कुछ समय से फ़ंड हाउस निवेशकों पर सेक्टोरल और थीमैटिक फ़ंड्स की बारिश कर रहे हैं. इसकी बड़ी वजह SEBI (सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया) के वो नियम हैं जिनके तहत AMCs एक कैटेगरी में सिर्फ़ एक ही फ़ंड लॉन्च कर सकती हैं. हालांकि, ये नियम सेक्टोरल और पैसिव फ़ंड्स पर लागू नहीं होता. इसलिए, जिन फ़ंड हाउस के पास पहले से ही अपनी मुख्य कैटेगरी में फ़ंड्स मौजूद हैं, वे अब NFOs (न्यू फ़ंड ऑफ़र) लॉन्च कर रहे हैं जो या तो किसी ख़ास इंडेक्स की तरह हैं या किसी एक सेक्टर पर फ़ोकस करते हैं.
इसी ट्रेंड पर चलते, टाटा एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) ने हाल ही में पैसिव रूप से मैनेज किए जाने वाले 6 नए सेक्टोरल और थीमैटिक फ़ंड ऑफ़र लॉन्च किए हैं. इन स्कीमों के लिए सब्सक्रिप्शन 8 अप्रैल 2024 को शुरू हुआ था और ये 22 अप्रैल 2024 तक जारी रहेगा.
ये NFOs ऑटोमोबाइल, फ़ाइनेंशियल सर्विस, हेल्थकेयर, इंफ़्रास्ट्रक्चर, मैन्यूफ़ैक्चरिंग और रियल एस्टेट सेक्टर पर फ़ोकस करेंगे. इसके अलावा, ये पैसिव फ़ंड्स अपने चुने हुए इंडेक्स की तरह होंगे.
इन फ़ंड्स के बारे में कुछ ज़रूरी जानकारी नीचे दी गई हैं.
ये फ़ंड्स किन इंडेक्स की तरह होंगे?
नीचे उन इंडेक्स के बारे में कुछ ज़रूरी जानकारियां दी गई हैं जिन्हें ये NFO फ़ॉलो करेंगे.
टाटा निफ़्टी मिडस्मॉल हेल्थकेयर इंडेक्स फ़ंड
बेंचमार्क | निफ़्टी मिडस्मॉल हेल्थकेयर इंडेक्स (TRI) |
इस जैसा इंडेक्स | निफ़्टी हेल्थकेयर इंडेक्स |
इंडेक्स के बारे में | ये निफ़्टी 500 की 400 कंपनियों में से 30 हेल्थकेयर स्टॉक (फ़्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन पर आधारित) चुनता है.इंडेक्स की कम्पोज़िशन को साल में दो बार रीबैलेंस (तिमाही एडजस्टमेंट्स के साथ) किया जाएगा. |
क्या नया फ़ंड है? | हालांकि ये विशेष रूप से हेल्थकेयर सेक्टर के मिड और स्मॉल-कैप शेयरों को ट्रैक करने वाला पहला फ़ंड होगा, पर 5 मौजूदा ETFs (एक्सचेंज-ट्रेडेड फ़ंड) पहले से ही ब्रॉडर हेल्थकेयर इंडेक्स को ट्रैक करते हैं. |
इंडेक्स का परफ़ॉर्मेंस (%) | 3-yr: 11.3, 5-yr: 10.3, 10-yr: 7.1 |
इस जैसे इंडेक्स का परफ़ॉर्मेंस (%) | 3-yr: 15.9, 5-yr: 17.9, 10-yr: 11.2 |
टाटा निफ़्टी 500 मल्टीकैप इंडिया मैन्युफैक्चरिंग 50:30:20 इंडेक्स फ़ंड
बेंचमार्क | निफ़्टी 500 मल्टीकैप मैन्युफैक्चरिंग 50:30:20 इंडेक्स (TRI) |
इस जैसा इंडेक्स | निफ़्टी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स |
इंडेक्स के बारे में | इसमें निफ़्टी 500 के 75 मैन्युफैक्चरिंग स्टॉक (15 लार्ज-कैप, 25 मिड-कैप और 35 स्मॉल-कैप स्टॉक) शामिल हैं, जिन्हें मार्केट कैपिटलाइज़ेशन के आधार पर चुना जाता है. ये इंडेक्स लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में 50:30:20 का वेट रखता है, और हरेक स्टॉक की वेट लिमिट 10 फ़ीसदी है. तिमाही रीबैलेंसिंग के साथ हर छह महीने में इसकी समीक्षा की जाएगी. |
क्या नया फ़ंड है? | हालांकि ये मार्केट कैप के निश्चित वेट के साथ इंडस्ट्री का पहला फ़ंड है, पर दो फ़ंड पहले से ही निफ़्टी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स को ट्रैक करते हैं. हालांकि, वे मार्केट कैप के निश्चित वेट का पालन नहीं करते हैं. |
इंडेक्स का परफ़ॉर्मेंस (%) | 3-yr: 23.4, 5-yr: 21.4, 10-yr: 15.7 |
इस जैसे इंडेक्स का परफ़ॉर्मेंस (%) | 3-yr: 24.2, 5-yr: 20.4, 10-yr: 15.0 |
टाटा निफ़्टी 500 मल्टीकैप इंफ्रास्ट्रक्चर 50:30:20 इंडेक्स फ़ंड
बेंचमार्क | निफ़्टी 500 मल्टीकैप इंफ्रास्ट्रक्चर 50:30:20 इंडेक्स (TRI) |
इस जैसा इंडेक्स | निफ़्टी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडेक्स |
इंडेक्स के बारे में | इस इंडेक्स में निफ़्टी 500 से चुने गए 75 इंफ्रास्ट्रक्चर स्टॉक शामिल हैं: मार्केट कैपिटलाइज़ेशन के आधार पर 15 लार्ज-कैप, 25 मिड-कैप और 35 स्मॉल-कैप स्टॉक.इसके अलावा, ये लार्ज, मिड और स्मॉल कैप में 50:30:20 वेटेज बनाए रखता है, जिसमें एक स्टॉक की वेटेज लिमिट 10 फ़ीसदी है. तिमाही रीबैलेंसिंग के साथ साल में दो बार इसकी समीक्षा की जाएगी. |
क्या नया फ़ंड है? | हालांकि ये मार्केट कैप के निश्चित वेट के साथ इंडस्ट्री का पहला फ़ंड है, पर दो फ़ंड पहले से ही निफ़्टी इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर इंडेक्स को ट्रैक करते हैं. लेकिन वे मार्केट कैप के निश्चित वेट का पालन नहीं करते हैं. |
इंडेक्स का परफ़ॉर्मेंस (%) | 3-yr: 29.1, 5-yr: 22.7, 10-yr: 17.1 |
इस जैसे इंडेक्स का परफ़ॉर्मेंस (%) | 3-yr: 27.0, 5-yr: 21.7, 10-yr: 12.2 |
टाटा निफ़्टी रियल्टी इंडेक्स फ़ंड
बेंचमार्क | निफ़्टी रियल्टी इंडेक्स (TRI) |
इंडेक्स के बारे में | इंडेक्स निफ़्टी 500 इंडेक्स की टॉप 10 रियल एस्टेट कंपनियों को उनके फ़्री-फ्लोट मार्केट कैप के आधार पर ट्रैक करता है, जिसमें हरेक कंपनी की वेट लिमिट 33 फ़ीसदी है. टॉप 3 स्टॉक के कुल वेट की लिमिट 62 फ़ीसदी है. इसके अलावा, इंडेक्स को साल में दो बार रीबैलेंस किया जाएगा. |
क्या नया फ़ंड है? | HDFC निफ़्टी रियल्टी इंडेक्स फ़ंड |
इंडेक्स का परफ़ॉर्मेंस (%) | 3-yr: 42.5, 5-yr: 28.3, 10-yr: 16.9 |
टाटा निफ़्टी ऑटो इंडेक्स फ़ंड
बेंचमार्क | निफ़्टी ऑटो इंडेक्स (TRI) |
इंडेक्स के बारे में | इंडेक्स निफ़्टी 500 में से टॉप 15 ऑटो कंपनियों को चुनता है (फ़्री-फ्लोट मार्केट कैप के आधार पर).ये एक स्टॉक पर 33 फ़ीसदी वेट लिमिट और टॉप 3 स्टॉक पर कुल 62 फ़ीसदी की लिमिट के साथ साल में 2 बार रीबैलेंस होता है. |
क्या नया फ़ंड है? | इसी इंडेक्स को तीन और फ़ंड भी ट्रैक करते हैं. |
इंडेक्स का परफ़ॉर्मेंस (%) | 3-yr: 15.3, 5-yr: 14.5, 10-yr: 14.3 |
टाटा निफ़्टी फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ इंडेक्स फ़ंड
बेंचमार्क | निफ़्टी फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ इंडेक्स (TRI) |
इंडेक्स के बारे में | ये इंडेक्स निफ़्टी 500 इंडेक्स में से भारत की टॉप 20 फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ कंपनियों को ट्रैक करता है, जिनका चयन उनके फ़्री-फ्लोट मार्केट कैप के आधार पर किया जाता है. ये एक स्टॉक पर 33 फ़ीसदी वेट लिमिट और टॉप 3 स्टॉक पर कुल 62 फ़ीसदी की लिमिट के साथ साल में 2 बार रीबैलेंस होता है. |
क्या नया फ़ंड है? | एक मौजूदा ETF इसी इंडेक्स को ट्रैक करता है. |
इंडेक्स का परफ़ॉर्मेंस (%) | 3-yr: 12.1, 5-yr: 11.8, 10-yr: 15.0 |
नोट: निफ़्टी मिडस्मॉल हेल्थकेयर इंडेक्स फ़ंड, निफ़्टी 500 मल्टीकैप इंडिया मैन्युफैक्चरिंग 50:30:20 इंडेक्स फ़ंड और निफ़्टी 500 मल्टीकैप 50:30:20 इंफ्रास्ट्रक्चर इंडेक्स फ़ंड इस इंडस्ट्री में अपनी तरह के पहले फ़ंड हैं. हाल ही में लॉन्च हुए इंडेक्स डेटा को बैक-टेस्ट किया गया है. सोर्स: NSE इंडिया. रिटर्न 10 अप्रैल 2024 तक के हैं. |
एग्ज़िट लोड
अगर कोई निवेशक एलोकेशन के 15 दिनों के अंदर अपनी यूनिट रिडीम करता है, तो लागू NAV (नेट एसेट वैल्यू) का 0.25 फ़ीसदी एग्ज़िट फ़ीस के तौर पर लिया जाएगा. ये फ़ीस सभी 6 फ़ंड्स में एक जैसी होगी.
टैक्स ट्रीटमेंट
अगर यूनिट्स ख़रीदने के एक साल के अंदर बेची जाती हैं, तो कैपिटल गेन पर 15 फ़ीसदी टैक्स लगेगा. और अगर यूनिट्स एक साल के बाद बेची जाती हैं, तो 10 फ़ीसदी का लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू होगा. इसके अलावा, ₹1 लाख तक का कोई भी मुनाफ़ा टैक्स-फ़्री होगा.
फ़ंड मैनेजर के बारे में
इन छह स्कीमों का मैनेजमेंट, कपिल मेनन संभालेंगे. इससे पहले, उन्होंने क़रीब 20 साल तक फ़ंड हाउस में डीलर के तौर पर काम किया है. हालांकि मेनन के पास फ़ंड मैनेजमेंट का कोई अनुभव नहीं है, पर इसमें बड़ी चुनौतियां आने की संभावना कम है क्योंकि ये NFOs पैसिव होंगे.
AMC के बारे में
टाटा म्यूचुअल फ़ंड, भारतीय म्यूचुअल फ़ंड इंडस्ट्री में एक बड़ा और जमा-जमाया खिलाड़ी है. इन नए सेक्टोरल और थीमैटिक फ़ंड्स ऑफ़र्स के अलावा, ये फ़ंड हाउस अभी लगभग ₹1.36 लाख करोड़ के AUM (एसेट्स अंडर मैनेजमेंट) के साथ इक्विटी, डेट और हाइब्रिड कैटेगरी में 49 फ़ंड्स मैनेज करता है.
हमारा मानना है
भले ही AMC द्वारा ऑफ़र किए गए नए सेक्टोरल और थीमैटिक फ़ंड्स का मक़सद किसी न किसी ख़ास इंडस्ट्री में निवेश करना है, पर निवेशकों को पता होना चाहिए कि ऐसे फ़ंड्स डाइवर्स इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड्स की तुलना में ज़्यादा रिस्की होते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि किसी ख़ास सेक्टर में ही पूरा निवेश करने से जुड़े रिस्क इन फ़ंड्स को अस्थिर बना देते हैं.
इसके अलावा, निवेशकों को किसी भी सेक्टोरल और थीमैटिक फ़ंड में निवेश करने से पहले अपने मौजूदा पोर्टफ़ोलियो एक्सपोज़र को सावधानी से देख लेना चाहिए, क्योंकि उनके मुख्य म्यूचुअल फ़ंड होल्डिंग्स का पहले से ही इन सेक्टरों में कुछ एक्सपोज़र हो सकता है.
इसलिए, इन फ़ंड्स के 'हाई रिस्क प्रोफ़ाइल' को देखते हुए, हमारा सुझाव है कि निवेशक इनसे बचें और एक अच्छी तरह से डाइवर्स पोर्टफ़ोलियो वाला तरीक़ा अपनाएं.
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