निवेश के रुझान मौसम की तरह बदलते रहते हैं, लेकिन इस उथल-पुथल से भरी दुनिया में कुछ शख्सियतें ऐसी होती हैं जो लंबे समय तक एक स्मारक की तरह अटल रहती हैं. पीटर लिंच, एक महान फ़ंड मैनेजर, जिन्होंने फ़िडेलिटी के मैगेलन फ़ंड को एक पावरहाउस में बदल दिया, ऐसे ही दिग्गजों में से हैं. निवेश को लेकर उनका नज़रिया सिर्फ़ क़ामयाब ही नहीं रहा - बल्कि अपनी सादगी और आसानी में ये क्रांतिकारी था. लिंच का मंत्र, "जो आप जानते हैं उसमें निवेश करें," आज भी उतना ही असरदार है जितना तब था जब उन्होंने पहली बार ये बात कही. मुश्किल एल्गोरिदम और हाई-फ़्रीक्वेंसी वाली ट्रेडिंग के इस युग में, उनका व्यावहारिक दर्शन एक गाइड का काम करता है. ये बताता है कि हमें निवेश के सबसे अच्छे आइडिया हमारे रोज़मर्रा के अनुभवों से मिल सकते हैं.
दशकों पहले, जब मैं कॉलेज से निकला ही था और मैंने अपना करियर भी शुरू नहीं किया था, मुझे पीटर लिंच की किताब 'वन अप ऑन वॉल स्ट्रीट' की एक कॉपी मिली. निवेश के बारे में अपने विचारों के विकास पर पीछे मुड़कर देखने पर, एहसास होता है कि ये मेरे जीवन का एक अहम पल था. अगर आपको ये अतिशयोक्ति लग रही है, तो याद रखें, आज के इंटरनेट युग से पहले जानकारियां और आइडिया आपकी हथेली पर नहीं रखे रहते थे. किसी अच्छे आइडिया तक पहुंचना, एक बड़ा अंतर पैदा करने वाला फ़ैक्टर होता था. इसके अलावा, आज की ऑनलाइन वाली दुनिया में मौजूद बेकार की बातें दिमाग में नहीं भरी थीं, इसलिए उस समय अच्छे आइडिया को जड़ जमाने और पनपने के लिए जगह भी मिली गई. जब मुझे लिंच की किताब मिली, तो मैंने उसे पढ़ डाला और फिर अगले कुछ महीनों में इसे बार-बार पढ़ा. तब, मैं इसे पलट-पलट कर देख सकता था, इसके विकिपीडिया पेज पढ़ सकता था और तय कर सकता था कि बस इतना ही किया जाना काफ़ी होगा.
लिंच की समझदारी से भरी फ़ाइनेंस की बातें, डरावने मार्केट अनालेसिस की धुंध में एक लाइट हाऊस की तरह थीं. उन्होंने स्टॉक के चुनाव को आसान बनाया, इस किताब को पढ़ने वालों को नंबरों से परे देखने और कंपनियों के पीछे की कहानियों को समझने के लिए प्रोत्साहित किया. उनका नज़रिया ताज़ा और लोकतांत्रिक था - सफल निवेशक बनने के लिए आपको फ़ाइनेंस में MBA करने या पेशेवर होने की ज़रूरत नहीं थी. आपको बस सजग, जिज्ञासु और अपना होमवर्क करने के लिए तैयार रहने की ज़रूरत थी.
जिस समय मैंने इसे पढ़ा, उस समय 'वन अप ऑन वॉल स्ट्रीट' सिर्फ़ दो से तीन साल पुरानी था. लिंच तब एक फ़ंड मैनेजर के तौर पर अपने अविश्वसनीय ट्रैक रिकॉर्ड के लिए ही जाने जाते थे. 1977 से 1990 तक, अमेरिका में फ़िडेलिटी मैगेलन फ़ंड को मैनेज करते हुए, उन्होंने 29.4 प्रतिशत का सालाना रिटर्न दिया, जिससे ये दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला फ़ंड बन गया था. हालांकि, अब उनकी विरासत की प्रकृति बदल गई है. जहां लिंच के प्रदर्शन ने उन्हें निवेश की दुनिया में एक किंवदंती बना दिया, वहीं इक्विटी निवेश पर उनके लेखन ने उनकी विरासत को मज़बूती से सुरक्षित कर दिया है.
'वेल्थ इनसाइट' के अगस्त 2024 अंक के लिए हमारी कवर स्टोरी लिंच की किताब और उनकी निवेश शैलियों पर गहराई से चर्चा करती है. यहां न केवल हम निवेश को लेकर उनकी सोच की बात कर रहे हैं, बल्कि हमारी टीम ने उनके निवेश के ढांचे को भारतीय इक्विटी मार्केट पर लागू भी किया है. मुझे यक़ीन है कि आप में से कुछ लोग आज के तेज़-तर्रार, टेक्नोलॉजी से चलने वाले मार्केट में इसे कुछ पुरानी सोच समझेंगे. हालांकि, हमारा मानना है कि लिंच के सिद्धांत पहले से कहीं ज़्यादा प्रासंगिक हैं. बिज़नस में सूचना और सक्रियता की अति के इस दौर में, बिज़नस को समझने और अपने आसपास मौक़ों को पहचानने पर उनका ज़ोर देना हमें एक बुनियादी नज़रिया देता है. इसके अलावा, उनका नज़रिया निवेशकों को लंबे समय के लिए सोचने और कम समय के दौरान मार्केट के शोर और उसके लालच को नज़रअंदाज़ करने के लिए प्रोत्साहित करता है - जो बाज़ारों या स्टॉक के चुनाव की तकनीक के बारे में किसी भी ज्ञान से कहीं ज़्यादा क़ीमती गुर है.
हमारी कवर स्टोरी पढ़ने के लिए बहुत अच्छी है, लेकिन मेरा सुझाव है कि आप इसे केवल अपनी जानकारी की भूख बढ़ाने का ज़रिया मानें. आख़िर हमारे पास एक मैगज़ीन में लिंच के ज्ञान की सतह को खुरचने भर की ही जगह है. उनकी किताबें निवेश के ज्ञान का ख़ज़ाना हैं जिन्हें हर निवेशक को पढ़ना चाहिए. शायद बार-बार.
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