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भारत की अग्रणी CPaaS (एक सर्विस के तौर पर क्लाउड कम्यूनिकेशन प्लेटफ़ॉर्म) कंपनियों में से एक रूट मोबाइल को हाल ही में बेल्जियम के एक प्रमुख नेटवर्क और संचार सेवा देने वाले, प्रॉक्सिमस ग्रुप ने अधिग्रहित (acquire) किया है, रूट मोबाइल ने प्रोक्सिमस ग्रुप में क़रीब ₹2,699 करोड़ में 12.7 फ़ीसदी हिस्सेदारी ख़रीदने की योजना भी बनाई है. ये डील अगले कुछ हफ़्तों में पूरी होने की उम्मीद है.
अधिग्रहण की अहम बातें
प्रॉक्सिमस ने अपनी पूरे स्वामित्व वाली सहायक कंपनी प्रॉक्सिमस ओपल के ज़रिए रूट मोबाइल में ₹5,924 करोड़ (₹1,626 प्रति शेयर) में 57.7 फ़ीसदी की हिस्सेदारी हासिल की है, साथ ही, उसने शेयरधारकों के लिए खुली पेशकश के ज़रिये उसी क़ीमत पर अतिरिक्त 25 फ़ीसद हिस्सेदारी भी ली है. वर्तमान में रूट मोबाइल में इसकी 82.7 फ़ीसदी की हिस्सेदारी है, जो इसे प्रमोटर बनाती है.
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अधिग्रहण की वजह
ये सौदा प्रॉक्सिमस और रूट मोबाइल दोनों के लिए फ़ायदे वाला होने की उम्मीद है. इसकी वजहें कुछ इस तरह हैं:
रूट मोबाइल अमेरिका में एंट्री कर सकता है
रूट मोबाइल की अफ़्रीका, एशिया-प्रशांत, यूरोप, मध्य पूर्व और उत्तरी अमेरिका के उभरते बाज़ारों में महत्वपूर्ण मौजूदगी है. इसने पहले अमेरिकी बाज़ार में एंट्री करने की कोशिश की थी लेकिन कड़ी प्रतिस्पर्धा की वजह से क़ामयाबी नहीं मिली.
अब, प्रॉक्सिमस की सहायक कंपनी टेलीसाइन के ज़रिए रूट मोबाइल आसानी से अपनी पैठ बना सकता है. इसके अलावा, रूट के पास डिजिटल पहचान तकनीक और टेलीसाइन के बड़े कस्टमर बेस तक पहुंच होगी. इससे रूट मोबाइल को FY28 के लिए निर्धारित $1 बिलियन (₹8,350 करोड़) के लक्ष्य रेवेन्यू को तेज़ी से हासिल करने में मदद मिलेगी.
इसके अलावा, टेलीसाइन को रूट मोबाइल से भी फ़ायदा होगा क्योंकि ये अपने ग्राहकों को ज़्यादा एकीकृत सेवाएं (integrated services) देने के लिए अपने नेटवर्क बुनियादी ढांचे का फ़ायदा उठा सकता है.
प्रॉक्सिमस को हाई ग्रोथ वाले बाज़ार में एक्सपोज़र मिलेगा
प्रॉक्सिमस द्वारा रूट मोबाइल का अधिग्रहण भारत जैसे उभरते बाज़ारों में उसकी एंट्री का प्रतीक है. बाद में बहुमत हिस्सेदारी के साथ, प्रॉक्सिमस अब संचार क्षेत्र, ख़ासतौर पर CPAAS में अपनी मौजूदगी बनाने की उम्मीद कर सकता है, जहां ये वर्तमान में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है.
Route Mobile के Proximus Group द्वारा अधिग्रहण के क्या मायने हैं?
कुल मिलाकर, इस सौदे से दोनों पक्षों को फ़ायदा होगा. हालांकि, अधिग्रहण में, बिज़नस कल्चर के टकराव का ख़तरा हमेशा बना रहता है. सिर्फ़ वक़्त ही बताएगा कि अधिग्रहण से उम्मीद के मुताबिक़ फ़ायदा होगा या नहीं.
साथ ही, इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि हमारी कहानी सिर्फ़ इस सौदे के संभावित फ़ायदों पर रौशनी डालती है. ये स्टॉक रेकमंडेशन नहीं है.
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