में गिरावट आई (हर्षद मेहता घोटाले के बाद), तो मुझे जल्दी ही पता चल गया कि बदलाव बाज़ार के स्वभाव में ही है, जिसके लिए लगातार अध्ययन और रिसर्च की ज़रूरत होती है. मैंने समाचार पत्र और पत्रिकाएं पढ़ना शुरू किया, जिससे स्टॉक निवेश में मेरी दिलचस्पी जागी. जब मैं स्टॉक मूवमेंट को कंपनी के मूल सिद्धांतों से जोड़ सकता था और मैनेजमेंट के बारे में ज़्यादा जान सकता था, तो मुझे एक अलग नज़रिया मिला. बाद में, अपनी कॉलेज की डिग्री हासिल करने और चार्टेर्ड अकाउंटिंग (CA) सर्टिफ़िकेट पाने के दौरान, मैंने बाज़ारों में निवेश करना शुरू किया, जिसने मेरी यात्रा की शुरुआत की.
आप अपनी निवेश फ़िलॉसफ़ी को कैसे परिभाषित करेंगे? किस तरह के स्टॉक या बाज़ार की स्थितियां आपको उत्साहित और प्रेरित करती हैं?
भारत स्वभाव से एक ग्रोथ वाली अर्थव्यवस्था है, और स्टॉक निवेश के प्रति मेरा नज़रिया इस ग्रोथ माइंडसेट को दिखाता है. मेरा मानना है कि वैल्यू और ग्रोथ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं; एक बिज़नस जो पिछले 10 साल से बढ़ रहा है, वो वैल्यू दे सकता है, और इसी तरह इसका उलटा भी होता है. मैं बाज़ारों को इस आधार पर नहीं देखता कि वे बुल या बेयर मार्केट में हैं, क्योंकि इससे मेरी क्षमताएं सीमित हो जाएंगी. मैं हमेशा बाज़ार से संबंधित सभी नज़रिए को देखने और उसके मुताबिक़ पोर्टफ़ोलियो बनाने की कोशिश करता हूं.
ये मेरा मूल दर्शन रहा है: बाज़ार का हरेक फ़ेज़ मौक़े देता है- चाहे वो ग्रोथ के लिए हो या सीखने के लिए. चूंकि भारत स्वाभाविक रूप से एक ग्रोथ मार्केट है, इसलिए हम ग्रोथ से अपना ध्यान नहीं हटा सकते.
आपके निवेश का प्रोसेस क्या है? आप पोर्टफ़ोलियो के लिए स्टॉक कैसे चुनते हैं?
हमारी रणनीति चार महत्वपूर्ण स्तंभों पर आधारित है: ग्रोथ, कैश फ़्लो, मैनेजमेंट और वैल्यूएशन. सबसे पहले, हम लगातार ग्रोथ करने करने वाली कंपनियों की तलाश करते हैं. दूसरा, हम बेहतर कैश फ़्लो पैदा करने वाली कंपनियों को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि हम उन व्यवसायों को प्राथमिकता देते हैं जो ग्रोथ के लिए बाहरी कैपिटल पर निर्भर नहीं करते हैं, ख़ासकर तब, जब एक्सटर्नल कैपिटल हमेशा उपलब्ध नहीं होता है.
मैनेजमेंट का इवैल्यूएशन करते समय, हम उनके द्वारा पहले किए गए कैपिटल एलोकेशन पर विचार करते हैं. अंत में, हम वैल्यूएशन पर विचार करते हैं. अगर कोई चीज़ अच्छी और आकर्षक है, तो उसके प्राइस अर्निंग मल्टीपल हाई रह सकते हैं जब तक कि उसकी ग्रोथ, मैनेजमेंट या कैश फ़्लो में अंतर्निहित मान्यताओं में बदलाव न हों.
अब, जब हम अवसरों या स्टॉक की पहचान करते हैं, तो हम देखते हैं कि जिस उद्योग से व्यवसाय संबंधित है, वो बढ़ रहा है या नहीं और क्या कंपनी में अच्छे और सक्षम प्रबंधन के साथ, समय रहते बाज़ार हिस्सेदारी हासिल करने की क्षमता रखती है या नहीं. हम हमेशा कहते हैं कि किसी को केवल स्टॉक की क़ीमतों पर नहीं, बल्कि मैनेजमेंट पर ध्यान देना चाहिए. अगर आप मैनेजमेंट पर दांव लगा रहे हैं, तो आप व्यवसाय में मंदी, तेज़ी या चुनौतियों से निपटने की उनकी क्षमता पर भी विचार कर रहे हैं.
हम मैक्रो-लेवल घटनाओं पर भी नज़र रखते हैं, उन्हें माइक्रो-लेवल अवसरों से जोड़ते हैं, और अपने पोर्टफ़ोलियो को उसी के मुताबिक़ तैयार करते हैं.
इक्विटी बाज़ारों में काफ़ी तेज़ी देखी गई है, जो सभी बाधाओं को झुठलाती हुई नज़र आ रही है. आपको क्या लगता है कि इस मौजूदा उछाल का कारण क्या है? क्या इसके पीछे मज़बूत बुनियादी कारण हैं, या ये निवेशकों की भावनाओं पर निर्भर करता है?
ये दोनों का मिश्रण है. अगर हम स्टॉक के फ़ंडामेंटल्स की जांच करें, तो हम देख सकते हैं कि सितंबर 2021 में निफ़्टी लगभग 18,000 से बढ़कर लगभग 25,000 के मौजूदा स्तर पर पहुंच गया है, साथ ही इनकम में भी बढ़ोतरी हुई है. वर्तमान में, हम वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच भारत को एक सापेक्ष आशा की किरण के रूप में देखते हैं. अपने डेमोग्राफ़िक और अगले पांच से सात साल में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता के साथ, भारत एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है. ये फ़ैक्टर निवेशकों के बीच सकारात्मक भावना में योगदान दे रहे हैं.
घरेलू निवेशकों के नज़रिए से, भावनाएं सकारात्मक रही हैं, ख़ासतौर पर पिछले 05 से 10 साल के दौरान. डिजिटाइज़ेशन और जानकारियों की उपलब्धता के कारण लोगों ने ये समझ लिया है कि भारत जैसी अर्थव्यवस्था में अगर आप पांच साल या उससे ज़्यादा समय तक बाज़ार में हैं, तो आप धन कमा सकते हैं.
पहले, जब बाज़ार में गिरावट आती थी, तो निवेशक या तो अपनी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) को रोक देते थे या अपने फ़ंड निकाल लेते थे. हालांकि, पिछले चार साल में हमने देखा है कि बाज़ार में गिरावट के दौरान, निवेशक अपने SIP में निवेश करना जारी रखते हैं और रुकते नहीं हैं. इसलिए, मेरा मानना है कि निवेश के प्रति उनका नज़रिया ज़्यादा मज़बूत हुआ है, और अब वे समझते हैं कि सही निवेश भागीदार, फ़ंड मैनेजर या फ़ंड हाउस के साथ साझेदारी करना अगले पांच से सात साल में धन सृजन के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर दे सकता है.
वैल्युएशन, ख़ासतौर से मिड- और स्मॉल-कैप सेग्मेंट में, काफ़ी बढ़ा हुआ दिखता है. क्या ये वैल्युएशन सही हैं, या क्या हम संभावित रूप से गिरावट की ओर बढ़ रहे हैं? आपके विचार में, ऐसा सुधार किस वजह से हो सकता है?
मेरे विचार में, आर्थिक विकास के अगले चरण के लिए मिड और स्मॉल कैप एक क्षेत्र के रूप में ज़्यादा प्रासंगिक होते जा रहे हैं. फिर भी, कुछ क्षेत्रों में वैल्युएशन महंगा है. हालांकि, अगर आप बॉटम-अप स्टॉक-पिकिंग का नज़रिया अपनाते हैं, तो कुछ थीम और सेक्टर भविष्य में लार्ज-कैप कंपनियों में ग्रोथ की क्षमता रखते हैं. ये व्यवसाय अगले 15 से 20 साल में ज़्यादा प्रासंगिक हो जाएंगे.
उदाहरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफ़ैक्चरिंग सर्विस (EMS) सेक्टर, संपूर्ण इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) इकोसिस्टम, नॉन बैंकिंग फ़ाइनेंशियल कंपनीज़ (NBFC), संपूर्ण कैपिटल मार्केट और फ़ार्मास्युटिकल इंडस्ट्री के स्टॉक आने वाले साल में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी के लिए कई मौक़े पेश करते हैं. न केवल सिग्निफ़िकेंट ग्रोथ होने की उम्मीद है, बल्कि इसके लंबे समय तक बने रहने की उम्मीद है. जब हम अगले पांच से सात साल में इन कंपनियों या थीम से अपेक्षित अतिरिक्त रिटर्न को घटाते हैं, तो वैल्युएशन सही लगता है.
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महिंद्रा मिड कैप और स्मॉल कैप फ़ंड ने 2023 और यहां तक कि 2024 में भी अच्छा प्रदर्शन किया है. प्रदर्शन में किन कारकों ने योगदान दिया है, और कौन से स्टॉक कॉल या सेक्टोरल एलोकेशन ने फ़ंड के लिए अच्छा काम किया है?
मेरा मानना है कि प्रदर्शन हमारी मज़बूत प्रक्रिया का परिणाम है. पिछले दो साल के बेहतर प्रदर्शन के लिए एक कारण बताना मुश्किल है, क्योंकि हम हमेशा अपने मूल निवेश दर्शन पर टिके रहते हैं. मैं कह सकता हूं कि हम थोड़े समय के लिए रिटर्न पर समझौता करने को तैयार हैं, लेकिन प्रक्रिया पर नहीं. फिर भी, कैपिटल गुड्स, पूरा इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) इकोसिस्टम, कुछ केमिकल कंपनियां, टेलिकॉम और कुछ फ़ार्मा स्टॉक जैसे क्षेत्रों ने हमारे प्रदर्शन में बड़ा योगदान दिया है.
यहां तक कि पावर सेक्टर ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि हम इस पर काफ़ी आशावादी हैं. हमारा मानना है कि भारत में बिजली की कहानी बहुत अच्छी तरह से सामने आ रही है. पिछले दशक में, पावर सेक्टर में कोई निवेश नहीं था, लेकिन अब हम तीन मोर्चों पर बिजली की बढ़ती मांग देख रहे हैं. एक है व्यक्तिगत या घरेलू बिजली की खपत; दूसरा, हमारे सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में विनिर्माण-आधारित वृद्धि के लिए भी बिजली की ज़रूरत होती है.
आख़िर में, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा केंद्रों के उद्भव ने बिजली की खपत में काफ़ी बढ़ी है. अपनी सीमाओं के भीतर डेटा संग्रहीत करने की भारत की इच्छा ने कई डेटा केंद्रों की स्थापना की है, जिनके लिए महत्वपूर्ण स्तर की बिजली की ज़रूरत होती है. मेरा मानना है कि ये कुछ प्रमुख विषय हैं जिन्होंने हमारे बेहतर प्रदर्शन में योगदान दिया है.
मिड और स्मॉल-कैप स्पेस में वैल्यू पाना आसान नहीं है. क्या कोई ख़ास क्षेत्र या उद्योग हैं जहां आप वर्तमान में ऐसी क्षमता देखते हैं जिनका इस्तेमाल नहीं हुआ है?
हम पिछले दो या तीन महीनों से केमिकल सेक्टर पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इस क्षेत्र ने 2021 में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन उसके बाद, चीन से बुनियादी केमिकल की व्यापक आपूर्ति हुई, जिससे इस क्षेत्र की क़ीमतों में कमी आई. पिछले दो साल में, इस क्षेत्र ने लाभप्रदता में गिरावट का अनुभव किया है. हालांकि, स्थिति में सुधार हो रहा है, और हम ऐसे अवसर देख रहे हैं जहां क़ीमतें और मात्रा बढ़ रही हैं. इसलिए, मिड- और स्मॉल-कैप स्पेस इस विशेष क्षेत्र में अवसर प्रस्तुत कर सकता है.
हम फ़ार्मा क्षेत्र को लेकर भी आशावादी हैं, ख़ासतौर से यूएस बायो-सिक्योर एक्ट लागू होने साथ, जिससे फ़ार्मास्युटिकल कंपनियों के लिए व्यवसाय को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
बैटरी प्ले, ऑटो और ईवी एंसीलियेरीज़, और कोर सेक्टर से संबंधित कंपनियों के मामले में ईवी इकोसिस्टम में मिड- और स्मॉल-कैप अवसर भी हैं.
हमने देखा है कि आपका मिड-कैप फ़ंड अपना बहुत सारा रिटर्न लार्ज-कैप होल्डिंग्स से कमा रहा है. मिड- और स्मॉल-कैप सेगमेंट के ओवरवैल्यूड दिखने के साथ, आप आगे चलकर फ़ंड को कैसे मैनेज करने की योजना बना रहे हैं?
ये बाज़ार के अवसरों पर निर्भर करेगा. उदाहरण के लिए, पिछले साल लगभग इसी समय, हमने खनन क्षेत्र में ख़ास अवसरों पर विचार किया, जहां हमने लगभग एक दशक से कोई प्रगति नहीं देखी थी. हालांकि, कुल मिलाकर, कुछ बदल रहा था और हमें लगा कि ये निवेश करने का एक अच्छा मौक़ा है. ऐसा नहीं है कि हम एक लार्ज-कैप ख़रीदना चाहते थे, बल्कि हमने एक संभावित अल्फ़ा-जनरेटिंग आइडिया ख़रीदा, जो एक लार्ज कैप था. इसलिए, मेरा मानना है कि हमारा निर्णय मुख्य रूप से भविष्य के अवसरों और बाज़ार में अल्फा जेनरेट करने की क्षमता से प्रभावित था.
हालांकि, हमें उस मैंडेट को मानना चाहिए, जो मिड-कैप फ़ंड के लिए न्यूनतम 65 प्रतिशत या स्मॉल-कैप फ़ंड के लिए न्यूनतम 65 प्रतिशत निर्धारित करता है. बाज़ार में उपलब्ध, बाज़ार के अवसर और अल्फ़ा के आइडिया बाक़ी 35 प्रतिशत, एक लचीले हिस्से का एलोकेशन तय करेंगे.
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