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Compounding can make you a millionaire: हक़ीक़त यही है कि अगर आप बड़ी पूंजी बनाना चाहते हैं, तो आपको अभी शुरुआत करनी होगी. जितनी जल्दी निवेश शुरू करेंगे, उतना ही फ़ायदे में रहेंगे. यहां हम कंपाउंडिंग के जादू की बात कर रहे हैं. अगर आप अच्छा समय देंगे तो छोटी सी बचत भी बड़ी वैल्थ में तब्दील हो सकती है.
कुछ इस तरह सोचिए
आप हर महीने ₹500-1,000 निकालिए और आपको ये देखकर आश्चर्य होगा कि कितना पैसा जमा हो जाता है. कंपाउंडिंग आपका पैसा ले कर, उसे बढ़ाता है और मुनाफ़ा भी निवेश में जुड़ता जाता है और उसे तेज़ी से बढ़ाने लगता है. ये एक स्नोबॉल इफ़ेक्ट, यानी बर्फ़ की बॉल के ढलान पर लुढ़कने जैसा है जो शुरुआत में धीरे होती है मगर बड़ी होने के साथ तेज़, और फिर बहुत तेज़ और बहुत बड़ी होती जाती है. वजह, ये लुढ़कने के दौरान ज़्यादा बर्फ़ को समेटती जाती है.
कम्पाउंडिंग क्या होती है?
कम्पाउंडिंग का क्या? दरअसल केवल मूल निवेश पर ही नहीं, बल्कि आपके निवेश पर मिलने वाले ब्याज़ के ऊपर भी आपको ब्याज़ मिलता रहता है. ये बिना कुछ किए कमाई के बढ़ने जैसा है.
मान लीजिए, आप ₹100 से शुरुआत करते हैं और ये रक़म हर साल 10 फ़ीसदी बढ़ती है. एक साल के बाद, ये ₹110 हो जाती है. और दूसरे साल तक आपके पास ₹121 हो जाते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि दूसरे साल में, आपको ₹110 पर ब्याज़ मिलता है, न कि ₹100 पर.
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एक मिसाल से समझते हैं
₹100 तो महज़ एक छोटा सा उदाहरण है. आइए एक निवेशक, महिमा के बारे में आपको बताते हैं, जिन्होंने 25 साल की उम्र में ₹10,000 महीने का निवेश शुरू किया. उन्होंने इसे 25 साल तक जारी रखा. इसका मतलब है कि उन्होंने कुल ₹30 लाख निवेश किए. लेकिन हर साल 12 फ़ीसदी की दर से कम्पाउंडिंग के कारण, 50 साल की उम्र तक, उनके पास ₹1.8 करोड़ जमा हो गए.
अब, अगर महिमा का पैसा केवल साधारण ब्याज़ दर से बढ़ता (यानी निवेश किए मूलधन में ब्याज़ नहीं जुड़ता), तो उसके पास केवल ₹75 लाख ही होते. तो, कंपाउंडिंग यहां असली अजूबा है, जो ₹75 लाख को ₹1.8 करोड़ तक ले जाता है! ये एक बड़ा अंतर है, ठीक उसी तरह जैसे कि एक 150 CC की बाइक और लक्ज़री कार में होता है. आपका क्या ख़याल है?
शुरुआत में देर, नुक़सान करना है
छोटी शुरुआत करना अच्छा है, लेकिन जल्दी शुरुआत करना सोन पर सुहागा है. क्या होता अगर महिमा अपना निवेश शुरू करने में आलस कर देतीं और 10 साल देर से शुरू करतीं? ऐसा करने पर, अगर वो 15 साल तक हर महीने ₹17,000 निवेश करतीं तो उसी निवेश में, और उसी रेट पर 50 साल की उम्र तक वो सिर्फ़ ₹85 लाख ही जमा कर पातीं. अगर उन्होंने पिछले उदाहरण की तरह 10 साल पहले शुरुआत की होती तो उनके पास ₹95 लाख और होते. असल में, निवेश को टालना अपने पैसे की ग्रोथ को कम करना है.
असल बात
इंतज़ार मत कीजिए. कंपाउंडिंग वेल्थ को शानदार तरीक़े से बढ़ाती है. आप इसे अपना जादू दिखाने के लिए जितना ज़्यादा समय देंगे, आपकी वेल्थ उतनी ही ज़्यादा होगी. जल्दी निवेश शुरू करें, लगातार निवेश करते रहेंऔर अपनी पूंजी को तेज़ी से बढ़ते हुए देखें. भरोसा रखें, आप बाद में ख़ुद अपनी पीठ थपथपाएंगे.
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