AI-generated image
केंद्रीय बजट 2024-25 में इक्विटी निवेश से होने वाले मुनाफ़े पर टैक्स की दरें बढ़ा दी गई हैं. नतीजतन, निवेशक अपने मुनाफ़े की रक्षा करने और अपनी मेहनत की कमाई को ज़्यादा रखने के लिए पहले से कहीं ज़्यादा टैक्स-बचत रणनीतियों पर नज़र रख रहे हैं. ऐसी ही एक रणनीति है टैक्स हार्वेस्टिंग. लेकिन हक़ीक़त में इसमें क्या शामिल है, और क्या नए टैक्स रेट के साथ इस पर विचार करना ठीक है? हम इस लेख में इसका पता लगाएंगे.
नया टैक्स रेट समझें
टैक्स कटने पर चर्चा करने से पहले, आइए इक्विटी निवेश पर नए टैक्स रेट को समझते हैं. अब से पहले, लॉन्ग टर्म गेन यानी मुनाफ़े (12 महीने से ज़्यादा के निवेश से होने वाले मुनाफ़े) पर 10 फ़ीसदी टैक्स लगता था, और शॉर्ट टर्म गेन (12 महीने से कम के निवेश से होने वाले मुनाफ़े) पर 15 फ़ीसदी टैक्स लगता था. नए बजट में इन दरों को बढ़ाते हुए लॉन्ग टर्म गेन के लिए 12.5 फ़ीसदी और शॉर्ट टर्म के लिए 20 फ़ीसदी कर दिया गया है.
एक अच्छी बात ये है कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के लिए टैक्स फ़्री लिमिट ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.25 लाख कर दी गई है.
टैक्स हार्वेस्टिंग क्या है?
इस शब्द का अपना एक पेशेवर मतलब है. म्यूचुअल फ़ंड की दुनिया में, हार्वेस्टिंग का मतलब या तो अपने अंडर-परफ़ॉर्मर को बेचकर मुनाफ़े की भरपाई करना या अपने लॉन्ग टर्म टैक्स को कम करने के लिए ₹1.25 लाख की टैक्स फ़्री लिमिट का इस्तेमाल करना है.
इसी की एक मिसाल देखते हैं: अगर आप एक साल से ज़्यादा रखे गए म्यूचुअल फ़ंड से ₹1.25 लाख तक का लाभ बेचते हैं और तुरंत उसी फ़ंड में रक़म निवेश करते हैं, तो ये आपके कुल टैक्स बोझ को कम करने में आपकी मदद करता है.
ये भी पढ़िए - प्रॉपर्टी बेचने पर देना होगा कितना टैक्स?
हमारी ज़ांच भी यही बताती है. अगर आप एकमुश्त ₹20 लाख का निवेश करते हैं जो अगले 10 साल के लिए सालाना 12 फ़ीसदी की दर से बढ़ता है, तो हर साल टैक्स हार्वेस्टिंग से आपको अतिरिक्त ₹1.41 लाख मिलेंगे, जो अन्यथा आपको नहीं मिलते.
टैक्स हार्वेस्टिंग: आप कितना टैक्स बचा सकते हैं?
पहली स्थिति (टैक्स हार्वेस्टिंग के बिना) | दूसरी स्थिति (टैक्स हार्वेस्टिंग के साथ) | |
---|---|---|
निवेश की गई रक़म | ₹20 लाख | ₹20 लाख |
10 साल बाद निवेश का मूल्य | ₹62.12 लाख | ₹62.12 लाख |
भुगतान किया गया टैक्स | ₹5.26 लाख | ₹3.86 लाख |
आपको मिलने वाली अंतिम राशि | ₹56.85 लाख | ₹58.25 लाख |
टैक्स हार्वेस्टिंग के साथ टैक्स की बचत | 0 | ₹1.41 लाख |
निवेश मूल्य के % के रूप में बचा टैक्स | 0 | 2.26% |
नोट: इक्विटी फ़ंड में हर साल 12% की ग्रोथ रेट मानते हुए. टैक्स हार्वेस्टिंग के साथ, हर फ़ाइनेंशियल ईयर के अंत में रिडेम्शन किया जाता है और निवेशक उसी दिन रिडेम्शन के समान NAV पर यूनिट्स को फिर से ख़रीद लेता है. |
क्या टैक्स हार्वेस्टिंग का कोई फ़ायदा है?
ऊपर दिए गई मिसाल से ₹1.41 लाख का अंतर पहली नज़र में काफ़ी ज़्यादा लग सकता है. हालांकि, फ़ीसद के हिसाब से, टैक्स हार्वेस्टिंग के ज़रिए बचाए गए टैक्स की रक़म अंतिम निवेश मूल्य का सिर्फ़ 2.26 फ़ीसद है.
टैक्स हार्वेस्टिंग की और कमियां क्या हैं?
शुरुआत के लिए, टैक्स हार्वेस्टिंग एक मैनुअल और संभावित रूप से भ्रमित करने वाली गतिविधि है. आपको ये पहचानना होगा कि कौन से गेन या लाभ लॉन्ग टर्म हैं और कितनी यूनिट्स बेचनी हैं.
दूसरा, बचत की सीमा ₹1.25 लाख की टैक्स-छूट तक सीमित है. आपका निवेश चाहे कितना भी बढ़े, एक फ़ाइनांशियल ईयर में ज़्यादा से ज़्यादा टैक्स की बचत ₹15,625 (₹1.25 लाख का 12.5 फ़ीसदी) होगी. एग्ज़िट लोड जैसी अतिरिक्त लागतें आपके मुनाफ़े को और कम कर सकती हैं. इसलिए, ज़्यादातर निवेशकों के लिए एक सरल, सुरक्षित रणनीति ये होगी कि वे अपने निवेश को हर साल बेचने और फिर से निवेश करने के बजाय समय के साथ बढ़ने दें और कम्पाउंडिंग करें.
ये भी पढ़िए - म्यूचुअल फ़ंड निवेशकों को टैक्स के प्रति कहीं ज़्यादा जागरूक रहने की ज़रूरत है