AI-generated image
HDFC AMC ने अपना लेटेस्ट पैसिव फ़ंड ऑफ़रिंग -- HDFC निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 इंडेक्स फ़ंड (HDFC Nifty 100 Low Volatility 30 Index Fund NFO) -- को लॉन्च कर दिया है. ये फ़ंड, पिछले साल के दौरान सबसे कम प्राइस वोलैटिलिटी दर्ज़ करने वाले लार्ज-कैप शेयरों में निवेश करेगा. ये ऑफ़र 21 जून, 2024 को सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था और 5 जुलाई 2024 तक उपलब्ध रहेगा.
यहां हम इस NFO (न्यू फ़ंड ऑफ़र) की जानकारियां दे रहे हैं.
NFO के बारे में
फ़ंड | HDFC निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 इंडेक्स फ़ंड |
SEBI कैटेगरी | इंडेक्स फ़ंड |
स्कीम का प्रकार | ओपन-एंडेड |
NFO अवधि | 21 जून-5 जुलाई, 2024 |
बेंचमार्क | निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 टोटल रिटर्न इंडेक्स (TRI) |
फ़ंड मैनेजर | निर्माण एस. मोराखिया और अरुण अग्रवाल |
एग्ज़िट लोड | शून्य |
टैक्सेशन | अगर यूनिट एक साल बाद बेची जाती हैं, तो ₹1 लाख से ज़्यादा के मुनाफ़े पर 10 फ़ीसदी टैक्स लागू होगा. अगर यूनिट ख़रीद के एक साल के अंदर बेची जाती हैं, तो 15 फ़ीसदी टैक्स लगाया जाएगा. |
फ़ंड के बारे में
' HDFC निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 इंडेक्स फ़ंड ' एक पैसिव, ओपन-एंडेड फ़ंड है जिसका लक्ष्य निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 TRI के मुताबिक़ रिटर्न देना है.
इससे पहले चार दूसरे AMC ने ऐसे फ़ंड लॉन्च किए हैं, जिनमें से सभी ने शुरुआत से ही डबल-डिज़िट रिटर्न दिए हैं.
निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 TRI की नकल करने वाले फ़ंड
लॉन्च होने के बाद से, इन सभी ने अच्छा रिटर्न दिया है
फ़ंड का नाम | लॉन्च होने की तारीख़ | लॉन्च होने के बाद से कुल रिटर्न (%) |
---|---|---|
ICICI प्रूडेंशियल निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 ETF | 3 जुलाई 2017 | 15.74 |
कोटक निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 ETF | 23 मार्च 2022 | 21.09 |
बंधन निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 इंडेक्स फ़ंड | 6 अक्तूबर 2022 | 24.6 |
मिराए निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 ETF | 24 मार्च 2023 | 36.81 |
नोट: 25 जून 2024 तक का रिटर्न |
इंडेक्स के बारे में
चूंकि HDFC AMC का ये लेटेस्ट फ़ंड, निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 TRI को ट्रैक करेगा, तो आइए समझते हैं कि ये इंडेक्स कैसे काम करता है.
'निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 TRI' निफ़्टी 100 में से 30 स्टॉक चुनता है -- वे 30 स्टॉक जिन्होंने पिछले 12 महीनों में सबसे कम प्राइस वोलैटिलिटी दर्ज़ की है. इंडेक्स में सबसे कम वोलैटिलिटी वाले स्टॉक में सबसे ज़्यादा वेट दिया जाता है. इंडेक्स को तिमाही आधार पर रीबैलेंस किया जाता है.
सेक्टोरल वेट
ग्राफ़ में हम देख सकते हैं कि टॉप तीन सेक्टरों (FMCG, फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ और हेल्थकेयर) का कुल वेट क़रीब 52.9 फ़ीसदी है, जबकि टॉप पांच सेक्टरों (FMCG, फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़, हेल्थकेयर, कंज़्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑटोमोबाइल एंड ऑटो) का कुल मिलाकर क़रीब 71.7 फ़ीसदी वेट है. इससे पता चलता है कि निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 TRI के अंडरलाइंग स्टॉक कुछ ही इंडस्ट्री में बहुत ज़्यादा कॉन्सेंट्रेटेड हैं.
निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 TRI के टॉप 5 स्टॉक
12 महीने की क़ीमत में जितनी कम अस्थिरता होगी, कंपनी का वेट उतना ही ज़्यादा होगा
कंपनी | वेट (%) |
---|---|
हिंदुस्तान यूनिलीवर | 4.45 |
ICICI बैंक लिमिटेड | 4.34 |
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज़ | 4.14 |
एशियन पेंट्स | 3.99 |
ITC | 3.81 |
नोट: मई 2024 तक का डेटा सोर्स: निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 इंडेक्स फैक्टशीट |
निफ़्टी 100 के साथ तुलना
निफ़्टी 100 के साथ, मोटे तौर पर तुलना से पता चलता है कि निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 TRI में कम गिरावट हुई है.
नीचे दिए गए ग्राफ़ से भी यही पता चलता है कि दोनों इंडेक्स ने आर्थिक अस्थिरता के दौरान नेगेटिव रिटर्न दिया, पर निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 TRI में अपने पैरेंट इंडेक्स (निफ़्टी 100) की तुलना में कम गिरावट आई.
हालांकि, निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 TRI की कम अस्थिरता का मतलब कम रिटर्न नहीं है. जून 2020 और अप्रैल 2024 के बीच, इंडेक्स का रिटर्न निफ़्टी 100 के बराबर था, यहां तक कि इसने पिछले साल की तुलना में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया.
फ़ंड मैनेजरों के बारे में
निर्माण मोराखिया और अरुण अग्रवाल साथ मिलकर फ़ंड को मैनेज करेंगे.
मोराखिया 2018 से HDFC AMC के साथ जुड़े हैं. उन्हें इक्विटी में 14 साल से ज़्यादा का अनुभव है. इस समय, वे फ़ंड हाउस में 14 पैसिव स्कीम (फ़ंड ऑफ फ़ंड्स को छोड़कर) मैनेज करते हैं.
अग्रवाल को इक्विटी, डेट एंड डेरिवेटिव डीलिंग, फ़ंड मैनेजमेंट, इंटरनल ऑडिट और ट्रेज़री ऑपरेशन में 23 साल से ज़्यादा का अनुभव है. इस समय वे जिन फ़ंड्स को मैनेज करते हैं, उनमें HDFC निफ़्टी रियल्टी इंडेक्स फ़ंड , HDFC निफ़्टी PSU बैंक ETF और HDFC BSE 500 इंडेक्स फ़ंड शामिल हैं.
हमारी राय
धनक में हम मानता रहे हैं कि फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड जैसे डायवर्सिफ़ाइड इक्विटी फ़ंड निवेशकों के लिए बेहतर होते हैं, क्योंकि वे अलग-अलग सेक्टरों में निवेश करते हैं. इसके अलावा, ये फ़ंड लंबे समय के दौरान पूंजी बनाने के लिए ज़्यादा बेहतर होते हैं.
हालांकि, अगर आप फिर भी ऐसे फ़ैक्टर पर आधारित फ़ंड में निवेश करने के इच्छुक हैं, तो हमारा सुझाव है कि आप अपने पोर्टफ़ोलियो का सिर्फ़ 5-10 फ़ीसदी ही उनमें निवेश करें.
ये भी पढ़िए - NFO में निवेश से पहले खुद से पूछें ये 3 सवाल