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प्योर इक्विटी फ़ंड्स की तुलना में अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड्स कैसे फ़ायदेमंद हैं? - एक पाठक का सवाल
आप सीधे तौर पर इक्विटी और अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड की तुलना नहीं कर सकते. ये आलू और अनानास की तुलना करने जैसा है. दोनों फ़ंड बहुत अलग हैं. प्योर इक्विटी फ़ंड ख़ास तौर पर इक्विटी में निवेश करते हैं, जबकि अग्रेसिव हाइब्रिड 65-80 फ़ीसदी इक्विटी (equity) में और बाक़ी डेट (debt) में एलोकेट करते हैं. इक्विटी एलोकेशन ऊंचे रिटर्न की उम्मीदें पैदा करता है, जबकि डेट एलोकेशन पूंजी को सुरक्षा देता है. इसीलिए ये फ़ंड शुरुआती या कंज़रवेटिव निवेशकों के लिए आदर्श हैं.
अब तक, अगर आपको अग्रेसिव हाइब्रिड की तुलना इक्विटी फ़ंड से करनी है, तो यहां बाद वाले की तुलना में पहले के कुछ फ़ायदे दिए गए हैं.
1) गिरावट से सुरक्षा
अपने अच्छे डेट एलोकेश (debt allocation)) की वजह से, अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड अशांत समय के दौरान काफ़ी मदद करते हैं. वे प्योर इक्विटी फ़ंड्स के मुक़ाबले कम गिरते हैं, जो ये पक्का करता है कि निवेशक, ख़ास तौर से पहली बार निवेश करने वाले और रूढ़िवादी निवेशक, डर के मारे निवेश से बाहर न निकल जाएं.
ये संख्याएं बाज़ार में मंदी के दौरान लचीलापन दिखाती हैं. पिछले दशक के एक महीने में बाज़ार में आई पांच सबसे ख़राब गिरावटों में, अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड्स ने फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड्स (एक तरह का प्योर इक्विटी फ़ंड) और व्यापक मार्केट इंडेक्स (S&P BSE सेंसेक्स) के मुक़ाबले में बेहतर प्रदर्शन किया है.
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2) लंबे समय के दौरान अच्छा रिटर्न
अपना 20 से 35 फ़ीसदी पैसा डेट (debt) में रखने के बावजूद, एक एवरेज अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड में 10 साल के दौरान SIP से 13.77 फ़ीसदी का रिटर्न मिला, जो S&P BSE सेंसेक्स के 14.80 फ़ीसदी और फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड के 15.63 फ़ीसदी से थोड़ा ही कम है.
3) टैक्स के लिहाज़ से फ़ायदेमंद
रिबैलेंसिंग करने में म्यूचुअल फ़ंड यूनिट्स को ख़रीदना या बेचना पड़ता है ताकि आपका मनचाहा एसेट एलोकेशन बरक़रार रहे. म्यूचुअल फ़ंड यूनिट्स बेचने पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है.
अगर आप इक्विटी और डेट फ़ंड में अलग-अलग फ़ंड्स के ज़रि निवेश करते हैं और उनमें से किसी को रिबैलेंसिंग मक़सद से बेचते हैं, तो इस पर मिलने वाले मुनाफ़े पर आपको ये टैक्स अदा करना होगा.
मगर, हाइब्रिड फ़ंड ऑटोमैटिक तरीक़े से समय-समय पर अपने पोर्टफ़ोलियो को ख़ुद ही रिबैलेंस करते रहते हैं, जिससे निवेशकों को रिबैलेंसिंग करते समय कैपिटल गेन्स टैक्स का फ़ायदा मिल जाता है क्योंकि ये रिबैलेंसिंग उन्हें अपना निवेश बेच कर नहीं करनी होती.
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