विदेश में निवेश को व्यवस्थित बनाने और फॉरेन ट्रेडिंग अकाउंट खोलना आसान होने की वजह लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में आपको अपनी विदेशी एसेट्स का खुलासा करना होता है? ये बात बिल्कुल सही है; अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो सच्चाई सामने आने पर Income Tax डिपार्टमेंट आपकी मुश्किलें बढ़ा सकता है. ये उन सभी के लिए ज़रूरी है जिनका विदेश में बैंक अकाउंट है. NRI, कुछ समय के लिए विदेश में काम करने वाले कर्मचारी और छात्र इस लिस्ट में आते हैं.
संक्षेप में कहें तो, ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए Income Tax एक गंभीर झटका हो सकता है.
उदाहरण के तौर पर समझते हैं
- अगर Income Tax को भारत में कर योग्य किसी भी अघोषित विदेशी इनकम का पता चलता है, तो इससे संबंधित व्यक्ति पर सीधे 30 फ़ीसदी टैक्स और टैक्स की रक़म पर तीन गुना जुर्माना लगाया जाएगा.
- अगर व्यक्ति अपनी विदेशी संपत्ति का खुलासा करने में असफल रहता है , तो उसे ₹10 लाख तक का जुर्माना और 6 महीने से 7 साल तक की जेल हो सकती है.
- क्या किसी व्यक्ति को विदेश में टैक्स चुकाने के लिए कोई ढील या क्रेडिट मिलता है? इसका जवाब है-नहीं.
आपको क्या करना चाहिए
सभी नियमों का पालन करते हुए अपने बैंक और Income Tax डिपार्टमेंट को अपने विदेशी निवेश की पूरी जानकारी दीजिए और टैक्स से जुड़ी इस ग़लती से बचें.
टैक्स अथॉरिटी घरेलू निवेश की तरह विदेशी एसेट्स पर नज़र नहीं रख सकते हैं, लेकिन फॉरेन एसेट्स की जानकारी देने में देरी या भूलने जैसी कोई चूक आपको परेशानी में डाल सकती है.
इसलिए, आप सुनिश्चित करें कि जब आप अपना रिटर्न दाखिल करते हैं, तो आप ITR फ़ॉर्म में 'शेड्यूल FA (फॉरेन एसेट्स) वाली जगह में किसी भी विदेशी इनकम और एसेट की जानकारी दर्ज कर सकते हैं.
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