How much tax do I pay on mutual funds: इस बार के केंद्रीय बजट (Union Budget 2024-25) में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स में बदलाव का ऐलान किया गया है. नए रेट, 23 जुलाई 2024 से ही लागू हो गए हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस नई व्यवस्था में म्यूचुअल फ़ंड या SIP से मिलने वाले रिटर्न पर आपको कितना टैक्स देना होगा? हम यहां इसी पर तस्वीर साफ़ कर रहे हैं.
कैपिटल गेन्स टैक्स 2024-25 (Capital Gains Tax)
- म्यूचुअल फ़ंड SIP पर टैक्स: अब सभी फ़ाइनेंशियल और नॉन फ़ाइनेंशियल एसेट्स पर LTCG टैक्स की दर 10 फ़ीसदी से बढ़ाकर 12.5 फ़ीसदी कर दी गई है.
- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स: बताए गए फ़ाइनेंशियल एसेट्स पर STCG टैक्स 15% से बढ़कर 20% हो गया है.
- इंडेक्सेशन बेनेफ़िट खत्म: ये फ़ायदा अभी तक टैक्स भरने वालों को ख़रीद मूल्य पर महंगाई दर को एडजस्ट करने देता था, लेकिन अब सभी एसेट्स पर इसे ख़त्म कर दिया गया है.
- लॉन्ग टर्म कैपिटल पर गेन्स छूट की सीमा बढ़ी: इसे ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.25 लाख प्रति वर्ष कर दिया जाएगा.
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Mutual Fund प्रॉफ़िट पर कितना टैक्स?
How much tax will I pay on SIP: अब बात आती है कि कैपिटल गेन्स टैक्स में बदलाव के बाद म्यूचुअल फ़ंड या SIP से मिलने वाले रिटर्न पर आपको कितना टैक्स देना होगा. आगे जानिए...
इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड्स और इक्विटी शेयर
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (होल्डिंग पीरियड 1 साल से कम): टैक्स की दर 15 से बढ़ाकर 20 फ़ीसदी हो गई है.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (होल्डिंग पीरियड 1 साल से ज़्यादा): टैक्स की दर 10 से बढ़ाकर 12.5 फ़ीसदी हुई.
डेट म्यूचुअल फ़ंड्स और डेट ओरिएंटेड फ़ंड्स
टैक्सेशन में कोई बदलाव नहीं. आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से ही टैक्स लगेगा.
फ़ंड ऑफ फ़ंड्स (FoFs)
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (होल्डिंग पीरियड 2 साल से कम): टैक्स की दर बढ़ाकर 20 फ़ीसदी की गई.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (होल्डिंग पीरियड 2 साल से ज़्यादा): टैक्स की दर बढ़ाकर 12.5 फ़ीसदी हुई.
इंटरनेशनल म्यूचुअल फ़ंड्स, गोल्ड/ सिल्वर ETFs
पहले इन सभी पर टैक्स हर स्थिति में स्लैब रेट के हिसाब से लगता था. अब नई व्यवस्था में 24 महीने से कम की अवधि को STCG माना जाएगा, जो स्लैब रेट के हिसाब से लगेगा. वहीं 24 महीने से ज़्यादा की स्थिति में 12.5 फ़ीसदी LTCG लगेगा.
गोल्ड म्यूचुअल फ़ंड्स और ओवरसीज FoFs
शॉर्ट टर्म (होल्डिंग पीरियड 2 साल से कम): टैक्स की दर बढ़ाकर 20 फ़ीसदी की गई
लॉन्ग टर्म (होल्डिंग पीरियड 2 साल से ज़्यादा): टैक्स की दर बढ़ाकर 12.5 फ़ीसदी की गई.
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