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अगर आपको लगता है कि डेट म्यूचुअल फ़ंड और FD (फ़िक्स्ड डिपॉज़िट) ही शॉर्ट-टर्म निवेश के लिए एकमात्र विकल्प हैं, तो एक बार फिर से विचार करें. असल में, एक और विकल्प है जिसके बारे में शायद आप न जानते हो, और वो है NPS टियर II.
NPS (नेशनल पेंशन स्कीम) टियर II आप अपने पैसे का 100 फ़ीसदी हिस्सा डेट सिक्योरिटीज़ में लगा सकते हैं. (अगर आप 'एक्टिव' विकल्प चुनते हैं). इसके अलावा, इनमें लॉक-इन पीरियड नहीं होता है. इसका मतलब ये है कि निवेशक, किसी भी समय अपना फ़ंड निकाल सकते हैं.
तो, क्या आपको शॉर्ट-टर्म निवेश के लिए FD के मुक़ाबले NPS टियर II चुनना चाहिए, जिसकी सलाह आमतौर पर हम भी देते हैं? आइए जानते हैं कि कौन सा विकल्प आपके लिए सबसे बेहतर है.
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#1 NPS Tier II vs Debt Funds: आसान निवेश
डेट फ़ंड में निवेश करना बहुत ही आसान है. इसमें आप सीधे फ़ंड हाउस की वेबसाइट या अलग-अलग इंटरमीडियरीज़ (म्यूचुअल फ़ंड डिस्ट्रीब्यूटर्स या ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म) के ज़रिए से निवेश कर सकते हैं. आपको बस ज़रूरी डॉक्युमेंट्स देने होते हैं और सही फ़ंड का चुनाव करना होता है.
दूसरी ओर, NPS के टियर II विकल्प में निवेश करने के लिए आपको NPS टियर I का सब्सक्राइबर होना ज़रूरी है.
#2 NPS Tier II vs Debt Funds: आसान विड्रॉल
लिक्विडिटी के मामले में, डेट फ़ंड और NPS टियर II दोनों ही बराबर हैं, क्योंकि दोनों में लॉक-इन पीरियड नहीं है.
इसके अलावा, उनका टर्नअराउंड समय भी काफ़ी हद तक एक जैसा ही है. NPS टियर II का पैसा आपके बैंक खाते में जमा होने में 2-3 दिन लगते हैं; डेट फ़ंड में, दो दिन लगते हैं.
#3 NPS Tier II vs Debt Funds: टैक्स
यहां भी, डेट फ़ंड और NPS टियर II इस मामले मे एक जैसे हैं. विड्रॉल के दौरान, दोनों पर निवेशका के टैक्स स्लैब के मुताबिक़ सामान्य रूप से टैक्स लागू होता है.
#4 NPS Tier II vs Debt Funds: रिटर्न
एक सरसरी निगाह डालें तो NPS टियर II में ग्रोथ नज़र आएगी. हालांकि, इसमें एक कमी है.
अगर आप ग्राफ़ में ग़ौर करें तो NPS टियर II की स्कीम C (कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश) और स्कीम G (सरकारी बॉन्ड में निवेश) के रिटर्न में तेज़ी से उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि ये ऊंची मेच्योरिटी वाले बॉन्ड में निवेश करते हैं, जिससे ब्याज़ दर में रिस्क बढ़ जाता है और नतीजा ये रहता है की शॉर्ट टर्म में ज़्यादा उतार-चढ़ाव भरा रिटर्न मिलता है.
इस दौरान, कम समय वाले डेट फ़ंड कहीं ज़्यादा स्थिर दिखाई देते हैं. क्योंकि ये फ़ंड जल्दी मेच्योर होने वाले बॉन्ड में निवेश करते हैं, इसलिए इनपर NPS टियर II की तरह कम समय में उतार-चढ़ाव का असर नहीं होता है. यही वजह है कि ये शॉर्ट टर्म निवेश के लिहाज़ से ज़्यादा बेहतर हैं.
इसके अलावा, पिछले 12 महीनों में दोनों विकल्प के रिटर्न एक जैसे ही रहे हैं.
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NPS Tier II vs Debt Funds: कौन सा विकल्प बेहतर है?
जब शॉर्ट टर्म निवेश की बात आती है, तो शॉर्ट ड्यूरेशन वाले डेट फ़ंड सबसे बेहतर विकल्प हैं. हालांकि, NPS टियर II पर इन्हें कोई ख़ासी ग्रोथ नहीं मिलती है, लेकिन ये शॉर्ट टर्म में बहुत कम उतार-चढ़ाव भरे होते हैं. जैसा कि ऐसी परिस्थिति हर निवेशक चाहता है.
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Debt Fund कैसे चुनें?
हम लिक्विड, अल्ट्रा-शॉर्ट और शॉर्ट-ड्यूरेशन डेट फ़ंड की सलाह देते हैं. ये डेट फ़ंड आपको बिना किसी अतिरिक्त शॉर्ट टर्म उतार-चढ़ाव के ज़रूरी स्थिरता देते हैं. इसलिए, जब तक हमें कोई बेहतर विकल्प नहीं मिल जाता, तब तक अपने शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट को इन फ़ंड्स में सुरक्षित रखें.
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