इंटरव्यू

'ELSS फ़ंड सिर्फ़ टैक्स ही नहीं बचाता बल्कि वेल्थ भी बनाता है'

निवेश से पहले इन्वेस्को म्यूचुअल फ़ंड की निवेश स्ट्रैटजी फ़ंड मैनेजर धीमंत कोठारी से समझिए

'ELSS फ़ंड सिर्फ़ टैक्स ही नहीं बचाता बल्कि वेल्थ भी बनाता है'

टैक्स-सेविंग फ़ंड से लेकर PSU फ़ंड, मल्टी-कैप फ़ंड से लेकर हाइब्रिड फ़ंड तक - अलग-अलग तरह के फ़ंड की देखरेख किसी भी फ़ंड मैनेजर के लिए चुनौती भरा हो सकता है, लेकिन धीमंत कोठारी के लिए नहीं. इनवेस्को म्यूचुअल फ़ंड में ये उनका रोज़मर्रा के काम का हिस्सा है. जब हम उनसे इस बारे में पूछते हैं, तो वे बस इतना कहते हैं कि हर फ़ंड की स्ट्रैटजी "उसके मैंडेट के आधार पर का जाती है".

कोठारी ने इनवेस्को इंडिया ELSS टैक्स सेवर फ़ंड के परफ़ॉर्मेंस पर असर डालने वाले फ़ैक्टर और अपने दूसरे फ़ंड्स में डाइवर्स पोर्टफ़ोलियो बनाने के अपने नज़रिए पर चर्चा की. इनवेस्को के फ़ंड मैनेजर के साथ हमारी बातचीत के संपादित अंश यहां दिए जा रहे हैं.

इक्विटी निवेश में आपकी दिलचस्पी सबसे पहले कैसे जगी?
मेरे पिता पारंपरिक तरीक़े से अकाउंट लिखते थे, जिसकी वजह से मैंने चार्टर्ड अकाउंटेंसी (CA) में अपनी पेशेवर डिग्री हासिल की. ​​अपनी इंटर्नशिप के दौरान, मुझे एहसास हुआ कि पारंपरिक ऑडिटिंग और अकाउंटिंग में मुझे ज़्यादा पसंद नहीं है. खुशक़िस्मती से, क्रिसिल (CRISIL) में मेरी इंटर्नशिप ने इंडस्ट्रियल रिसर्च में मेरी दिलचस्पी जागी. 2004 में, मैंने इक्विटी रिसर्च करना शुरू किया, जो भारतीय इक्विटी और अर्थव्यवस्था के फलने-फूलने का अहम दौर था. उस वक़्त से, मैंने बिज़नस चलाने और उसके बाद इक्विटी बाज़ार में दिलचस्पी बढ़ाना शुरू कर दिया.

आपके करियर का अनुभव क्रिसिल (CRISIL), Lotus AMC और CARE Ratings जैसी संस्थाओं में काफ़ी अलग तरह का रहा है. इस दौरानकौन-सी सबसे अहम सीख रहीं?
क्रिसिल और केयर रेटिंग्स में क्रेडिट रिसर्च का सिद्धांत था. 2008-09 के दौरान मेरे करियर की शुरुआत में एक फ़ाइनांस संकट था. इस तजुर्बे ने मेरी निवेश रणनीति में बैलेंस शीट और लेवरेज की अहमियत को उजागर किया. फिर भी, इक्विटी बाज़ारों में कोई भी फ़ैसला लेते वक़्त मेरे लिए ग्रोथ भी उतनी ही अहम है. लेकिन अगर ग्रोथ बैलेंस शीट की क़ीमत पर आता है या ज़रूरी कैश फ़्लो मौजूद नहीं है तो ग्रोथ का कोई मतलब नहीं है. मेरा मानना ​​है कि बैलेंस शीट और कैश फ़्लो को ग्रोथ के साथ होना चाहिए. इसलिए, लेवरेज और लेवरेज से जुड़े रेशियो मेरे लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं, और यही मैंने अपने करियर की शुरुआत से सीखा और अमल किया है.

क्या आप अपने निवेश फ़िलॉसफ़ी के बारे में बता सकते हैं? किस तरह के स्टॉक या बाज़ार आपको उत्साहित करते हैं?
इनवेस्को म्यूचुअल फ़ंड में, हमारे पास एक मालिकाना वर्गीकरण का ढांचा है जिसके तहत हम उनकी ख़ासियतों के आधार पर शेयरों की पहचान करते हैं और उनमें से हर एक को अलग-अलग फ़ाइनेंशियल पैरामीटर से जोड़ते हैं. हम कंपनियों को लीडर, हाई-ग्रोथ कंपनियों और टर्न-अराउंड कंपनियों में बांटते हैं. हम एक बड़े ढांचे के तहत काम करते हैं, जो मैनेजमेंट और दूसरे प्रासंगिक पैमानों को शामिल करते हुए ESG ओवरले का पूरक है. इसके अलावा, व्यक्तिगत फ़िलॉसफ़ी है जो मुझे निवेश के दायरे के भीतर स्टॉक चुनने में मदद करते हैं.

मैं ख़ुद को एक संतुलित व्यक्तित्व वाला मानता हूं, और मेरे लिए निवेश के मामले में बैलेंस शीट और कैश फ़्लो स्टेटमेंट दोनों एक ही जितने ख़ास हैं. स्टॉक चुनाव के मामले में, मैं सही क़ीमतों पर ग्रोथ या सही क़ीमतों पर क्वालिटी को तर्जीह देता हूं. कंपनियों को आज के तेज़ी से बदलते माहौल में काफ़ी प्रासंगिक बने रहना चाहिए, क्योंकि बदलाव तेज़ी से होते रहते हैं. आजकल कई बिज़नस और कंपनियां बदलते माहौल के साथ तालमेल बैठाने के लिए संघर्ष कर रही हैं. इसलिए, ज़रुरी है कि कंपनी के पास लंबे समय के ग्रोथ की गति हो, असरदार इनोवेशन हो, और बदलती गतिशीलता के हिसाब से निवेश हो.

आप टैक्स सेवर और मल्टी-कैप से लेकर PSU और हाइब्रिड फ़ंड तक अलग-अलग फ़ंड्स को मैनेज करते हैं. ऐसे डाइवर्स पोर्टफ़ोलियो के मैनेजमेंट के लिए आपकी क्या रणनीति है?
रणनीति, फ़ंड के मैंडेट से ली जाती है. अगर हम टैक्स प्लानिंग फ़ंड की बात करें, तो इसमें मार्केट कैप पर कोई पाबंदी नहीं है. हालांकि, जब मल्टी-कैप फ़ंड की बात आती है, तो हमें बड़े, मीडियम और स्मॉल-कैप शेयरों में से हर एक का 25 फ़ीसदी एलोकेशन करना चाहिए. इसलिए, फ़ंड का मैंडेट ज़रूरी है, क्योंकि ये मेरे टॉप-डाउन नज़रिए और पोर्टफ़ोलियो में स्टॉक पोजिशनिंग को तय करता है.

इनवेस्को में, हम कोई कैश कॉल नहीं लेते, और हमारे आंतरिक स्टॉक कैटगरी बांटने वाले ढांचे के भीतर, हम कई स्टॉक्स ले सकते हैं. हम एक ऐसा फ़ंड चलाते हैं जो अपने लेबल के मुताबिक़ है. इसलिए, एक थीमैटिक PSU फ़ंड में, हमारे पास कोई स्टॉक ऐसा नहीं है जो PSU न हो, भले ही मुझे ऐसे नामों में 20 फ़ीसदी निवेश करने की इजाज़त हो. मैं फ़ाइनेंशियल सर्विस फ़ंड भी मैनेज करता हूं, और आपको एक भी ऐसा स्टॉक नहीं मिलेगा जो फ़ाइनेंशियल सर्विस सेक्टर से न हो. हाइब्रिड फ़ंड के मामले में, एक मालिकाना मॉडल है जो डेट (debt) और इक्विटी एलोकेशन (equity allocation) तय करता है. यहां तक ​​कि मैं मॉडल के परिणाम से 2 फ़ीसदी से ज़्यादा ऊपर-नीचे नहीं जाता. तो हां, हमारे सिस्टम में सुरक्षा की रेलिंग मौजूद हैं, जो रिस्क कम करने में मदद करती हैं.

हाल ही में हुए संयुक्त उद्यम के साथ, जिसमें 60 फ़ीसदी हिस्सेदारी IIHL को बेची गई थी और बाक़ी 40 फ़ीसदी के लिए 18 महीने का लॉक-इन था, क्या आपको कोई मैनेजमेंट में बदलाव दिखाई देता है?
हम संस्थान में किसी भी मैनेजमेंट बदलाव की उम्मीद नहीं करते हैं. जिस तरह से हम काम करते हैं और निवेश प्रक्रिया वही रहेगी. निवेशक के नज़रिए से निवेश प्रक्रिया सबसे ऊपर है, और इसमें कोई बदलाव नहीं हो रहा है. इसलिए, ऐसा कुछ भी नहीं है जो हक़ीकत में हमारे बिज़नस करने के तरीक़े पर असर डालेगा.

2022 चुनौतीपूर्ण था, लेकिन 2023 में ELSS टैक्स सेवर फ़ंड में मजबूत रिकवरी देखी गई. हालांकि, इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद, 2024 की पहली छमाही में प्रदर्शन मामूली ही दिखा. हाल ही में इसके प्रदर्शन को किन फ़ैक्टर ने प्रभावित किया?
मैं 2022-23 की से शुरुआत करूंगा, ताकि पूरा नज़रिया दिया जा सके. 2022 में, बाज़ार ने अपने मूल सिद्धांतों से काफ़ी बेहतर प्रदर्शन किया, जैसा कि 24-25 गुना के P/E रेशियो से पता चलता है. उभरते मार्केट इंडेक्स के लिए भारत का प्रीमियम भी अब तक के उंचे स्तर पर था. इस फ़ंड के पीछे की सोच न सिर्फ़ बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन करते हुए रिटर्न पैदा करना है, बल्कि ड्रॉ-डाउन को भी कम करना है. इसलिए, 2022 में हमारे पास एक लार्ज-कैप पोज़िशनिंग थी, जिसने बेंचमार्क के मुका़बले 2022 में कुछ अल्फ़ा को दूर कर दिया. लेकिन आखिरकार, चीज़ें सामान्य हो गईं और हम 2023 में वापस आ गए. 2023 के बाद से, इनकम साइकिल मज़बूत हुआ, मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में मौक़े बढ़े, जिससे हम फिर से खेल में आ गए. 2024 में छह महीने के प्रदर्शन के बारे में बात करने के लिए बहुत कम है. हालांकि, कुछ बॉटम-अप आइडिया उम्मीद के मुताबिक़ नहीं चले. लेकिन, हाल ही में, उन्होंने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. लंबी अवधि के आधार पर, हम बेंचमार्क और अपने साथियों से आराम से आगे निकल रहे हैं.

लार्ज-कैप पोर्टफ़ोलियो बहुत ज़्यादा डाइवर्स है, जिसमें कई स्टॉक 2 फ़ीसदी से भी कम हिस्सेदारी रखते हैं. क्या इन्हें एडजस्ट करने का कोई प्लान है?
ये एक बहुत ही प्रासंगिक सवाल है. अर्थव्यवस्था में अवसर अब बहुत अलग-अलग तरह के हैं. हम वैल्युएशन रिस्क को कम करने के लिए अच्छी तरह से डाइवर्स बने रहना चाहते थे, और अर्थव्यवस्था के उछाल के साथ, हमने ज़्यादा निवेश के मौक़ों में हिस्सा लेने की कोशिश की. सच कहूं तो, वक़्त ही बताएगा कि सभी मौक़े हक़ीक़त में साकार हो रहे हैं या नहीं.

लेकिन अगर आप मुझसे पूछें कि क्या हमें कोई प्रतिकूल परिस्थिति दिख रही है, तो मेरा जवाब है नहीं. हालांकि, इस बारे में कई कहानियां हैं कि शेयर की क़ीमतें आज इतनी क्यों हैं. हमने वैल्यूएशन और ग्रोथ में गिरावट या इनकम में गिरावट के रिस्क को कम करने के लिए एक डाइवर्स पोर्टफ़ोलियो बनाया है. जब अर्थव्यवस्था स्थिर होने लगती है और आख़िरकार धीमी हो जाती है, तो किसी भी पोर्टफ़ोलियो के कंसॉलिडेशन का दौर शुरू होता है. हम ईमानदारी से नज़दीक भविष्य में किसी भी आर्थिक मंदी की उम्मीद नहीं कर रहे. इसलिए ये लॉन्ग-टेल या डाइवर्स पोर्टफोलियो का नज़रिया जारी रहेगा.

हाल ही में टैक्स-सेविंग फंड्स में नेट इनफ़्लो में बहुत ज़्यादा बढ़ोतरी नहीं देखी गई है. इन फंड्स में ज़्यादा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए आप किन रणनीतियों पर विचार कर रहे हैं?
ये बड़ी बदकिस्मती है कि लोगों में झुंड वाली मानसिकता है और वे पिछले साल के रिटर्न के आधार पर कैटेगरी बदल देते हैं. इसलिए, पिछले साल हमने देखा है कि मिड और स्मॉल कैप और कुछ थीमैटिक कैटेगरी ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और उन्हें मज़बूत फ़्लो मिला है. जहां तक ​​टैक्स सेवर फ़ंड्स का सवाल है, हम निवेशकों को ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि ELSS फ़ंड सिर्फ़ टैक्स ही नहीं बचाता बल्कि वैल्थ भी बनाता है, क्योंकि इक्विटी ही इकलौती ऐसी एसेट कैटेगरी है जो लंबी अवधि में महंगाई दर को मात दे सकती है.

बहुत से निवेशकों में साल के आख़िर (मार्च) के आखिरी कुछ दिनों में ही ELSS फ़ंड में पैसा लगाने की आदत होती है. इसलिए, हम उन्हें फिर से SIP (सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान) का रास्ता अपनाने और टैक्स-बचत निवेश में आखिरी वक़्त में जल्दबाज़ी करने के बजाय अनुशासित तरीक़े से निवेश करने के लिए कहते हैं. उम्मीद है कि ये सीख पूरी कैटेगरी में मदद करेगी और आखिरकार इन-फ़्लो बढ़ेगा.

मल्टी-कैप फ़ंड में आप लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक के बीच एलोकेशन को कैसे संतुलित करते हैं, ख़ासकर उतार-चढ़ाव वाले बाज़ार में?
हमारे पास क़रीब 40-45 फ़ीसदी लार्ज-कैप कंपनियां हैं जो तेज़ दर से बढ़ रही हैं और जिनका ROE बेहतर है, जो पोर्टफ़ोलियो का कुल आधार है. हालांकि, ये संख्याएं महीने-दर-महीने अलग होती हैं, लेकिन लार्ज कैप में एक अनुमानित संख्या क़रीब 40-45 फ़ीसदी की है. मिड और स्मॉल कैप में, हमने डाइवर्सिटी लाने और एक लॉन्ग टेल रखने की कोशिश की है ताकि एक ही कंपनी के रिस्क से बचा जा सके. कुल मिला कर नज़रिया बहुत उत्साहजनक है, लेकिन आप नहीं जानते कि आखिर में क्या होता है और आप पर असर डालता है. वैश्विक अर्थव्यवस्था और इसकी गतिशीलता ज़्यादातर अस्थिर बनी हुई है, जिसमें रूस-यूक्रेन, लाल सागर और इज़राइल संघर्ष जैसे मुद्दे चल रहे हैं, और ये अनिश्चित है कि इनमें से कौन से मुद्दे भविष्य में उभरेंगे. ऐसे में, बाज़ार में सेक्टर का रोटेशन बहुत तेज़ है. इसलिए, हम मिड और स्मॉल कैप सेक्टरों के साथ-साथ लार्ज टेल्स पर ज़्यादा ध्यान लगा करके अपने डाइवर्सिफ़िकेशन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. इस समय, मिड और स्मॉल-कैप पक्षों पर वैल्युएशन थोड़ा ज़्यादा है, और इनकम में किसी भी तरह की गिरावट का बड़ा असर पड़ेगा. इसलिए, इस वैल्युएशन रिस्क और बाक़ी अंजाने फ़ैक्टर को कम करने के लिए, हम ज्यादा डाइवर्स होने की कोशिश कर रहे हैं.

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