विलियम नाइग्रेन (William Nygren) एक वैल्यू इन्वेस्टर हैं. वो इस समय ओकमार्क फ़ंड में पार्टनर और चीफ़ इन्वेस्टमेंट ऑफ़िसर (CIO) हैं, जिसका क़रीब 108 अरब डॉलर का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) है. शानदार ट्रैक रिकॉर्ड के साथ नाइग्रेन को सबसे अच्छे नतीजे देने वाले फ़ंड मैनेजरों में गिना जाता है. 1991 में अपने काम की शुरुआत से ही नाइग्रेन जिस फ़ंड को मैनेज कर रहे हैं, उसने 9 प्रतिशत के बेंचमार्क रिटर्न के मुक़ाबले 12.7 प्रतिशत (दिसंबर 2023 तक) का सालाना रिटर्न दिया है.
हाल ही में हमें उनका एक इंटरव्यू मिला, जहां उन्होंने कई बातों के साथ-साथ वैल्यू इन्वेस्टिंग और अपने स्टॉक के चुनाव के तरीक़े के बारे में बात की है. यहां हम बातचीत के मुख्य अंश दे रहे हैं.
कंज़्यूमर के नज़रिए से वैल्यू इन्वेस्टिंग
कम उम्र से ही नाइग्रेन निवेश के अनुशासन से प्रभावित रहे, लेकिन 'वैल्यू इन्वेस्टिंग' ने उन्हें ख़ासतौर पर आकर्षित किया.
नाइग्रेन कहते हैं, “मैं एक मिडिल क्लास फ़ैमिली में पला-बढ़ा, अपनी मां के साथ ख़रीदारी पर जाता था. अगर अंगूर का मौसम होता, तो आम तौर पर हम उसे ही ज़्यादा ख़रीदते. और अगर चेरी का सीज़न नहीं होता, तो हम उसका मौसम आने तक इंतज़ार करते. मैंने सीखा कि एक कंज़्यूमर के तौर पर अगर आप क़ीमत पर ध्यान देते हैं तो अपने पैसे से ज़्यादा चीज़ें पा सकते हैं. ये मेरे लिए बहुत आकर्षक था और यही तो वैल्यू इन्वेस्टिंग है - धीरज रखना और ये पक्का करना कि जितना ख़र्च आप ख़रीदारी पर कर रहे हैं, उसमें आपको ज़्यादा वैल्यू मिले”.
रिस्क-रिवार्ड बैलेंस को समझना
नाइग्रेन ग्रोथ के शुरुआती दौर में कई मल्टी-बैगर शेयरों में निवेश करने का मौक़ा चूक गए पर उन्हें इसका अफ़सोस नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि वो हमेशा इससे जुड़े रिस्क और कंपनी के रिवार्ड का वैल्यूएशन करने को प्राथमिकता देते रहे हैं. उनका मानना है कि कुछ हाई-ग्रोथ कंपनियां असल में आकर्षक रिस्क-रिवार्ड नहीं पेश कर सकती हैं. इसलिए, उनके फ़ंड की फ़िलॉसफ़ी दोनों के बीच बैलेंस स्थापित करने की रही है.
नाइग्रेन के शब्दों में, “एक छोटे से रिवार्ड के लिए कोई बड़ा रिस्क नहीं ले सकता है. बहुत से लोग कहेंगे कि ये स्टॉक 10 गुना या 20 गुना बढ़ गया, शायद इसे न ख़रीदना एक बड़ी ग़लती थी. ख़ैर, ये हमारे पैमाने पर खरा नहीं उतरा. जब हमने इस पर रिसर्च की तो इसमें वो रिस्क रिटर्न का संतुलन नहीं था जिसकी हमें तलाश थी”.
निवेश को लेकर तेज़ी दिखाना बेकार
इस सवाल पर कि कैसे उनका फ़ंड पहले से मौजूद पूर्वाग्रहों को ख़त्म करके किसी कंपनी का निष्पक्ष मूल्यांकन करने की कोशिश करता है, नाइग्रेन ने बताया कि उन्होंने खुली बहस वाले तरीक़े की रूपरेखा तैयार की है, जिसे उनका फ़ंड फ़ॉलो करता है.
“जब भी कोई हमारे सामने नया आइडिया ले कर आता है, तो हम किसी एक व्यक्ति को ये समझाने का काम सौंपते हैं कि वो कमरे में आकर बताए कि ये व्यक्ति क्यों ग़लत है. और हम चाहते हैं कि हमें इस निवेश से रोकने के लिए पूरी ताक़त से बहस की जाए. किसी निवेश के बारे में जानने के लिए केवल अच्छी बातें सुनने के बजाए दोनों पक्षों को एक-दूसरे के साथ बहस करते हुए सुनना कहीं ज़्यादा क़ारगर तरीक़ा है.”
ये भी पढ़िए - विजय केडिया की तरह कैसे करें निवेश?
'फ़ंडामेंटल मोमेंटम' पर फ़ोकस
नाइग्रेन का दृढ़ विश्वास है कि लगातार मिलने वाली फ़ाइनेंशियल स्टेबिलिटी और ग्रोथ ख़ुद को बेहतर बनाए रखती है. उनका मानना है कि जब ख़राब प्रदर्शन करने वालों की पहचान करने की बात आती है तो ये ज़रूरी हो जाता है.
नायग्रेन कहते हैं, “इसे लेकर मुझे चिढ़ाया जाता है. हम किसी भी तरह के साइज़ या तरीक़े के मोमेंटम निवेशक नहीं हैं. लेकिन मैं ये मानता हूं कि फ़ंडामेंटल मोमेंटम जैसी चीज़ होती है कि जब कंपनियां अच्छा प्रदर्शन करती हैं, तो ऐसा प्रदर्शन जारी रखने की ज़्यादा संभावना होती है, और जो ख़राब प्रदर्शन करती हैं उनके ख़राब प्रदर्शन जारी रखने की संभावना ज़्यादा होती है… अपने निवेश में जो सबसे ज़्यादा क़ारगर तरीक़े हम शामिल कर सकते हैं उनमें से एक ये है कि हम अपने हारे हुए (घाटे या कम मुनाफ़े के) निवेशों से जल्दी छुटकारा पा जाएं”.
लगातार ग्रोथ की ज़रूरत
निवेश की कला एक लगातार विकसित होने वाली घटना है. एक ख़ास रणनीति जो एक समय में काम कर सकती है वो हमेशा के लिए रिटर्न की गारंटी नहीं दे सकती. इसलिए, नाइग्रेन इस बात पर ज़ोर देते हैं कि बाज़ार से एक क़दम आगे रहने के लिए लगातार सीखना और समझ का विकास करना ज़रूरी शर्तें हैं.
वो कहते हैं, “मुझे लगता है कि आज आप बहुत सारे वैल्यू मैनेजरों की जिस निराशा को सुनते हैं कि 20 साल पहले जो मैंने किया था वो अब काम नहीं कर रहा है. मुझे लगता है कि हमेशा से ऐसा ही रहा है. जो 20 साल पहले काम करता था वो शायद ही आज काम कर सकता है. आज से 20 साल पहले आप केवल कम P/E, कम प्राइस-टू-बुक पर वैल्यू स्टॉक ख़रीद सकते थे. और आकर्षक होने के लिए यही काफ़ी होता था. पर अब, आप बिना कोई फ़ीस दिए ऐसा कर सकते हैं और अब कंप्यूटर स्मार्ट हो गए हैं जो कम P/E, कम प्राइस-टू-बुक की ख़ूबियां, बुक वैल्यू की ग्रोथ, अर्निंग ग्रोथ जैसी चीज़ें एक साथ दिखा देते हैं. तो जो सरल और स्पष्ट स्टॉक हैं वो आम तौर पर सस्ते ही होने चाहिए”.
ऊपर हमने इंटरव्यू की दिलचस्प बातें चुनी हैं. हालांकि, हम अपने पाठकों से पूरा इंटरव्यू भी देखने का आग्रह करते हैं. इसके लिए आप यहां क्लिक करें.
यह भी पढ़ें: जोएल ग्रीनब्लाट के साथ वैल्यू इन्वेस्टिंग की गहरी समझ