Anand Kumar
इक्विटी मार्केट में हर तेज़ गिरावट को ख़रीदारी का मौक़ा, सीखने का अनुभव या दोनों कहना एक घिसा-पिटा मज़ाक है. मैं इस बात को जानता हूं क्योंकि जब भी बाज़ार अचानक और तेज़ा से गिरता है मैं हर बार यही करता हूं. हालांकि, इस बात को मैं पूरी ईमानदारी से कहता हूं क्योंकि, कुछ दशकों के निवेश के बाद, मैं सच में इस पर विश्वास करता हूं. हर बार जब बाज़ार में तेज़ गिरावट आती है, तो आप एक बेहतर निवेशक के रूप में इससे उबर कर बाहर निकलेंगे, और अगर आप शांत रहे, तो अच्छे दामों पर कुछ अच्छा निवेश कर पाएंगे.
निवेश में इसके कारण सबसे पुराने हैं. असल बात ये है कि घबराने और डर के चलते जल्दबाज़ी में फ़ैसले लेने की इच्छा को रोक कर रखें. एक लंबे समय का नज़रिया बनाए रखें, और जिन कंपनियों में आपने निवेश किया है, उनके बुनियादी पैमानों को देखें. अक्सर, सबसे अच्छे ख़रीदारी के मौक़ा तब आता है जब सब एक साथ अंधाधुंध तरीक़े से बेच रहे होते हैं. जब दूसरे लोग डरे हुए होते हैं, तब धारा के विपरीत जाकर ख़रीदारी करने से आप बाजारों की वापसी के समय संभावित मुनाफ़े के लिए ख़ुद को तैयार कर सकते हैं.
हालांकि, हम सभी जानते हैं कि ऐसा कहना जितना आसान है, करना उतना ही मुश्किल है. 4 जून को जब सेंसेक्स एक समय 9 प्रतिशत नीचे था, तो शायद ही कोई निवेशक स्टॉक ख़रीदने के बारे में सोचने की हिम्मत कर रहा था. हर कोई बस यही सोच रहा था कि उन्हें कितना नुक़सान होगा और ये तबाही कब तक जारी रहेगी. बेशक़, ये अजीब बात नहीं कही जाएगी.
पर इसके बावजूद, निवेशकों की अलग-अलग कैटेगरी थीं. कुछ ऐसे थे जो चिंतित थे और कुछ ऐसे थे जो बिल्कुल अंधेरे में पैनिक से भरे हुए थे. चिंतित निवेशकों को शायद पेट में गांठ महसूस हुई होगी, लेकिन वे अपने रास्ते पर डटे रहे, शायद उन्होंने और शेयर भी ख़रीदे. दूसरी ओर, घबराए हुए निवेशकों ने शायद पैनिक में बिकवाली की, जिससे उन्हें घाटा हुआ. ये अंतर महत्वपूर्ण है, क्योंकि अक्सर यही निर्धारित करता है कि बाज़ार में सुधार होने पर आख़िरकार किसे फ़ायदा होगा. याद रखें, इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि जो लोग मंदी के दौर में अपना धीरज बनाए रखते हैं, वे अक्सर आगे निकल जाते हैं. समझदारी से किया गया, समझा-बूझा निवेश, बुनियादी विश्लेषण पर आधारित, बाज़ार की सनक पर सट्टा लगाने के मुक़ाबले तूफ़ान का सामना बेहतर तरीक़े से करता है. चिंतित केवल वही लोग थे जिन्होंने समझदारी से निवेश किया था और अपने निवेश के पीछे के तर्क को समझा था, जबकि घबराए हुए लोग वो थे जो केवल अफ़वाहों और मोमेंटम पर दांव लगा रहे थे.
एक ख़ूबी जो हमेशा दो तरह के निवेशकों को अलग करती है, वे उनके निवेश के विकल्पों की सरलता है. स्टॉक के साथ-साथ म्यूचुअल फ़ंड में, ऐसे निवेश हैं जिन्हें समझना आसान है और जिनका निवेश साफ़-स्पष्ट होता है. हालांकि, सरलता के बारे में बात करना आसान है और उसे अमल में लाना मुश्किल. हम ऐसे माहौल में रहते हैं जहां जटिलता और विशेषताओं की पूजा की जाती है. हम चाहे कोई भी प्रोडक्ट या सर्विस ख़रीदें, हम अक्सर विशेषताओं, शब्दजाल और जटिलता से सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं. शायद हमारी आधुनिक तकनीकी दुनिया ने हमें ये मानने के लिए तैयार कर दिया है कि नए तकनीकी चमत्कार एक आम आदमी के समझने के लिए बहुत जटिल हैं, और इसलिए, जटिलता क्वालिटी के बराबर है. हालांकि, पर्सनल फ़ाइनांस में, ये धारणा ख़तरनाक तौर पर गुमराह करने वाली है. जब निवेश की बात आती है, तो सरलता केवल फ़ायदेमंद नहीं होती है - ये ज़रूरी भी है. इसका कारण सीधा है: अगर कोई निवेशक किसी फाइनेंशियल प्रोडक्ट या सर्विस को पूरी तरह से नहीं समझता है, तो वे ये तय नहीं कर सकते कि ये सही भी है या नहीं, चाहे बेचने वाले ने इसकी ख़ूबियों के कितने ही पुल बांधें हों.
तो, आप ये कैसे पक्का करें कि आप सब कुछ समझते हैं? सबसे सरल तरीक़ा चीज़ों को सीधा और सरल रखना है. बदक़िस्मती से, आम तौर पर मिलने वाला संदेश बिल्कुल उलट है. जब मैं बचत और निवेश के प्रोडक्ट्स के लिए आज के बाज़ार और लोगों के पोर्टफ़ोलियो को देखता हूं, तो साफ़ हो जाता है कि अपने आप को लेकर जागरूक होने और मुखर न्यूनतावाद की तुरंत ज़रूरत है.
जब हालात मुश्किल हो जाते हैं, तो बुनियादी बातों को सही तरीक़े से समझने वाले लोग - डाइवर्सिफ़िकेशन, कौस्ट एवरेजिंग, एसेट एलोकेशन - से घबराते नहीं हैं. महत्वपूर्ण बात ये है कि निवेशक को अपने पोर्टफ़ोलियो में ये सब करना चाहिए और उसे भरोसा होना चाहिए कि उसने ये सब किया है. और ये केवल सरलता से ही संभव है. अपनी निवेश रणनीति में सरलता अपनाना सिर्फ़ एक रक्षात्मक क़दम नहीं है; ये एक लचीला पोर्टफ़ोलियो बनाने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण है. स्पष्ट, समझने लायक़ निवेशों पर ध्यान केंद्रित करके, आप उथल-पुथल में भी सोचे-समझे फ़ैसले लेने के लिए ख़ुद को तैयार करते हैं. बेशक़, हम चाह सकते हैं कि उथल-पुथल न हो, लेकिन तैयार रहना सबसे अच्छा रहेगा!
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