भारत इस समय रिटायरमेंट के टाइम बम पर बैठा हुआ है. PGIM म्यूचुअल फ़ंड के लिए नील्सन द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार, 51 फ़ीसदी भारतीयों के पास कोई रिटायरमेंट प्लान नहीं है. और जिनके पास है, उन्होंने अपना ज़्यादातर पैसा या तो बैंक FD (फ़िक्स्ड डिपॉज़िट) या लाइफ़ इंश्योरेंस कंपनियों के इंवेस्टमेंट प्लान में निवेश किया है, जो रिटायरमेंट के बाद की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए काफ़ी नहीं हैं.
यहीं काम आते हैं NPS (नेशनल पेंशन स्कीम) और म्यूचुअल फ़ंड्स जिनके ज़रिए रिटायरमेंट की ज़रूरतों को पूरा किया जा सकता है.
वैसे तो निवेश करने के कई और भी ज़रिए मौजूद हैं, पर ये दो तरीक़े रिटायरमेंट प्लान के लिए सबसे सही माने जाते हैं.
इसे ध्यान में रखते हुए, आइए दोनों की तुलना करके देखें कि कौन सा आपके लिए बेहतर है.
NPS: संक्षेप में जानकारी
NPS सभी भारतीय नागरिकों को पेंशन का फ़ायदा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है. ये पहले से तय एक कंट्रीब्यूशन/अंशदान स्कीम है जिसमें रिटायरमेंट तक निवेश बरक़रार रखा जाता है.
रिटायर होने पर, निवेशक कुल राशि का 60 फ़ीसदी निकाल सकता है, जबकि बाक़ी 40 फ़ीसदी एन्युटी के रूप में दिया जाता है. एन्युटी निवेशक को पहले से तय अंतराल पर भुगतान की गई एक निश्चित राशि है. एन्युटी का मक़सद रिटायरमेंट के बाद निवेशक के लिए इनकम बनाना है.
NPS में कहां निवेश किया जाता है
इसके तहत निवेशकों का 75 फ़ीसदी तक पैसा इक्विटी में निवेश किया जाता है (आमतौर पर इसका 90 फ़ीसदी एलोकेशन लार्ज-कैप शेयरों में होता है). बाक़ी 25 फ़ीसदी डेट में निवेश किया जाता है.
रिटर्न
75:25 के इक्विटी-डेट एलोकेशन के आधार पर, 19 अप्रैल 2024 तक 10 साल का कैटेगरी एवरेज़ रिटर्न 12.9 फ़ीसदी है.
लॉक-इन पीरियड
NPS में, आपका निवेश 60 साल की उम्र तक लॉक रहता है, और इसमें निवेश की अवधि 75 साल की उम्र तक बढ़ाने का विकल्प भी होता है.
ये भी पढ़िए - इन Mutual Funds के हाथ लगा 100 गुना बढ़ने वाले शेयरों का जैकपॉट
म्यूचुअल फ़ंड्स: संक्षेप में जानकारी
म्यूचुअल फ़ंड्स निवेश के वे ज़रिए हैं जो निवेशकों से पैसा इकट्ठा करते हैं.
फ़ंड्स में कहां निवेश किया जाता है
निवेशकों से जुटाया गया पैसा इक्विटी, डेट, कमोडिटी, आदि अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश किया जाता है.
रिटर्न
10 साल का कैटेगरी एवरेज़ रिटर्न इस तरह से है:
इन्वेस्टमेंट का प्रकार | रिटर्न (%) |
---|---|
लार्ज कैप | 14.7 |
मिड कैप | 21 |
स्मॉल कैप | 23.1 |
नोट: डायरेक्ट प्लान्स का 19 अप्रैल 2024 तक का डेटा है. |
लॉक-इन पीरियड
ELSS
(इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम) को छोड़कर, जिसमें तीन साल का लॉक-इन पीरियड होता है, म्यूचुअल फ़ंड्स आमतौर पर आपको किसी भी समय अपना पैसा निकालने की अनुमति देते हैं.
NPS बनाम म्यूचुअल फ़ंड्स: कौन सा विकल्प बेहतर है?
नीचे एक टेबल दी गई है जो आपको बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकती है.
NPS | म्यूचुअल फ़ंड्स | |
---|---|---|
ख़र्च | ज़्यादा किफ़ायती. एक्सपेंस रेशियो: ज़्यादा से ज़्यादा 0.09%. | डायरेक्ट पैसिव फ़ंड्स: 0.03-1%. डायरेक्ट एक्टिव फ़ंड्स: 0.5-2.5%. |
टैक्स | सिर्फ़ यही निवेश पुराने टैक्स रिजीम के तहत टैक्सेबल इनकम को ₹2 लाख कम करता है. नए टैक्स रिजीम के तहत टैक्स नियमों के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें. | ऐसे टैक्स-सेविंग फ़ंड्स भी हैं जो पुराने टैक्स रिजीम के तहत टैक्सेबल इनकम को ₹1.5 लाख तक कम कर देते हैं. दुर्भाग्य से, नए रिजीम के तहत ये सुविधा नहीं है. |
विड्रॉल पर टैक्स | रिडेम्शन पर, एन्युटी के रूप में दी गई रिडेम्शन राशि (40%) पर टैक्स लगेगा. बाक़ी 60% विड्रॉ किया जा सकता है और ये टैक्स-फ़्री है. | ₹1 लाख तक का लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स-फ़्री है, इस सीमा से ऊपर के मुनाफ़े पर 10% टैक्स लगता है. |
विड्रॉल में आसानी | आसान नहीं है. 60 साल का होने से पहले पैसा निकालना मुश्किल है. | ELSS को छोड़कर, म्यूचुअल फ़ंड्स किसी भी समय विड्रॉल की अनुमति देते हैं. |
जोख़िम | रिटर्न स्थिर होता है पर तुलनात्मक रूप से कम मिलता है, क्योंकि NPS के तहत मुख्य रूप से लार्ज-कैप शेयरों में निवेश किया जाता है. | हालांकि शॉर्ट-टर्म में उतार-चढ़ाव आता है, लेकिन लॉन्ग-टर्म में इक्विटी फ़ंड्स तगड़ा रिटर्न देते हैं क्योंकि समय के साथ जोख़िम कम हो जाता है. |
हमारा मानना
NPS और म्यूचुअल फ़ंड्स दोनों का लक्ष्य पर्याप्त पूंजी जमा करने में निवेशकों की मदद करना है, ताकि उन्हें रिटायरमेंट के बाद की ज़रूरतों को पूरा करने में मदद मिले.
म्यूचुअल फ़ंड्स की तुलना में, NPS ज़्यादा किफ़ायती और टैक्स के लिहाज़ से अच्छा विकल्प है. इसके अलावा, ये उन लोगों के लिए ज़्यादा सही है जो अपने निवेश में अनुशासन लाना चाहते हैं. 60 साल की उम्र से पहले विड्रॉल पर पाबंदी उन निवेशकों के लिए फ़ायदेमंद है जो अपने फ़ाइनेंशियल लक्ष्यों को पूरा करने से पहले ही पैसा निकाल कर ख़र्च कर देते हैं. फिर भी हम कहेंगे कि जब रिटायरमेंट प्लान की बात आती है, तो NPS की तुलना में म्यूचुअल फ़ंड्स ज़्यादा बड़े विजेता साबित होते हैं. इसकी वजह नीचे दी गई है:
-
फ़्लेक्सी-कैप
जैसे इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड्स के पास अलग-अलग मार्केट कैप में निवेश करने की आज़ादी होती है. इससे मिड- और स्मॉल-कैप में निवेश के ज़रिए ज़्यादा रिटर्न कमाने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे निवेशकों को रिटायरमेंट के लिए एक बड़ी पूंजी जमा करने में मदद मिलती है.
-
उदाहरण: अगर आपने एवरेज़ फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड (जो स्मॉल और मिड-कैप शेयरों में लगभग 30 फ़ीसदी एलोकेशन रखता है) में 10 साल तक हर महीने ₹10,000 का निवेश किया होता, तो 19 अप्रैल 2024 को आपकी पूंजी ₹27.5 लाख हो जाती. और यही निवेश आपने NPS में किया होता, तो आपकी पूंजी ₹24.2 लाख ही हो पाती.
- इसके अलावा, क्योंकि NPS में इक्विटी एलोकेशन 75 फ़ीसदी तक सीमित रहता है, इससे आपकी जमा पूंजी कहीं कम तेज़ी से बढ़ती है.
ये भी पढ़िए - हाई क्वालिटी स्मॉल कैप स्टॉक की तलाश है? देखिए हमारी स्टॉक लिस्ट