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करोड़ों की खोज में

लंबे समय के निवेश कई कारणों से इतने संवेदनशील होते हैं कि रिटर्न का अंदाज़ा लगाना दूर की कौड़ी होता है

करोड़ों की खोज में

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अपनी कंपनी की वेबसाइट के साथ-साथ मैं जिन भी न्यूज़ चैनलों में निवेश से जुड़े सवालों के जवाब देता हूं, वहां लोग जानना चाहते हैं कि वो अपने निवेश से एक करोड़ रुपये कैसे बना सकते हैं. अक्सर उनके सवाल जाने-पहचाने होते हैं. कोई मैसेज या ईमेल करता है, "X साल के लिए, मुझे म्यूचुअल फ़ंड में कितनी रक़म निवेश करनी होगी कि मेरा निवेश एक करोड़ रुपये तक बढ़ जाए." या, कोई पूछता है, "मुझे X साल बाद एक करोड़ रुपये की ज़रूरत है. अपने इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए मुझे हर महीने कितना निवेश करना होगा." इन सवालों में X की वैल्यू अलग हो सकती है, लेकिन सवाल वही रहता है. अगर आप किसी भी एक इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड के रिटर्न को एक उदाहरण मान लेते हैं, तो इस सवाल का जवाब देना काफ़ी आसान हो जाएगा. आप तय कर लें कि अपने निवेश से कितना पैसा चाहते हैं, तो किसी भी स्प्रेडशीट सॉफ़्टवेयर के साथ, NPER या PPMT फ़ंक्शन से सही जवाब आसानी से कैलकुलेट किया जा सकता है.

ये आंकड़ा, हर साल 10 प्रतिशत के सालाना रिटर्न पर 20 साल के लिए, क़रीब ₹13,100 महीना होगा और हर साल 15 प्रतिशत के रिटर्न पर, क़रीब ₹6,600 महीना रहेगा. अगर आप कैलकुलेट करने का ये तरीक़ा आज़माते हैं, तो आपको कंपाउंडिंग के जादू का एक सुखद एहसास होगा. मिसाल के तौर पर, अगर आप निवेश की अवधि आधी कर देते हैं (20 के बजाय 10 साल के लिए निवेश करें), तो आपको 10 प्रतिशत पर ₹48,500 का निवेश करना होगा. ये ₹13,100 से काफ़ी ज़्यादा है. आज, ₹13,100 महीने की बचत बहुत से मध्यम वर्गीय परिवारों की पहुंच में है, मगर ₹50,000 नहीं. इसलिए समृद्धि पाने के लिए निवेश की शुरुआत जल्दी करना बेहद ज़रूरी है.

हालांकि, एक करोड़ पाने के लिए ये समझना होगा कि एक करोड़ कोई फ़िक्स्ड या ठहरा हुआ गोल नहीं है - जब तक आपके पास एक करोड़ आएंगे, तब तक ये एक करोड़ नहीं रह जाएंगे. अख़बार लगातार महंगाई दर की बात करते हैं, फिर भी हम महंगाई दर पर ध्यान दिए बिना ही अपने लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट का रिटर्न कैलकुलेट करते हैं. बड़े रिटर्न पाना एक बात है, महंगाई दर से एडजस्ट करने के बाद बड़े रिटर्न कमाना दूसरी बात है. याद है, बीस साल पहले आप ₹10 लाख से क्या-क्या ख़रीदे सकते थे? कुछ और पीछे जाएं, तो सन 1988 में मेट्रो शहरों में ₹10 लाख का एक ठीक-ठाक अपार्टमेंट आ जाता था. तब, चार में से एक मध्यम वर्गीय परिवार का हर महीने का घरेलू ख़र्च ₹5,000 से ज़्यादा नहीं हुआ करता था. पेट्रोल क़रीब 7 या 8 रुपये प्रति लीटर के आसपास था.

इसी तरह भविष्य में देखें, तो इस शानदार एक करोड़ को काफ़ी बदलने की ज़रूरत होगी. अगर अगले 20 साल में महंगाई दर का औसत पांच प्रतिशत रहा, तो आज के ₹1 करोड़ के बजाए ₹2.65 करोड़ की ज़रूरत होगी. यानी हमारी शुरुआती कैलकुलेशन बदल जाएगी. अब बीस साल के लिए हर महीने ₹13,100 बचाने के बजाय, क़रीब ₹38,000 की ज़रूरत होगी. ये एक समस्या होगी. पर क्या ये सच है? आख़िर, महंगाई दर के साथ-साथ आपकी कमाने की क्षमता भी तो बढ़ेगी. तो महंगाई से एडजस्ट किए करोड़ रुपए के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आपको अपनी बचत कितनी बढ़ानी होगी?

कुछ ज़्यादा मुश्किल कैलकुलेशन बताती है कि अगर कोई हर महीने क़रीब ₹22,000 की बचत करना शुरू करे, हर साल 7 प्रतिशत की दर से बचत बढ़ाए, और सालाना 10 प्रतिशत रिटर्न मिले, तो 20 साल में वो महंगाई दर के अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं, यानी एडजस्ट किए करोड़ रुपए तक.

हालांकि, खाली गुणा-भाग से नतीजा निकाल लेना सही नहीं है. सही नतीजा तो यही रहेगा कि लंबे समय में क्या होगा इसे पता करने की कोशिश ही बेकार है. 20 साल जैसे लंबे समय में कंपाउंडिंग का असर, वो भी तीन अलग-अलग फ़ैक्टरों (आमदनी का बढ़ना, निवेश पर रिटर्न और महंगाई दर) के साथ इतने अलग नतीजे दे सकता है कि सारा गुणा-भाग दूर की कौड़ी हो जाएगा.

अब जानते हैं कि असली ख़तरा क्या है? दरअसल, अति-उत्साह से भरे अनुमानों के साथ शुरुआत करना और लक्ष्य पाने से पहले ही निवेश छोड़ देना ख़तरनाक है. मेरे ख़याल से आप तीन या चार साल तक का ही सही अंदाज़ा लगा सकते हैं. बात जब इससे लंबे समय की आती है, तो जितना हो सके उतनी बचत करें, और निवेश की शुरुआत जितनी जल्दी हो सके, कर दें.

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