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जैसे किसी क्रिकेट टीम में सभी खिलाड़ी गेंदबाज़ या सिर्फ़ बल्लेबाज़ नहीं होते हैं, वैसे ही आपकी निवेश रणनीति सिर्फ़ एक ही एसेट क्लास पर निर्भर नहीं होनी चाहिए. रिसक् कम करने के लिए आपको अपने पैसे को अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश करना होता है.
इस रणनीति में मल्टी-एसेट एलोकेशन फ़ंड काम आ सकते हैं. ये हाइब्रिड फ़ंड कम से कम 10 फ़ीसदी पैसे को कम से कम तीन एसेट क्लास में निवेश करते हैं, जैसे कि इक्विटी (घरेलू और अंतरराष्ट्रीय), डेट, कमोडिटी (सोना, चांदी, आदि), आर्बिट्राज़ या यहां तक कि रियल एस्टेट भी. इनमें से कुछ फ़ंड मार्केट के मूड स्विंग से बचने के लिए डेरिवेटिव में भी निवेश करते हैं.
इनके बेहतर नतीजों को देखते हुए, पिछले कुछ साल में एक दर्जन से ज़्यादा मल्टी-एसेट फ़ंड मार्केट में आए हैं. हाइब्रिड फ़ंड कैटेगरी में इन्हें दूसरा सबसे ज़्यादा निवेश मिला है. पहले स्थान पर आर्बिट्राज़ फ़ंड हैं.
लेकिन क्या आपको इस फ़ंड को अपने पोर्टफ़ोलियो में शामिल करने की ज़रूरत है? आइए कुछ आंकड़ों पर नज़र डालते हैं.
परफ़ॉरमेंस
मल्टी-एसेट फ़ंड को हाल-फ़िलहाल क़िस्मत का साथ मिला है. ज़्यादातर एसेट क्लास में अच्छी तेज़ी रही है. वैश्विक उतार-चढ़ाव ने गोल्ड की क़ीमतों को बढ़ाया है; ब्याज़ दरों में बढ़ोतरी ने डेट एलोकेशन को फ़ायदा पहुंचाया है; और सामान्य तौर पर तेज़ी वाले मार्केट की वजह से इक्विटी रिटर्न में उछाल आया है.
नतीजतन, न सिर्फ़ इन्होंने 'पूरी तरह से इक्विटी फ़ंड' के पांच साल के औसत रिटर्न की बराबरी की है, बल्कि ये दूसरे कुछ प्रमुख हाइब्रिड फ़ंड्स की भी बराबरी कर रहे हैं.
मल्टी-एसेट फ़ंड का शॉर्ट और लॉन्ग-टर्म परफ़ॉर्मेंस
ये फ़ंड कैटेगरी, एग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड के बाद दूसरे स्थान पर है
कैटेगरी | 1 साल | 3 साल | 5 साल |
---|---|---|---|
एग्रेसिव हाइब्रिड | 31.5 | 15.7 | 19.3 |
मल्टी-एसेट | 26.4 | 15.4 | 17.2 |
डायनामिक एसेट एलोकेशन | 24.5 | 13.9 | 15.2 |
5 सितंबर 2024 तक डायरेक्ट प्लान के रिटर्न |
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टैक्स के लिहाज़ से फ़ायदा
मल्टी-एसेट फ़ंड टैक्स संबंधी फ़ायदे भी देते हैं. नए निवेशकों के लिए ये एसेट रीबैलेंसिंग करते हैं, इसलिए जब भी फ़ंड मैनेजर एक एसेट क्लास से दूसरी में पैसा लगाता है, तो आपको टैक्स नहीं देना पड़ता.
दूसरा, अगर कोई मल्टी-एसेट फ़ंड अपने पैसे का कम से कम 65 फ़ीसदी हिस्सा इक्विटी या संबंधित इंस्ट्रूमेंट में रखता है, तो टैक्स के समय उसे इक्विटी फ़ंड की तरह ही माना जाता है. कई मल्टी-एसेट फ़ंड इस तरीक़े का इस्तेमाल करते हैं, जिससे इक्विटी फ़ंड को मिलने वाला फ़ायदेमंद टैक्स ट्रीटमेंट आपको भी मिल सकता है, और साथ ही, बाक़ी एसेट क्लास (डेट, गोल्ड, आदि) में निवेश का एक्सपोज़र भी मिल सकता है.
इसके अलावा, इनमें से लगभग एक तिहाई फ़ंड 'फ़ंड ऑफ फ़ंड्स (FoF)' हैं (ये ऐसे फ़ंड होते हैं जो बाक़ी म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करते हैं). इन फ़ंड से होने वाले मुनाफ़े पर अलग तरह से टैक्स लगाया जाता है. अगर आप FoF को दो साल से ज़्यादा समय तक रखते हैं, तो आप पर रेगुलर मल्टी-एसेट फ़ंड वाला ही टैक्स लगाया जाएगा. हालांकि, अगर आप उन्हें दो साल से पहले बेचते हैं, तो मुनाफ़े पर आपके लागू टैक्स स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगाया जाएगा. ये नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा. अभी के लिए, ऐसे FoF से होने वाले मुनाफ़े पर आपके लागू स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगाया जाता है.
हमारा मानना है
ये कहना मुश्किल है कि मल्टी-एसेट फ़ंड भविष्य में शानदार रिटर्न देते रहेंगे या नहीं. फिर भी, वे आपके पैसे को अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश करने का एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं, ख़ासकर अगर आप शुरुआती निवेशक हैं.
हालांकि, धनक (वैल्यू रिसर्च) में हम उन फ़ंड को ज़्यादा प्राथमिकता देते हैं जो मार्केट का टाइम तय करने की कोशिश नहीं करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि ये एक जोख़िम भरी रणनीति होती है.
इसके बजाय, हम उन फ़ंड को प्राथमिकता देते हैं जो पारदर्शिता और बेहतर पूर्वानुमान के साथ अपना एसेट एलोकेशन बदलते हैं. ऐसे फ़ंड मार्केट की चाल का सटीक अंदाज़ा लगाने के रिस्क को भी ख़त्म करते हैं.
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