फ़िलहाल अंतर्राष्ट्रीय स्टॉक में निवेश के सभी रास्ते बंद हैं पर एक संकरी गली अब भी ख़ुली है.
ये है अब तक कहानी
भौगोलिक विविधीकरण (ज्योग्राफ़िकल डाइवर्सिफ़िकेशन) चाहने वाले भारतीय निवेशकों के लिए बुरी ख़बरों की एक लंबी फ़ेरहिस्त है.
सबसे पहले, विदेशों में निवेश करने वाले म्यूचुअल फ़ंड्स के लिए 2022 में, विदेशी निवेश पर $7 बिलियन की रेग्युलेट्री सीमा पार करने का गतिरोध आया. बाद में, ये सीमा फिर से खुली, मगर ये सीमा थोड़ी सी ही बढ़ी. सीधे शब्दों में कहें तो पिछले कुछ समय से निवेशकों के लिए ये विकल्प बहुत अनियमित हो गया है.
अप्रैल 2024 तक तेज़ी से आगे बढ़ते हुए, विदेशी ETF में निवेश करने वाले फ़ंड्स का भी यही हश्र हुआ, क्योंकि ये $1 बिलियन की अपनी अलग लिमिट को पार कर गया था.
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ऐसे फ़ंड्स पर दबाव होना निवेशकों के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि उन्हें अक्सर विदेशों में निवेश के लिए एक आख़िरी तरीक़े के तौर पर देखा जाता था. बेशक़, उदारीकृत प्रेषण योजना (liberalised remittance scheme या LRS) के ज़रिए सीधे अंतरराष्ट्रीय शेयरों में निवेश करना एक विकल्प बना हुआ है, लेकिन यs छोटे निवेशकों के लिए ठीक नहीं है. ये असुविधाजनक और मुश्किल है.
इसलिए, निवेशकों के लिए इकलौता ज़रिया ऐसे ETF का पता लगाना है जो अंतरराष्ट्रीय इंडेक्स पर नज़र रख रहे हैं . इन्हें भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों पर ख़रीदा और बेचा जा सकता है. हालांकि, इन ETF की मांग में हालिया उछाल और सीमित आपूर्ति को देखते हुए, इन्हें निवेशकों को ख़ास प्रीमियम पर बेचा जा रहा है.
प्रीमियम से हमारा क्या मतलब है?
जब हम कहते हैं कि एक ETF प्रीमियम पर क़ारोबार कर रहा है, तो इसका सीधा सा मतलब है कि स्टॉक एक्सचेंज पर ETF ख़रीदने के लिए आप जो क़ीमत चुकाते हैं वो उसके पास मौजूद सभी शेयरों के कुल मूल्य (नेट एसेट वैल्यू) से ज़्यादा है.
आम तौर पर, ETF की मार्केट प्राइस उसके NAV के आसपास होने की उम्मीद होती है, लेकिन मांग-आपूर्ति के अंतर की वजह से कुछ फ़र्क आ सकता है.
इन ETF को ख़रीदने के इच्छुक निवेशकों के लिए ये अच्छी ख़बर नहीं है, क्योंकि वे एसेट की क़ीमत से ज़्यादा भुगतान करते हैं.
इस समय क्या हो रहा है?
हालांकि ETF के लिए मामूली प्रीमियम या छूट पर बिज़नस करना काफ़ी सामान्य है, लेकिन उनमें से ज़्यादातर अभी ऊंची क़ीमत पर बेचे जा रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय इंडेक्स को फ़ॉलो करने वाले ETF में परेशानी ख़ास तौर से बढ़ी है, क्योंकि सेबी की पाबंदियों के बाद विदेशों में निवेश करने के विकल्प क़रीब क़रीब ख़त्म है.
अगर आप नीचे दी गई टेबल को देखें, तो मिराए एसेट NYSE FANG+ ETF और मिराए एसेट S&P 500 टॉप 50 ETF क्रमशः 23.9 फ़ीसदी और 15.2 फ़ीसदी प्रीमियम पर बेचे जा रहे हैं.
फ़ंड का नाम | प्रीमियम |
---|---|
मिराए एसेट NYSE FANG+ ETF | 23.90% |
मिराए एसेट S&P 500 टॉप 50 ETF | 15.20% |
मोतीलाल ओसवाल नैस्डैक Q50 ETF | 5.20% |
मिराए एसेट हैंग सेंग TECH ETF | 5.10% |
निप्पॉन इंडिया ETF हैंग सेंग BeES | 4.70% |
मोतीलाल ओसवाल नैस्डैक 100 ETF | 1.10% |
नोट: प्रीमियम 22 मार्च 2024 तक स्रोत: nseindia.com, AMC की वेबसाइट |
नीचे दिए गए चार्ट में आप देख सकते हैं कि हाल ही में दोनों की बेचे जाने वाली क़ीमत नाटकीय रूप से बढ़ी हुई है, और ये विदेशों में निवेश करने वाले ETF पर सेबी की पाबंदियों के साथ मेल खाता है.
आपको ये जानना चाहिए
इन ETF फ़ैक्टशीट पर बताए रिटर्न हक़ीकत में काफी अलग होंगे. ऐसा इसलिए है क्योंकि फ़ंड हाउस ETF के NAV के आधार पर रिटर्न की केल्कुलेट करते हैं. लेकिन चूंकि आप प्रीमियम का भुगतान कर रहे हैं, इसलिए आपका संभावित फ़ायदा कम होगा.
मिसाल के तौर पर, अगर आप मिराए एसेट NYSE FANG+ ETF को 23.9 फ़ीसदी प्रीमियम पर ख़रीदते हैं, तो निवेश को फ़ैक्टशीट पर बताए रिटर्न के बराबर होने के लिए अतिरिक्त 23.9 फ़ीसदी बनाने होंगे.
बेशक़, आप ETF को प्रीमियम पर भी बेच सकते हैं, लेकिन आप भविष्य में ऐसा कर पाएंगे या नहीं इसकी गारंटी नहीं है.
यही वजह है कि ऐसे ETF से बचना सबसे अच्छा है जो इतनी ज़्यादा कीमत पर बेचे जा रहे हैं.
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आप कहां निवेश करें
अगर आपको ETF रास्ता तलाशना है, तो आप मोतीलाल ओसवाल NASDAQ 100 ETF जैसे विकल्पों पर विचार कर सकते हैंं ये ETF फ़िलहाल 1.1 फ़िसदी के मुक़ाबले कम प्रीमियम पर क़ारोबार कर रहा है.
ये एक अच्छा निवेश हो सकता है क्योंकि ये ज़्यादातर यूएस-आधारित नैस्डैक 100 की नक़ल करता है. इसके ज़रिए नए निवेशक, FAANG stocks में निवेश कर सकते हैं, जो एक हाई-ग्रोथ टैक्नीक ग्रुप है जिसमें मेटा (फ़ेसबुक) , ऐप्पल , अमेज़ॅन , अल्फ़ाबेट (Google) , नेटफ़्लिक्स शामिल हैं, और इंडेक्स में इनकी हिस्सेदारी (weight) 30 प्रतिशत है.