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Ecos India Mobility IPO: इको (इंडिया) मोबिलिटी का IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफ़रिंग) 28 अगस्त 2024 को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगा और 30 अगस्त 2024 को बंद होगा. निवेश का फ़ैसला लेने में निवेशकों की मदद के लिए, यहां हम लग्ज़री कार-रेंटल सर्विस देने वाली इस कंपनी की ताक़त, कमज़ोरियों और ग्रोथ की संभावनाओं के बारे में बता रहे हैं.
Ecos (India) Mobility IPO: संक्षेप में
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क्वालिटी:
FY22-24 के बीच, कंपनी का 3 साल का एवरेज
रिटर्न ऑन इक्विटी
(ROE) और रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड (ROCE) क्रमशः 34.8 और 34.4 फ़ीसदी रहा है.
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ग्रोथ:
FY22-24 के दौरान, इसके रेवेन्यू और नेट प्रॉफ़िट में क्रमशः 94 और 151 फ़ीसदी की सालाना बढ़ोतरी हुई.
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वैल्यूएशन:
IPO के बाद, कंपनी का स्टॉक क्रमशः 32 और 11.3 गुना के
P/E
(प्राइस -टू-अर्निंग रेशियो) और P/B (प्राइस-टू-बुक रेशियो) पर क़ारोबार करेगा.
- मार्केट में कंपनी की स्थिति: इको (इंडिया) मोबिलिटी कॉरपोरेट्स को ड्राइवर-सहित कार रेंटल और एम्प्लॉई ट्रांसपोर्टेशन सर्विस मुहैया कराती है, और इसे भारत की कॉर्पोरेट तरक़्क़ी से फ़ायदा मिलने की उम्मीद है. इसकी ग्रोथ के लिए काफ़ी संभावनाएं बनी हुई हैं क्योंकि ड्राइवर वाली कार की ये प्रीमियम सर्विस, होटलों और कॉर्पोरेट ऑफ़िस में हाई-एन्ड कस्टमर और कर्मचारियों के लिए एक प्रमुख सुविधा के तौर पर देखी जा रही है. हालांकि, इको (इंडिया) मोबिलिटी बहुत ज़्यादा प्रतिस्पर्धी और बंटे हुए सेक्टर में काम करती है जहां 85 फ़ीसदी मार्केट को असंगठित खिलाड़ी चलाते हैं.
Ecos (India) Mobility के बारे में
इको मोबिलिटी ब्रांड नाम से जानी जाने वाली ये कंपनी रेवेन्यू के हिसाब से भारत की सबसे बड़ी ड्राइवर-चालित मोबिलिटी प्रोवाइडर है. ये दो सेगमेंट -- एम्प्लॉई ट्रांसपोर्टेशन सर्विस (ETS) और ड्राइवर-सहित कार रेंटल (CCR) -- के तहत काम करती है. कंपनी भरोसेमंद और आरामदायक ट्रांसपोर्ट के लिए कंपनियों को पेशेवर ड्राइवरों के साथ कार सर्विस देती है. इसके एन्ड कस्टमर कॉर्पोरेट क्लाइंट के कर्मचारी, ग्राहक, गेस्ट और विज़िटर हैं. FY24 तक, कंपनी के पास 12,900 से ज़्यादा गाड़ियों का एक मज़बूत बेड़ा और 8,500 कुशल ड्राइवर थे. ये एसेट-लाइट मॉडल पर काम करती है, जिसमें 90 फ़ीसदी से ज़्यादा काम पर लगी गाड़ियों के मालिक अलग-अलग वेंडर हैं. वेंडरों में वे लोग शामिल हैं जो कंपनी को ड्राइवर, ड्राइवर-सहित गाड़ियां या सिर्फ गाड़ियां सप्लाई करते हैं.
ताक़त
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मार्केट लीडर:
ये भारत में सबसे बड़ी और सबसे ज़्यादा मुनाफ़े वाली ड्राइवर सहित गाड़ियों की सुविधा देने वाली कंपनी है. कंपनी अपनी लिस्टेड साथियों की तुलना में सबसे ज़्यादा ऑपरेटिंग मार्जिन कमाती है, और इसके पास 12,900 से ज़्यादा गाड़ियों का सबसे बड़ा बेड़ा है.
- हाई-एंड कस्टमर: कंपनी के पास एक जाना-माना क्लाइंट पोर्टफ़ोलियो है, जिसमें 42 फ़ॉर्च्यून 500 कंपनियां और 60 BSE 500 कंपनियां शामिल हैं. कंपनी के साथ पांच साल से ज़्यादा वक़्त से जुड़े हुए क्लाइंट इसके रेवेन्यू में 50 फ़ीसदी से भी ज़्यादा योगदान देते हैं. इको एक ऐसी इंडस्ट्री में काम करती है जहां क्लाइंट अपने सर्विस प्रोवाइडर से हमेशा जुड़े रहते हैं, और प्रतिस्पर्धियों को उन क्लाइंट का मन बदलने के लिए काफ़ी कम क़ीमत की पेशकश करनी पड़ती है. वैसे तो कई असंगठित खिलाड़ी बहुत कम क़ीमतों की पेशकश कर सकते हैं, पर इको जैसे संगठित खिलाड़ियों द्वारा दी जाने वाली क्वालिटी, समय पर सेवा और सुरक्षा इसे दूसरों से अलग बनाती है.
कमज़ोरियां
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एक-जैसी सर्विस के साथ बंटा हुआ मार्केट:
ड्राइवर वाली गाड़ियों के मार्केट में एंट्री बैरियर कम हैं, जिससे नए प्रतिस्पर्धियों के लिए एंट्री करना आसान हो जाता है. यही कारण है कि मार्केट का 85 फ़ीसदी हिस्सा छोटे, असंगठित खिलाड़ियों से बना है. इको की सर्विस एकदम अनोखी नहीं है.
- इकोनॉमिक साइकिल से सीधा कनेक्शन: जब अर्थव्यवस्था अच्छी चल रही होती है तो इंडस्ट्री अच्छा प्रदर्शन करती है. लेकिन मंदी या गिरावट जैसे कठिन समय में इस सेक्टर को सबसे ज़्यादा नुक़सान होने की संभावना होती है, क्योंकि जब अलग-अलग बिज़नस को पैसे बचाने की ज़रूरत पड़ती है तो वे सबसे पहले ऐसी सर्विस में कटौती करते हैं.
Ecos (India) Mobility IPO की डिटेल
IPO का कुल साइज़ (करोड़ ₹) | 601 |
ऑफर फॉर सेल (करोड़ ₹) | 601 |
नए इशू (करोड़ ₹) | - |
प्राइस बैंड (₹) | 318-334 |
सब्सक्रिप्शन की तारीख़ | 28-30 अगस्त 2024 |
उद्देश्य | पब्लिक लिस्टिंग से फ़ायदा उठाने के लिए, ब्रांड इमेज़ बढ़ाने के लिए |
IPO के बाद
मार्केट कैप (करोड़ ₹) | 2,004 |
नेट वर्थ (करोड़ ₹) | 177.4 |
प्रमोटर होल्डिंग (%) | 67.7 |
प्राइस/अर्निंग रेशियो (P/E) | 32 |
प्राइस/बुक रेशियो (P/B) | 11.3 |
फ़ाइनेंशियल हिस्ट्री
फ़ाइनेंशियल्स | 2 साल का CAGR (%) | FY24 | FY23 | FY22 |
---|---|---|---|---|
रेवेन्यू | 94 | 554 | 423 | 147 |
EBIT | 167 | 71 | 58 | 10 |
PAT | 151.3 | 63 | 44 | 10 |
नेट वर्थ | 57.4 | 177 | 115 | 72 |
कुल डेट | 172.9 | 30 | 38 | 4 |
EBIT-- अर्निंग बिफ़ोर इंटरेस्ट एंड टैक्स
PAT -- प्रॉफ़िट आफ्टर टैक्स |
प्रमुख रेशियो
रेशियो | 3 साल का औसत (%) | FY24 | FY23 | FY22 |
---|---|---|---|---|
ROE (%) | 34.8 | 42.8 | 46.7 | 14.8 |
ROCE (%) | 34.4 | 39.5 | 50.5 | 13.3 |
EBIT मार्जिन (%) | 11.1 | 12.9 | 13.7 | 6.8 |
डेट-टू-इक्विटी | 0.2 | 0.2 | 0.3 | 0.1 |
ROE -- रिटर्न ऑन इक्विटी ROCE -- रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड |
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इको (इंडिया) मोबिलिटी की रिस्क रिपोर्ट
कंपनी और बिज़नस
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क्या पिछले 12 महीनों में इको (इंडिया) मोबिलिटी की टैक्स के पहले की कमाई (profit before tax) ₹50 करोड़ से ज़्यादा है?
हां. कंपनी ने FY24 में ₹82.3 करोड़ की टैक्स के पहले की कमाई दर्ज़ की.
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क्या कंपना अपना बिज़नस बढ़ा पाएगी?
हां. हाई-एन्ड कॉर्पोरेट ग्राहकों और कर्मचारियों की यात्रा और आने-जाने संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने की आवश्यकता बढ़ रही है, जिससे कंपनी को अपने क़ारोबार को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
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क्या इको (इंडिया) मोबिलिटी का
कस्टमर बेस काफ़ी वफ़ादार है और क्या ये कंपनी किसी जाने-माने ब्रांड से जुड़ी है?
हां. क्लाइंट आसानी से ETS और CCR सर्विस प्रोवाइडर को नहीं बदलते. वे आमतौर पर लंबे समय तक टिके रहते हैं, ख़ासकर Ecos जैसा संगठित खिलाड़ीयों के मामले में.
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क्या कंपनी के पास कॉम्पिटेटिव एडवांटेज़ है?
नहीं. ये बहुत ही बंटी हुई इंडस्ट्री में काम करती है जिसमें एंट्री बैरियर बहुत कम हैं.
इको (इंडिया) मोबिलिटी का मैनेजमेंट
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क्या कंपनी के संस्थापकों में से किसी के पास अभी भी कंपनी में कम से कम 5 फ़ीसदी हिस्सेदारी है? या क्या प्रमोटरों के पास कंपनी में 25 फ़ीसदी से ज़्यादा हिस्सेदारी है?
हां. IPO के बाद, प्रमोटरों की हिस्सेदारी 67.7 फ़ीसदी हो जाएगी.
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क्या टॉप 3 मैनजरों के पास कंपनी में काम करते हुए कुल मिलाकर 15 साल से ज़्यादा का लीडरशिप अनुभव है?
हां. चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश लूंबा 1996 में कंपनी की स्थापना के बाद से ही इसके साथ जुड़े हुए हैं.
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क्या मैनेजमेंट पर भरोसा किया जा सकता है? क्या कंपनी SEBI दिशानिर्देशों के तहत साफ़-सुथरी रिपोर्ट जारी करती है?
हां. कोई नेगेटिव जानकारी उपलब्ध नहीं है.
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क्या कंपनी की अकाउंटिंग पॉलिसी ठीक है?
हां. कोई नेगेटिव जानकारी उपलब्ध नहीं है.
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क्या कंपनी प्रमोटरों के शेयर गिरवी होने मुक्त है?
हां. कोई शेयर गिरवी नहीं रखे हैं.
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इको (इंडिया) मोबिलिटी के फ़ाइनेंशियल
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क्या कंपनी का वर्तमान और तीन साल का औसत रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) 15 फ़ीसदी से ज़्यादा और औसत रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड (ROCE) 18 फ़ीसदी से ज़्यादा है?
हां. इसका तीन साल का औसत ROE और ROCE क्रमशः 34.8 और 34.4 फ़ीसदी है. FY2024 में, इसका ROE और ROCE क्रमशः 42.8 और 39.5 फ़ीसदी रहा है.
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क्या पिछले तीन साल के दौरान कंपनी का ऑपरेटिंग कैश फ़्लो पॉज़िटिव रहा है?
हां. पिछले तीन साल में कंपनी का कैश फ़्लो फ्रॉम ऑपरेशन्स (CFO) पॉज़िटिव रहा है.
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क्या कंपनी का नेट डेट-टू-इक्विटी रेशियो 1 से कम है?
हां. कंपनी का नेट कैश (FY24 तक) पॉज़िटिव रहा है. इसका मतलब है कि इसका नेट डेट-टू-इक्विटी रेशियो नेगेटिव है.
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क्या कंपनी रोज़मर्रा के कामों के लिए बड़ी वर्किंग कैपिटल पर निर्भरता से मुक्त है?
हां. ये बिज़नस, वर्किंग कैपिटल इंटेंसिव नहीं है.
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क्या कंपनी अगले तीन साल में बाहरी फ़ंडिंग पर निर्भर हुए बिना अपना बिज़नस चला सकती है?
हां. चूंकि कंपनी FY24 में फ़्री कैश फ़्लो बनाने में सक्षम रही है और इसका नेट कैश पॉज़िटिव है, इसलिए इसे आगे किसी बाहरी फ़ंडिंग की ज़रूरत नहीं पड़ सकती है.
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क्या कंपनी बड़ी कंटिंजेंट देनदारी से मुक्त है?
हां. कंपनी कंटिंजेंट देनदारी से मुक्त है.
इको (इंडिया) मोबिलिटी का वैल्यूएशन
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क्या स्टॉक अपनी एंटरप्राइज़ वैल्यू पर 8 फ़ीसदी से ज़्यादा की ऑपरेटिंग अर्निंग यील्ड देता है?
नहीं. लिस्टिंग के बाद, ये स्टॉक अपनी एंटरप्राइज़ वैल्यू पर 3.7 फ़ीसदी ऑपरेटिंग अर्निंग यील्ड देगा.
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क्या स्टॉक का प्राइस-टू-अर्निंग रेशियो अपनी जैसी दूसरी कंपनियों के औसत से कम है?
नहीं. कंपनी का P/E 32 गुना है, जो इसके साथियों के 31.8 गुना के औसत के बराबर है.
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क्या स्टॉक की प्राइस-टू-बुक वैल्यू अपनी जैसी दूसरी कंपनियों के औसत स्तर से कम है?
नहीं. स्टॉक का P/B रेशियो 11.3 गुना है, जबकि इसके साथियों का औसत स्तर 5.4 गुना है.
डिस्क्लेमर: ये निवेश का सुझाव नहीं है. निवेश करने से पहले ज़रूरी जांच-पड़ताल ज़रूर करें.
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