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क्या ये मिड कैप बड़े लक्ष्य हासिल कर सकता है?

आइए जानते हैं कि क्या ये कंस्ट्रक्शन व्हीकल कंपनी लंबी दूरी तय कर सकती है

क्या ये मिड कैप बड़े लक्ष्य हासिल कर सकता है?

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भारत के रैपिड इंफ़्रास्ट्रक्चर पर ज़ोर देने से कई इंडियन कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट मैन्यूफ़ैक्चर करने वालों को लाभ मिल रहा है. ऐसा ही एक इंफ़्रास्ट्रक्चर कंपनी है एक्शन कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट या ACE . ये मिड-कैप कंपनी चार सेगमेंट में काम करती है - क्रेन, कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट, मटेरियल हैंडलिंग और एग्रीकल्चर इक्विपमेंट. कंपनी को लगभग 70 परसेंट रेवेन्यू क्रेन सेगमेंट से मिलता है. घरेलू स्तर पर मोबाइल क्रेन मार्केट में इसकी हिस्सेदारी 63 फ़ीसदी और टावर क्रेन मार्केट में 60 फ़ीसदी है.

फ़ाइनेंशियल ईयर 2015-23 के दौरान ACE का टैक्स के बाद प्रॉफ़िट लगभग 26 गुना बढ़ गया है, जिसका नेतृत्व ऑपरेटिंग लेवरेज ने किया है, जो रेवेन्यू के परसेंट के रूप में लागत की बड़ी गिरावट से स्पष्ट है. ये अपनी ऊर्जा पावर और ईंधन, और रिपेयर और मेंटेनेंस का ख़र्च (दोनों रेवेन्यू के प्रतिशत के रूप में) को कम करने में भी क़ामयाब रही है. निवेशित पूंजी या रिटर्न ऑन कैपिटल इंप्लॉयड (ROCE), फ़ाइनेंशियल ईयर 2015 में क़रीब 6 प्रतिशत से बढ़कर फ़ाइनेंशियल ईयर 2023 में 29 प्रतिशत के क़रीब पहुंच गया है.

ACE फ़ाइनेंशियल

दमदार ग्रोथ के कारण पिछले दो वर्षों के दौरान शेयर की कीमत में लगभग छह गुनी बढ़ोतरी देखने को मिली है

दिसंबर-23 सितंबर-23 जून-23 मार्च-23 दिसंबर-22 सितंबर-22 जून-22
रेवेन्यू (करोड़ ₹) 753 673 652 614 556 492 498
सालाना आधार पर ग्रोथ (%) 35 37 31 20 27 36 55
ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट (करोड़ ₹) 97 84 76 68 57 41 36
सालाना आधार पर ग्रोथ (%) 68 104 112 58 62 33 36
नेट प्रॉफ़िट (करोड़ ₹) 88 74 68 48 46 34 43
सालाना आधार पर ग्रोथ (%) 90 118 55 35 70 48 125

बढ़ती फ़ाइनेंशियल और इंडस्ट्री प्रतिकूल परिस्थितियों ने निश्चित रूप से मार्केट का ध्यान खींचा है. हालांकि, कुछ ऐसे फ़ैक्टर हैं जिन पर निवेशकों को विचार करना चाहिए.

भविष्य को लेकर नज़रिया

भारत से बाहर ग्रोथ के मौक़े: ग्रोथ मोमेंटम को बनाए रखने के लिए ACE विदेशों में भी अपने बिज़नस को बढ़ा कर रही है. 25 सालों में इसने अपने एक्सपोर्ट मार्केट को 12 और देशों में बढ़ाया है, जिससे कुल संख्या 37 हो गई है (Q3 FY24 तक). मार्च 2023 तक एक्सपोर्ट से मिले रेवेन्यू का इसके कुल रेवेन्यू में हिस्सा केवल 6.7 प्रतिशत था. लेकिन फ़ाइनेंशियल ईयर 2024 की दूसरी तिमाही तक ये बढ़कर 12 प्रतिशत हो गया और मैनेजमेंट इसे और बढ़ाने की योजना बना रहा है. Q3FY24 में मैनेजमेंट ने आगे कहा कि वे यूरोप में अधिग्रहण करने का इरादा रखते हैं.

बड़े लक्ष्यों पर नज़र: मैनेजमेंट को कंपनी के ग्रोथ ट्रैजेक्टरी और अगले तीन साल में रेवेन्यू को दोगुना कर फाइनेंशियल ईयर 2026 तक ₹4,400 करोड़ करने के लक्ष्य पर भरोसा है, जिसे इंफ़्रास्ट्रक्चर और मैन्यूफैक्चरिंग पर गवर्नमेंट के फ़ोकस करने से मदद मिली है.

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रिस्क फैक्टर

छोटे तालाब में बड़ी मछलीः ACE की एनुअल रिपोर्ट के अनुसार, फ़ाइनेंशियल ईयर 2023 में भारतीय क्रेन मार्केट का आकार $1 बिलियन (लगभग ₹8,300 करोड़) था. अगले चार ,साल में इसके सालाना 5 प्रतिशथ के आसपास बढ़ने की उम्मीद है. कंपनी पहले से ही बाज़ार हिस्सेदारी का लगभग पांचवां हिस्सा हासिल कर चुकी है. एक छोटा, धीमी गति से बढ़ने वाला मार्केट जिसमें कंपनी के पास पहले से ही एक बड़ी हिस्सेदारी है, जिसके कारण तेज़ ग्रोथ के लिए बहुत कम जगह बची हो सकती है.

लॉन्ग सेल साइकलः कंपनी की क़िस्मत इंफ़्रास्ट्रक्चर साइकल, ख़ासतौर से क्रेन सेगमेंट से जुड़ी हुई है. अनालेसिस से पता चलता है कि एक क्रेन का अपेक्षित जीवन लगभग आठ से 10 साल है. कई इन्फ्रा प्लेयर, क्रेन की सीधी ख़रीद के बजाय लीज़ का विकल्प चुनते हैं. इसलिए, दोबारा सेल साइकल काफ़ी लंबा है.
इसका मतलब है कि कंपनी को अपनी लागतों को नियंत्रण में रखना होगा और फ़ायदे को क़ायम रखने या सुधारने के लिए जितना संभव हो उतना कुशल होना होगा.

रेगुलेटरी रिस्कः जैसे-जैसे कंपनी अपने एक्सपोर्ट रेवेन्यू को लगातार बढ़ाती है और अधिक मार्केट को टारगेट करती है, उसके टारगेट वाले देशों द्वारा ट्रेड पर पाबंदिया लगाए जाने का रिस्क बना रहता है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बड़ी क्रेनों पर भारत के 7.5 फ़ीसदी इंपोर्ट ड्यूटी से ACE को ख़ुद फ़ायदा हुआ है.

हॉट वैल्यूएशनः पिछले दो साल में स्टॉक का P/E 23 गुना से बढ़कर 60 गुना हो गया है, जो वैल्यूएशन को महंगा दिखाता है. मौजूदा समय में कंपनी 67 गुना TTM अर्निंग पर बिज़नस करती है, जो उसके पांच साल के औसत P/E 26 गुना से दोगुने से भी ज़्यादा है.

नतीजा

बरसों के ठहराव के बाद मार्केट, प्राइवेट कैपेक्स में तेज़ उछाल पर दांव लगा रहा है, जो कंपनी की ग्रोथ को बढ़ावा दे सकता है. फ़िलहाल रेवेन्यू ग्रोथ में गिरावट के कोई संकेत नहीं हैं और शायद एक्सपोर्ट का ये अवसर गेम-चेंजर हो सकता है. हालांकि, ऊपर बताए गए रिस्क फ़ैक्टर को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए. इसका वैल्यूएशन भी इसके विपरीत काम करता है.

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