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NSE का आदेश: F&O ट्रेडिंग के लिए अब 1,000 से ज़्यादा शेयरों को नहीं रख पाएंगे गिरवी

यस बैंक, सुज़लॉन सहित ₹20,000 करोड़ से ज़्यादा मार्केट कैप वाली 25 कंपनियां शामिल

F&O Trading के लिए अब इन 1,000 Shares को नहीं रख पाएंगे गिरवी

F&O ट्रेडर्स के पास अब गिरवी रखने के लिए सिक्योरिटीज़ के विकल्प ख़ासे कम होने जा रहे हैं. असल में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने एक हज़ार से ज़्यादा सिक्योरिटीज़ को कोलेटरल के रूप में स्वीकार करने से जुड़े एलिजेबिलिटी क्राइटीरिया को ख़ासा सख़्त कर दिया है. आमतौर पर क्लाइंट्स इंट्राडे या डेरिवेटिव फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस(F&O) ट्रेडिंग के लिए मार्जिन से जुड़ी ज़रूरतों के मद्देनज़र शेयर या सिक्योरिटीज़ को गिरवी रखते हैं.

ये बदलाव 1 अगस्त 2024 से चरणबद्ध तरीक़े से लागू होंगे.

कौन सी सिक्योरिटीज़ लिस्ट से हुईं बाहर

इस तरह, NSE क्लियरिंग लिमिटेड (NSE Clearing Limited) उन सिक्योरिटीज़ को कोलेटरल के लिए अस्वीकार कर देगा, जिनमें ट्रेडिंग की गतिविधियां कम रहती हैं या इम्पैक्ट कॉस्ट ज़्यादा रहती है. ऐसा होने पर, लगभग 1,730 एलिजिबल सिक्योरिटीज़ की लिस्ट में से 1,010 सिक्योरिटीज़ बाहर हो जाएंगी, जिन्हें कोलेटरल के रूप में गिरवी रखा जा सकता है. इससे F&Oऔर इंट्राडे ट्रेडर्स के सामने गिरवी रखने के विकल्प कम हो जाएंगे.

25 शेयरों का मार्केट कैप 20,000 करोड़ से ज़्यादा

दिलचस्प बात ये है कि हटाई जा रही सिक्योरिटीज़ में से 25 का मार्केट कैप ₹20,000 करोड़ से ज़्यादा है. इस सर्कुलर से प्रभावित होने वाले ऊंचे मार्केट कैपिटलाइजेशन वाले शेयरों में अडानी पावर, यस बैंक, सुजलॉन, पेटीएम (वन 97 कम्युनिकेशंस), HUDCO, भारत डायनामिक्स, गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस आदि शामिल हैं.

कौन सी सिक्योरिटीज़ रखी जा सकेंगी गिरवी

NSE ने 10 जुलाई को एक सर्कुलर में कहा कि उसकी क्लियरिंग इकाई केवल उन्हीं इक्विटी सिक्योरिटीज़ को कोलेटरल के रूप में स्वीकृति देगी और स्वीकार करेगी, जिनका पिछले छह महीनों के दौरान कम से कम 99 फ़ीसदी दिनों में क़ारोबार हुआ है और जिनकी इम्पैक्ट कॉस्ट ₹1 लाख की ऑर्डर वैल्यू के लिए 0.1 फ़ीसदी तक है.

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1 अगस्त से लागू होंगे ये बदलाव

सर्कुलर में कहा गया है, "इन मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली इक्विटी सिक्योरिटीज़ को 1 अगस्त 2024 से स्वीकार नहीं किया जाएगा."

स्टॉक एक्सचेंज ने सर्कुलर जारी होने तक के आंकड़ों के आधार पर उन सिक्योरिटीज़ की एक अस्थायी सूची जारी की है जो मानदंडों को पूरा नहीं करती हैं. इस क्रम में स्वीकार्य सिक्योरिटीज़ के अपने मासिक सर्कुलर के हिस्से के रूप में स्वीकार्य इक्विटी स्टॉक की अंतिम सूची प्रकाशित करेगा.

इस तरह लागू होगी नई व्यवस्था

हालांकि, अस्वीकृत सिक्योरिटीज़ को बदलने के लिए क्लियरिंग मेम्बर्स को नई व्यवस्था लागू करने में मदद देने के लिए, NSE क्रमिक रूप से हेयरकट बढ़ाएगा, जिसका उल्लेख नीचे किया गया है:

  • 1 अगस्त 2024 से: 40 फ़ीसदी या VAR (वैल्यू एट रिस्क), जो ज़्यादा हो.
  • 1 सितंबर से: 60 फ़ीसदी या VAR (वैल्यू एट रिस्क), जो ज़्यादा हो.
  • 1 अक्तूबर से: 80 फ़ीसदी या VAR (वैल्यू एट रिस्क), जो ज़्यादा हो.
  • 1 नवंबर से: 100 फ़ीसदी.

नई सिक्योरिटीज़ उपलब्ध करानी होंगी

NSE के सर्कुलर में कहा गया है, "क्लियरिंग मेंबर्स से ये सुनिश्चित करने के लिए अनुरोध किया जाता है कि अस्वीकृत सिक्योरिटीज़ के बदले में जल्द से जल्द स्वीकृत कोलेटरल उपलब्ध कराए जाएं."

इस सूची में शामिल म्यूचुअल फ़ंड स्कीमों के मामले में, ओवरनाइट म्यूचुअल फ़ंड, लिक्विड फ़ंड या गवरमेंट सिक्योरिटीज़ म्यूचुअल फ़ंड की ग्रोथ स्कीम्स के लिए हेयरकट को 5 फ़ीसदी में बदल दिया जाएगा. अन्य म्यूचुअल फ़ंड के लिए, हेयरकट 6 स्टैंडर्ड डेविएशन के आधार पर VaR मार्जिन पर होगा, जो न्यूनतम 9 फ़ीसदी होगा. ये एक बहुत ही कंज़रवेटिव उपाय है, जिससे पता चलता है कि कैलकुटेल किए गए रिस्क में बाज़ार में उतार-चढ़ाव के ऊंचे स्तर को ध्यान में रखा जाता है.

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