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सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड (SGB) पहले से कहीं ज़्यादा डिमांड में हैं. न सिर्फ़ इसलिए क्योंकि वे गोल्ड में निवेश करने का सबसे सुरक्षित तरीक़ा हैं, बल्कि मैच्योरिटी पर टैक्स-फ्री रिटर्न देते हैं और गोल्ड की क़ीमत से 2.5 फ़ीसदी ज़्यादा सालाना ब्याज़ भी मिलता है. ये ख़ूबियां तो पहले से ही मौजूद थीं. ' अन्य गोल्ड इंवेस्टमेंट पर लॉन्ग-टर्म टैक्स कम करने के सरकार के फ़ैसले ' के बावजूद, SGB अभी भी टैक्स के लिहाज़ से सबसे ज़्यादा कारगर विकल्प बने हुए हैं. इसके अलावा, गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी को घटाकर 15 फ़ीसदी से 6 फ़ीसदी करने के सरकार के फ़ैसले से SGB की चमक फीकी पड़ जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके बजाए, इस फ़ैसले से SGB की डिमांड में और इज़ाफ़ा ही हुआ है.
मांग में आई ये तेज़ी SGB की क़ीमतों में भी झलकती है. 2 सितंबर 2024 तक, स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट सभी 63 SGB, गोल्ड की मार्केट वैल्यू (₹7,144 प्रति ग्राम) से ऊपर कारोबार कर रहे थे. इस वक़्त प्रीमियम 1.48 फ़ीसदी से लेकर 12.96 फ़ीसदी तक हैं, और बाद में मैच्योर होने वाले गोल्ड बॉन्ड ज़्यादा महंगे हैं. उदाहरण के लिए, पांच साल से ज़्यादा की अवधि में मैच्योर होने वाले गोल्ड बॉन्ड पर 9.4 फ़ीसदी प्रीमियम है, जबकि तीन साल में मैच्योर होने वाले बॉन्ड पर औसतन 3.5 फ़ीसदी मार्क-अप है.
10 सबसे महंगे SGB
लंबी अवधि में मैच्योर होने वाले SGB ज़्यादा महंगे हैं
SGB | प्रीमियम | मैच्योरिटी |
---|---|---|
SGBFEB32IV | 13% | फ़रवरी 2032 |
SGBDE31III | 12% | दिसंबर 2031 |
SGBJUN31I | 11% | जून 2031 |
SGBDE30III | 11% | दिसंबर 2030 |
SGBSEP31II | 10.6% | सितंबर 2031 |
SGBMAR30X | 10.6% | मार्च 2030 |
SGBAUG30 | 10.2% | अगस्त 2030 |
SGBMAR31IV | 9.9% | मार्च 2031 |
SGBDC27VII | 8.8% | दिसंबर 2027 |
SGBJAN27 | 8.5% | जनवरी 2027 |
सोर्स: NSE, गोल्ड रेट: इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (India Bullion and Jewellers Association) 2 सितंबर 2024 तक |
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क्या सरकार SGB पर दोबारा विचार कर रही है?
SGB का नया बैच लॉन्च करने में सरकार की देरी, SGB को लेकर निवेशकों के बीच हलचल बढ़ा सकती है. SGB का आख़िरी बैच फ़रवरी 2024 में ही लॉन्च किया गया था.
ऐसी मीडिया रिपोर्ट भी आ रही हैं कि ये गोल्ड बॉन्ड बंद हो सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो इसके लिए सरकार के बढ़ते ख़र्च को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है.
ज़ाहिर है, सरकार ने शुरू में SGB को पूंजी जुटाने के लिए कम ख़र्च वाले विकल्प के रूप में देखा था. सरकार की ये सोच, गोल्ड के औसत 7-8 फ़ीसदी के पिछले लॉन्ग-टर्म रिटर्न पर आधारित थी, जो उस समय क़र्ज़ लेने एक उचित ख़र्च मालूम देता था. हालांकि, हाल ही में हुई कुछ वैश्विक आर्थिक घटनाओं ने गोल्ड की क़ीमतों को बढ़ा दिया है. इस उछाल ने सरकार के क़र्ज़ के ख़र्च को काफ़ी ज़्यादा बढ़ा दिया है, जैसा कि 'नवंबर 2023 में मैच्योर होने वाले SGB के पहले बैच में 12.73 फ़ीसदी रिटर्न' मिलने से झलकता है. उम्मीद से ज़्यादा ख़र्च होने के कारण, सरकार गोल्ड बॉन्ड जारी करने के बारे में शायद दोबारा विचार कर सकती है.
हमारा मानना है
इससे पहले, कई SGB सेकेंडरी मार्केट में डिस्काउंट पर उपलब्ध थे. निवेशकों द्वारा स्टॉक एक्सचेंज के ज़रिए इनमें निवेश करना एक अच्छी रणनीति थी.
हालांकि, इस समय, SGB से दूर रहना एक समझदारी भरा फ़ैसला हो सकता है. उन्हें ज़्यादा पैसा देकर ख़रीदना आपके भविष्य के रिटर्न को कम कर देगा.
आख़िरी और ज़रूरी बात - वैल्यू रिसर्च धनक, सोने में निवेश का ज़्यादा पक्षधर नहीं रहा है, क्योंकि आमतौर पर लंबे समय में इनसे सिंगल-डिज़िट रिटर्न ही मिला है.
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