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Triveni Engineering Share Price: सफल बिज़नस ऑपरेशन चलाने वाले CEO कितने हैं? हैं तो बहुत, लेकिन असरदार तरीक़े से कैपिटल एलोकेशन में क़ामयाब CEO कितने होंगे? वॉरेन बफ़े कहते हैं कि ऐसे CEO बहुत कम हैं. इसे लेकर उनका एक नियम है कि एक कंपनी की आमदनी तभी बरक़रार रह सकती है, जब कंपनी उसे मुनाफ़े वाले बिज़नस में दोबारा इन्वेस्ट करने में क़ामयाब हो, ताकि शेयरधारकों के लिए सबसे ज़्यादा वैल्यू पैदा हो सके. ऐसा न होने पर, उस आमदनी को डिविडेंड और बायबैक के तौर पर वापस कर दिया जाना चाहिए.
दिलचस्प बात ये है कि एक घरेलू कंपनी इसी नियम को फ़ॉलो कर रही है जिसे बफ़े एक आदर्श कैपिटल एलोकेशन स्ट्रैटजी मानते हैं. मुख्य रूप से एक चीनी उत्पादक कंपनी त्रिवेणी इंजीनियरिंग अपनी कमाई को उन्हीं उपक्रमों में लगा रही है जो अच्छी ग्रोथ का भरोसा दिलाते हैं. बाज़ार ने भी इस बात को समझ लिया है. FY20-24 के दौरान कंपनी के रेवेन्यू और नेट प्रॉफ़िट में सालाना सिर्फ़ 4 फ़ीसदी की बढ़ोतरी होने के बावजूद, इस अवधि के दौरान शेयर में 6.4 गुना उछाल आया. असल में, कंपनी को अपने कारोबार में डाइवर्सिटी (विविधता) लाने की दिशा में नक़दी लगाने की रणनीति से सपोर्ट मिला है.
त्रिवेणी ने FY20-24 के दौरान ऑपरेशन और कुछ नॉन-कोर इन्वेस्टमेंट की बिक्री के जरिए ₹2,950 करोड़ की नक़दी कमाई. इसमें से इसने डिविडेंड और बायबैक के ज़रिए शेयरधारकों को ₹1,283 करोड़ का भुगतान किया और बाक़ी को अपने पास रखा. इस बची हुई आमदनी का एक बड़ा हिस्सा ₹1,094 करोड़ के कैपेक्स के रूप में लगाया गया.
इस कैपिटल एक्सपेंडिचर का क़रीब 62 फ़ीसदी हिस्सा कमोडिटी वाले चीनी कारोबार में अपने कॉन्संट्रेशन को कम करने के लिए कई बिज़नस में लगाया गया है. यहां बताया जा रहा है कि इसके अलग-अलग बिज़नस में कैपिटल एलोकेशन कैसे हो रहा है:
त्रिवेणी इंजीनियरिंग का पावर ट्रांसमिशन बिज़नस
इस सेगमेंट के हिस्से के रूप में, कंपनी OEM को स्टीम टर्बाइन जनरेटर में इस्तेमाल होने वाले हाई-स्पीड गियरबॉक्स और गियर उपलब्ध कराती है. हालांकि इस सेगमेंट ने कंपनी के FY24 के रेवेन्यू में सिर्फ़ 5 फ़ीसदी का योगदान किया, लेकिन इसने इस साल के लिए 37 फ़ीसदी प्रॉफ़िट बिफ़ोर टैक्स मार्जिन के साथ 45 फ़ीसदी से ज़्यादा का ROCE जनरेट किया! प्रोडक्ट्स में क्वालिटी पर सख़्ती से ज़ोर दिए जाने का नतीजा रहा कि इसमें मज़बूत ग्रोथ देखने को मिली.
त्रिवेणी अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में प्रवेश करके गियर बिज़नस के बाज़ार में विस्तार के लिए काम कर रही है. ये वर्तमान में ₹360 करोड़ का बड़ा कैपिटल एक्सपेंडिचर कर रही है, जिससे इस सेगमेंट की रेवेन्यू क्षमता दोगुनी होकर ₹500 करोड़ से ज़्यादा होने की उम्मीद है. ये रक्षा क्षेत्र में इन प्रोडक्ट्स के लिए अवसरों की भी तलाश कर रही है. गियर मैन्यूफ़ैक्चरिंग में अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए, कंपनी भारतीय नौसेना के लिए प्रपल्शन शाफ़्टिंग (propulsion shafting) और टर्बो पंप की सप्लायर बनने में क़ामयाब रही है. ये रक्षा-केंद्रित प्रोडक्ट्स के लिए एक मल्टी-मॉडल फ़ैसिलिटी भी स्थापित कर रही है.
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डिस्टिलरी बिज़नस
इस बिज़नस के हिस्से के रूप में, त्रिवेणी इथेनॉल और अल्कोहल बनाती है, जो इसके कुल रेवेन्यू में 21 फ़ीसदी का योगदान करते हैं. जून 2024 में, कंपनी ने दो नए अल्कोहल ब्रांड- द क्राफ़्टर्स स्टैम्प और मत्स्य लॉन्च किए, जो आगे के एकीकरण और मार्जिन सुधार की दिशा में एक कदम है. हालांकि ये उद्यम तत्काल नतीजे नहीं दे सकता है, लेकिन अगर कंपनी सफल होती है तो इसमें लंबे समय के लिहाज़ से ख़ासी क्षमताएं हैं.
त्रिवेणी ने हाल ही में अपने डिस्टिलरी कारोबार का विस्तार करने के लिए घाटे में चल रही चीनी उत्पादक कंपनी सर शादी लाल में बहुमत की हिस्सेदारी भी हासिल की है. सर शादी लाल की फैक्ट्री के पास उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा गन्ना स्टॉक है. ये त्रिवेणी की मौजूदा यूनिट्स के पास स्थित है, जो रणनीतिक तालमेल को आसान बनाता है. इस तरह से त्रिवेणी को कम समय में सर शादी लाल के संचालन को बदलने का भरोसा है.
अब निवेशकों की बात
त्रिवेणी की अब तक की कैपिटल एलोकेशन की रणनीति के अनुसार, कंपनी सही रास्ते पर है. इसने अतीत में अपनी ज़्यादातर नक़दी शेयरधारकों को वितरित की, जबकि अभी भी शेष राशि को अच्छी ग्रोथ की क्षमताओं वाले उपक्रमों में निवेश किया, जो उच्च पूंजी दक्षता (हाई कैपिटल एफ़िशिएंसी) का प्रदर्शन करता है. उसकी कोशिशें अभी तक सफल रही हैं क्योंकि कंपनी के रेवेन्यू में चीनी बिज़नस की हिस्सेदारी FY20 के 87 फ़ीसदी से घटकर FY24 में 63 फ़ीसदी हो गई है. हालांकि, ये याद रखना महत्वपूर्ण है कि ये ग्रोथ रुक सकती है क्योंकि कंपनी के पास बड़े पैमाने पर नए बिज़नस को संचालित करने का अनुभव नहीं है. ये भी स्पष्ट नहीं है कि अगर वे बड़े पैमाने पर हासिल करने में कामयाब होते हैं तो भी नए, छोटे दांव अपने मौजूदा शानदार परिचालन मीट्रिक को बनाए रखने में सक्षम होंगे या नहीं. अंत में, बाज़ार तेज़ी से कंपनी को सपोर्ट दे रहा है, क्योंकि स्टॉक का वर्तमान P/E रेशियो 27 है जो इसके पांच साल के औसत P/E से 4 गुना है.
निवेशकों को इस स्टोरी को वैल्यू रिसर्च की रेकमेंडेशन के रूप में नहीं समझना चाहिए. निवेश का फ़ैसला लेने से पहले कृपया अपनी तरफ से काफ़ी सोच-विचार कर लें.
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