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Quant Front Running Case: क्या है फ़्रंट-रनिंग, इसे कैसे दिया जाता है अंजाम?

हम इस बात पर भी ग़ौर करेंगे कि इस तरह के कथित ग़लत कामों का म्यूचुअल फ़ंड निवेशकों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है

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फिल्म 'टू बिग टू फेल' (Too Big to Fail) में विलियम हर्ट (William Hurt) ने हेनरी पॉलसन (एक अमेरिकी निवेश बैंकर जो अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ द ट्रेजरी बने) की भूमिका निभाई है. 2008 ग्लोबल फ़ाइनेंशियल क्राइसिस पर, हर्ट ने बैंकिंग सिस्टम के काम करने के तरीक़े को संक्षेप में दो पंक्तियों में बताते हुए कहा: “दुनिया में ऐसा कोई बैंक नहीं है जिसके पास अपने डिपॉजिटर्स को भुगतान करने के लिए पर्याप्त पैसा हो. ये सब भरोसे पर आधारित है.”

कुछ हद तक, यही बात फ़ाइनेंशियल सिस्टम पर भी लागू होती है. भरोसा फ़ाइनेंशियल सिस्टम को एक साथ बांधे रखता है. इसके बिना, आपको अपने पैसे को अपने पास ही छिपाकर रखना होगा.

हाल में, 23 जून, 2024 को क्वांट म्यूचुअल फ़ंड के मामले में SEBI की जांच की ख़बर सामने आने के बाद, कई लोगों ने अपनी चिंताएं और राय व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है. लेकिन अराजकता की स्थिति में कमज़ोर न पड़ें. हम आपको यहां ये समझाने में मदद करेंगे कि फ़्रंट रनिंग का क्या मतलब है और आपको इससे जुड़े कुछ पिछले उदाहरणों से रूबरू कराएंगे.

फ़्रंट रनिंग क्या है?

म्यूचुअल फ़ंड हाउस ब्रोकर के माध्यम से स्टॉक ख़रीदते और बेचते हैं, जिन्हें डीलर के रूप में जाना जाता है. अगर डीलर को पता है कि कोई फ़ंड हाउस ख़रीद/बिक्री का ऑर्डर देने वाला है और वो कंपनी के शेयर पहले ही ख़रीद/बेच लेता है, तो इसका मतलब है कि वो अनुचित तरीक़े से पैसा कमा सकता है.

अब आगे समझिए, इसका तरीक़ा क्या होता है यानी इसे कैसे अंजाम दिया जाता है.

डीलर को पता चलता है कि कोई फ़ंड हाउस कंपनी A के शेयर ख़रीदने वाला है. वो कंपनी A के शेयर (मान लें) ₹100 में अपने व्यक्तिगत ख़ाते या सहयोगी के ख़ाते में ख़रीदेगा. बाद की तारीख़ में, डीलर फ़ंड हाउस की ओर से कंपनी A के शेयर ख़रीदेगा. जैसे ही शेयर की क़ीमत बढ़ती है और (मान लें) ₹110 तक जाती है, डीलर 10 फ़ीसदी का शानदार और आसान फ़ायदा कमाएगा.

यदि उक्त डीलर फ़ंड हाउस की ओर से निवेश करने से पहले शेयर की क़ीमत बढ़ाता है, तो म्यूचुअल फ़ंड में निवेशक के रूप में आप नुक़सान में रहेंगे.

आप समझ सकते हैं कि ये एक अवैध यानी गैर कानूनी गतिविधि क्यों है और क्यों SEBI ऐसी गतिविधियों को अंजाम देने वाली संस्थाओं पर शिकंजा कस रहा है. भारतीय म्यूचुअल फ़ंड उद्योग में फ्रंट-रनिंग के कुछ उदाहरण यहां दिए गए हैं.

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एक्सिस म्यूचुअल फ़ंड (2022)

शायद सबसे बड़ा फ़्रंट-रनिंग घोटाला एक्सिस म्यूचुअल फ़ंड में सामने आया. SEBI के सर्विलांस सिस्टम ने 1 सितंबर 2021 और 31 मार्च 2022 के बीच कुछ ट्रेड्स के बारे में अलर्ट जारी किए, जिन पर एक्सिस म्यूचुअल फ़ंड के ट्रेड्स के मामले में फ्रंट-रन होने का संदेह था.

अपनी जांच के दौरान, SEBI ने पाया कि वीरेश जोशी (एक्सिस म्यूचुअल फ़ंड के पूर्व मुख्य डीलर) से जुड़े विभिन्न व्यक्तियों ने फ़ंड हाउस की ओर से दिए जाने वाले ऑर्डर से पहले विभिन्न सिक्योरिटीज़ में ट्रेड किया था. इन व्यक्तियों ने सामूहिक रूप से ₹30.56 करोड़ की ग़लत कमाई की. हालांकि, SEBI के आदेश में फ़ंड मैनेजरों या AMC की ओर से किसी भी तरह की गड़बड़ी का संकेत नहीं मिला.

HDFC म्यूचुअल फ़ंड (2020)

SEBI ने HDFC म्यूचुअल फ़ंड के ट्रेड्स को फ़्रंट-रन करने के लिए 2020 में चार संस्थाओं पर ₹2 करोड़ का जुर्माना लगाया. नीलेश कपाड़िया (वर्ष 2000 से 2010 के बीच HDFC म्यूचुअल फ़ंड के लिए इक्विटी डीलर) ने धर्मेश शाह को आगामी ट्रेड्स के बारे में जानकारी दी.

हमारी राय

अतीत में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं. फ़ंड हाउस का डीलिंग से जुड़ा काम इस तरह की शरारतों के लिए विशेष रूप से संवेदनशील होता है. हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि फ़ंड हाउस जानबूझकर आपको धोखा देने की कोशिश कर रहा है.

फिलहाल, सबसे अच्छी बात ये है कि कुछ भी न करें. SEBI की जांच प्रक्रिया पूरी होने तक इंतजार करें और उसके बाद ही कोई फैसला लें.

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