इंटरव्यू

फ़्रंट-रनिंग आरोप से कुछ दिन पहले क्वांट MF के CEO ने कहा, 'हमारे लिए, वक़्त ही सब कुछ है'.

एक ख़ास इंटरव्यू में, CEO संदीप टंडन ने बताया कि उनका फ़ंड हाउस किस तरह से स्टॉक का चुनाव करता है

फ़्रंट-रनिंग आरोप से कुछ दिन पहले क्वांट MF के CEO ने कहा, 'हमारे लिए, वक़्त ही सब कुछ है’.

कैपिटल मार्केट में 27 सालों से ज़्यादा के तजुर्बे के साथ, संदीप टंडन इंडस्ट्री में एक जाना-माना नाम हैं. इससे पहले, उन्होंने GIC म्यूचुअल फ़ंड, IDBI म्यूचुअल फ़ंड, ICICI सिक्योरिटीज़ और कोटक सिक्योरिटीज़ सहित कई नामी फ़ाइनांस सर्विस फ़र्मों में पद संभाले हैं.

वैल्यू रिसर्च के साथ एक ख़ास बातचीत में,क्वांट म्यूचुअल फ़ंड के CEO और निदेशक ने बाज़ार के रुझानों का अंदाज़ा लगाने में अनालेसिस के रणनीतिक इस्तेमाल पर रोशनी डाली. इसके अलावा, उन्होंने मौजूदा बाज़ार के पूर्वानुमान और लेवरेज पर भी बात करते हुए कहा कि दोनों वर्तमान में सबसे कम स्तर पर हैं. यहां इंटरव्यू के कुछ दिलचस्प अंश दिए गए हैं.

क्या आप अपने निवेश फ़्रेमवर्क के बारे में बता सकते हैं?
हमारा VLRT (वैल्यूएशन, लिक्विडिटी, रिस्क और टाइम) फ़्रेमवर्क एक रिस्क कम करने वाले निवेश फ़्रेमवर्क है. आइए इसे बाज़ार के नज़रिए से समझें जब हम कुछ डेटा प्वाइंट के बारे में बात करते हैं.

सितंबर 2021 में, टैक्नोलोजी शेयरों ने अपने टॉप पर पहुंच गए, और हमारे अनालेसिस के आधार पर, हमने असाधारण प्रचार देखा और इस सेक्टर से बाहर निकल गए. बाज़ार को हमारे बाहर निकलने के छह महीने बाद इसका एहसास हुआ, लेकिन तब तक शेयरों में 30 फ़ीसदी की गिरावट आ चुकी थी. डेढ़ साल बाद, वे 50-60 फ़ीसदी तक नीचे आ गए, इसलिए अगर आपने सही वक़्त पर सेल नहीं किया तो आपका रिस्क वैल्यूएशन और समय ग़लत था.

मेरा मानना ​​है कि वैल्यूएशन अनालेसिस जो आज ज़्यादातर लोग करते हैं उसकी सबसे बड़ी चुनौती ये है कि ज़्यादातर वैल्यूएशन मीट्रिक पर निर्भर करते हैं जिसे स्टॉक प्राइज़ कहा जाता है. इसलिए, जब क़ीमत में उतार-चढ़ाव होता है, तो आप अपने विचार बदलते रहते हैं. अब, हमें उन मानवीय अंदाज़ों को दूर करना होगा.

कैसे? हमारे VLRT ढांचे में, हम एक तिहाई वज़न वैल्यूएशन एनेलेटिक्स को, एक तिहाई रिस्क की क्षमता (जो कि भावना डेटा है) को और एक तिहाई लिक्विडिटी एनेलिटिक्स को एलोकेट करते हैं. हमारे लिए भी, टाइमिंग एनेलेटिक्स एक रिस्क टूल है.

आइए कोविड-19 काल की मिसाल लें. जब महामारी फैली, तो हमारे अनालेसिस से पता चला कि लिक्विडिटी अब तक के टॉप लेवल पर थी (केंद्रीय बैंकरों की बदौलत), और रिस्क उठाने की क्षमता 30 से 40 साल के निचले स्तर पर आ गई. इसलिए जब भी लिक्विडिटी और रिस्क उठाने की क्षमता ज़्यादा होती है, तो ये घातक तेज़ी का इशारा होता है. इसलिए हम अप्रैल 2020 में 100 फ़ीसदी तैनात थे, जबकि दूसरे लोग घबराहट की हालत में थे. जून-जुलाई 2020 में, जोख़िम उठाने की क्षमता में सुधार हुआ, जो दिखाता है कि मिड- और स्मॉल-कैप में तेज़ी आने लगेगी. आपको यह समझना होगा कि आप मनी-फ़्लो अनालेसिस पर पहुंचने के लिए लिक्विडिटी और रिस्क की क्षमता के अनालेसिस टूल का इस्तमाल कर सकते हैं. मनी-फ़्लो अनालेसिस हमें दिखाता है कि सेक्टर, स्टॉक रोटेशन और एसेट क्लास रोटेशन को कुशलतापूर्वक कैसे किया जाए.

लेकिन, सभी डेटा और एनालिटिक्स को देखते हुए, आप पोर्टफ़ोलियो में स्टॉक का चुनाव कैसे करते हैं?
बहुत से लोग सोचते हैं कि हम गति रणनीति अपनाते हैं, लेकिन हम ख़ास तौर से एक व्यवहारिक फ़ंड हाउस हैं. हमारे एनेलेटिक्स की मदद से, हम सभी सेक्टरों और स्टॉक (800 स्टॉक का एक निवेश की दुनिया) को पसंद कि जाने वाले और उपेक्षित सेक्टरों में बिज़नस करने की कोशिश करते हैं. मेरा मानना ​​है कि हर चीज़ या तो पसंद वाले सेक्टर या उपेक्षित सेक्टर में बिज़नस करती है. अगर शेयर सबसे ज़्यादा पसंद किए जाने वाले ज़ोन में चले जाते हैं, तो हम उनसे बाहर निकल जाते हैं और अगर वे सबसे ज़्यादा नापसंद किए जाने वाले ज़ोन में हैं, तो हम उनके लिए अग्रेसिव ख़रीदार बन जाते हैं.

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मैं ITC की मिसाल दूंगा. जब हमने सितंबर 2021 में ITC को देखा, तो ये ₹200 के आसपास क़ारोबार कर रहा था. हमने इसे इसलिए ख़रीदा क्योंकि यह सबसे ज़्यादा नापसंद किए जाने वाले ज़ोन में क़ारोबार कर रहा था. अगर हम पिछले 24 सालों के इतिहास का अनालेसिस करें, तो यह सिर्फ़ दो बार ही नापसंद किए जाने वाले ज़ोन में क़ारोबार कर पाया है - एक बार 2007 में और फिर 2021 में। इतिहास से पता चलता है कि 2000 और 2013 में इसने सबसे ज़्यादा पसंद किये जाने वाले सेक्टर में क़ारोबार किया. क्वांट म्यूचुअल फ़ंड में एक और इंडिकेटर, जिसे ITC के लिए क्वांट फ़ियर इंडेक्स के तौर पर जाना जाता है, अब तक के हाई लेवल पर था. इसलिए, हमने स्टॉक में इस तरह का डर कभी नहीं देखा था, लेकिन यह हमारे VLRT ढांचे में फिट बैठता है, और हमने पूरी तरह से निवेश किया और एक्सपोज़र बनाया. यह हमारी सभी स्कीमों में टॉप होल्डिंग थी, और करीब ₹480 की क़ीमत पर, हम पूरी तरह से बाहर निकल गए.

फिर, हमने अपना ध्यान रिलायंस इंडस्ट्रीज पर किया, जो सबसे ज़्यादा नापसंद वाले सेक्टर में नहीं था, बल्कि उपेक्षित सेक्टर में था. एक बुल मार्केट में, आपको इतनी आसानी से बेहद नापसंद वाले सेक्टर नहीं मिलेंगे. यह आपको यह नज़रिया देता है कि, हमारे लिए, वक़्त ही सब कुछ है, और बाक़ी सब अंदाज़ा है.

आपके परफ़ॉर्मेंस से चलने वाले मॉडल के साथ, क्या आपको अपने किसी भी फ़ंड को चलाने में किसी भी बाधा का सामना करना पड़ता है? मिसाल के लिए, स्मॉल-कैप फ़ंड, स्मॉल कैप की अंतर्निहित लिक्विडिटी के कारण?
मैं कहूंगा कि यह एक बड़ा मिथक है. अगर हम अपनी मिड- और स्मॉल-कैप स्कीमों में किए गए ख़ुलासे को देखें, तो हम फ़रवरी में क्रमशः 21 दिनों और 11 दिनों में पोर्टफ़ोलियो को ख़त्म कर सकते थे. हमारे फ़ंड के आकार के बावजूद, मार्च में मिड- और स्मॉल-कैप स्कीमों के लिए दिनों की संख्या घटाकर 20 और 10 कर दी गई है. पिछले तीन सालों में स्मॉल-कैप फ़ंड में हमारे एसेट ₹40 लाख से बढ़कर ₹19,000 करोड़ हो गई है, और हमें किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा है. मैं हमेशा कहता हूं कि ख़रीदना एक कला है और बेचना डेटा साइंस है.

बहुत से लोग लुभावनी क़ीमतों पर स्टॉक ख़रीद सकते हैं, लेकिन स्टॉक के लिए अपने प्यार और लगाव की वजह से बाहर नहीं निकल सकते. क्वांट म्यूचुअल फ़ंड में, हमारे एनालेसिस के जरिए से, हमें किसी ख़ास स्टॉक से कोई भावनात्मक लगाव नहीं है. क्वांट में एंट्री ख़ास है, लेकिन निकास और भी ख़ास है, और मुझे लगता है कि इससे बहुत फ़र्क़ पड़ता है. बाज़ार के नज़रिए से, साइकिल की सबसे ऊंचाई पर लिक्विडिटी ज़्यादा होती है इसलिए, अगर आप साइकिल के टॉप पर बाहर निकल सकते हैं और साइकिल के निचले स्तर पर ख़रीद सकते हैं, तो ये एक आदर्श स्थिति है. लेकिन आम जिंदगी में ऐसा हर वक़्त नहीं होता है. इसलिए, जब बाज़ार में उत्साह होता है, तो हम विक्रेता होते हैं; जब आत्मसमर्पण होता है, तो हम ख़रीदार होते हैं.

आपके कई फ़ंड्स में, कुछ शेयरों (जैसे रिलायंस, जियो और अदानी समूह के शेयर) में आपकी बड़ी पोज़ीशन कितनी जोख़िम भरी है?
ये एक और मिथक है. अप्लाइड मैथ्स और स्टेटेस्टिक्स के छात्र के तौर पर, मैं आपको बता सकता हूं कि असाधारण डाइवर्सिफ़ाइड पोर्टफ़ोलियो के लिए बुरा है. लोग कहते हैं कि हम हाई-कॉन्सनट्रेशन वाले दांव लगाते हैं; हां, हम कॉनस्नट्रेशन कॉल लेते हैं, लेकिन बड़ा दांव लगाने का मज़बूत यक़ीन डेटा से आता है. डेटा के अनालेसिस या तीव्रता के आधार पर, जब कई डेटा पॉइंट एक दिशा में होते हैं, तो हम बहुत बड़ा फ़ैसला लेते हैं. दूसरी ओर, जब कई डेटा पॉइंट मुझे क्लिएरिटी नहीं देते हैं, तो हम कम हो जाते हैं या होल्डिंग्स को कम कर देते हैं. इसलिए, ये समझना बहुत ज़रूरी है कि जब आप एनालेटिक्स चलाते हैं, तो आप या तो एनालेटिक्स पर यक़ीन करते हैं या उन पर यक़ीन नहीं करते हैं.

हमारी ताक़त उस अनालेसिस से आती है जिसे हमने वक़्त के साथ बनाया है. जब संकट आता है, तो कोई बहक सकता है, लेकिन जब अनालेसिस तैयार हो जाता है, तो आपकी मानसिकता स्थिर हो जाती है. अगर आप कुछ बनाते हैं और फिर उसकी प्रेक्टिस नहीं करते, तो इसका कोई मतलब नहीं है. पूरा विचार यह है कि आप सिस्टम बनाएं और सही वक़्त पर उनको मॉनिटाइज़ करें या उनसे पूंजी जुटाएं.

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मिड- और स्मॉल-कैप स्टॉक असाधारण परफ़ॉर्म कर रहे हैं. क्या आपको लगता है कि ये गति बनी रहेगी?
मैं इस सवाल को दो हिस्सों में तोडूंगा, जब मैं कहता हूं कि यह आधी सदी भारत की है, तो मिड- और स्मॉल-कैप को अच्छा परफ़ॉर्म करना होगा. अगर हम कहते हैं कि वे कम परफ़ॉर्म करेंगे, तो मेरी थीसिस सही नहीं है. कुछ सालों बाद, हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे, और भारत में चीज़ें बेहतर के लिए बदल रही हैं. इस बैकग्राउंड के साथ, यह साफ़ होना चाहिए कि लॉंन्ग टर्म के नज़रिए से मिड और स्मॉल कैप लार्ज कैप से बेहतर परफ़ॉर्म करेंगे. इसलिए, आज के माहौल में, मिड और स्मॉल कैप में आसान दौर (हाई रिटर्न पैदा करने के लिए) ख़त्म हो गया है. लेकिन अगर कोई 10 साल या उससे ज़्यादा के निवेश क्षितिज के साथ आता है, तो मैं उनसे अपनी होल्डिंग को दोगुना या तिगुना करने के लिए कहूंगा.

अभी कौन सा मार्केट सेगमेंट ओवर-वैल्यूड है, और आपको कहां ज़्यादातर अटकलें लगती हैं?
मेरा मानना ​​है कि मार्केट में कोई ज़्यादतर अटकलें नहीं हैं, और लेवरेज पोज़ीशन भी बहुत कम हैं. इसलिए, मैं इसे गैर यक़ीनी रैली कहता हूं, क्योंकि सबसे अच्छे मनी मैनेजर्स ने मार्केट में हिस्सा नहीं लिया है और अभी भी सतर्क हैं. टॉप पारिवारिक आफ़िस बाज़ारों के बारे में नेगेटिव हैं, और HNI (बड़ी पूंजी वाले व्यक्ति) शॉर्ट-टर्म व्यापारी बन गए हैं क्योंकि उनके यक़ीन पक्के नहीं है.

ऐसा कहने के बाद, मैं SME सेक्टर में उछाल देख सकता हूं. मान ले कि एक SNE कंपनी ₹50 करोड़ जुटाना चाहती थी और उसे ₹1,500 करोड़ का सब्सक्रिप्शन मिला. इसलिए, मुझे लगता है कि बाज़ार का सिर्फ़ यही हिस्सा काफ़ी ज़्यादा मूल्यवान है. साल 2018 में जो हुआ (स्मॉल कैप में तेज़ बिकवाली) उसके कोई संकेत नहीं हैं. अगर बाज़ार में 15-20 फ़ीसदी तक सुधार होता है, तो भी ये ठीक है, क्योंकि किसी भी निर्णायक तेज़ी वाले बाज़ार में, ये सुधार सामान्य माने जाते हैं. चुनाव नतीजों के बाद, मुझे उम्मीद है कि हम FPI (विदेशी पोर्टफ़ोलियो निवेशक) और FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) से ज़्यादा फ़्लो देखेंगे.

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