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ऐसा डिविडेंड स्टॉक जो हाल ही में वेल्थ क्रिएटर बन के भी उभरा

ये स्टॉक आम तौर पर डिविडेंड की इच्छा रखने वाले लोगों को लुभाता है, पर इसने उन लोगों का भी ध्यान अपनी ओर खींचा है जो वेल्थ बनाना चाहते हैं. आइये जानें, कैसे?

ऐसा डिविडेंड स्टॉक जो हाल ही में वेल्थ क्रिएटर बन के भी उभरा

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कोल इंडिया ने भारतीय शेयर मार्केट में एंटी-हीरो की भूमिका निभाई है. ये एक बेहतरीन डिविडेंड स्टॉक है. FY19-23 के बीच, इसने अपने प्रॉफ़िट आफ्टर टैक्स (PAT) का औसतन 86 फ़ीसदी हिस्सा डिविडेंड के रूप में बांटा है. हालांकि, वेल्थ बनाने की इच्छा रखने वालों को इस स्टॉक ने निराश किया है. पिछले पांच FYs में, स्टॉक ने सालाना 3 फ़ीसदी का मामूली रिटर्न (डिविडेंड एडजस्ट करने के बाद) दिया है.

हालांकि, मार्केट ने हाल ही में इस एंटी-हीरो को वेल्थ क्रिएटर बनते हुए देखा है. पिछले 12 महीनों में इसकी वैल्यू लगभग दोगुनी हो गई है, जिससे इसका पांच साल का सालाना रिटर्न (डिविडेंड एडजस्ट करने के बाद) 26 फ़ीसदी हो गया है.

इसके शेयर की वैल्यू और इसका फ़ाइनेंशियल परफ़ॉरमेंस साथ-साथ बढ़ा है. पिछले 12 महीनों में, इसने रिकॉर्ड रेवेन्यू और PAT कमाया है.

ग्रोथ इंजन ने दोबारा रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है

FY23 में कोल इंडिया के प्रोडक्शन में बड़ी तेज़ी देखी गई

TTM FY23 FY22 FY21 FY20
प्रोडक्शन (मिलियन टन)* 532 703 662 574 582
रेवेन्यू (करोड़ ₹) 1,31,223 1,38,506 1,09,941 90,233 96,283
PAT (करोड़ ₹) 28,952 28125 17,378 12,702 16,700
CFO (करोड़ ₹)# 4,551 35,686 41,107 10,592 4,977
PAT मार्जिन (%) 22.1 20.3 15.8 14.1 17.3
ROE (%) 46.3 56.0 43.6 37.0 57.0
*दिसंबर 2023 को ख़त्म हुए नौ महीनों के दौरान प्रोडक्शन
FY24 की पहली छमाही के दौरान #CFO

इस बड़े बदलाव को लेकर पूरी दलाल स्ट्रीट और साथ ही हम भी काफ़ी उत्साहित हैं. तो आइए विस्तार से जानें कि डिविडेंड चाहने वालों का ये पसंदीदा स्टॉक कैसे एक वेल्थ क्रिएटर बन गया.

प्रोडक्शन में उछाल

कोयला एक कमोडिटी है और बाक़ी कमोडिटीज़ की तरह ये भी साइक्लिकल है. हालांकि, बाक़ी कमोडिटीज़ के उलट, कोयले की डिमांड हमेशा स्थिर बनी रहती है. इसके अलावा, भारत कोयले की कमी वाला देश है, जिसका मतलब है कि इसकी डिमांड ख़त्म होने की संभावना नहीं है. इसलिए, कोयला इंडस्ट्री में तरक़्क़ी का राज़ 'प्रोडक्शन बढ़ना' है.

कोल इंडिया ने FY19 की शुरुआत से ही प्रोडक्शन में सुधार लाने के लिए अलग-अलग पहल कीं. कंपनी ने प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कंटीन्यूअस माइनर्स और हैवी अर्थ मूविंग मशीनरी (HEMM) सहित उभरती माइनिंग तकनीक में निवेश किया. इसके अलावा, इसने कई नई खदानें भी चालू की हैं.

FY23 में, कोल इंडिया ने पिछले 10 साल में पहली बार अपना प्रोडक्शन का लक्ष्य पूरा किया. निवेशकों को उम्मीद है कि आने वाले साल में प्रोडक्शन में तेज़ी जारी रहेगी.

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सस्ती ढुलाई

कोयला इंडस्ट्री में ढुलाई का ख़र्च सफलता या असफलता का कारण बन सकता है. कोल इंडिया की फर्स्ट-माइल कनेक्टिविटी (FMC) पहल से आने वाले कुछ साल में ढुलाई ख़र्च में काफ़ी कमी आने की उम्मीद है. FMC पहल के तहत, कोल इंडिया खदानों से सीधे रेलवे मालगाड़ी तक कोयला ले जाने के लिए मैकेनाइज़्ड कन्वेयर्स बनाएगी, जिससे सड़क के ज़रिए ढुलाई बंद हो जाएगी. पिछले कुछ साल में, कंपनी ने माइनिंग क्षेत्रों के आस-पास रेलवे ट्रैक बिछाने में काफ़ी निवेश किया है.

कंपनी के मैनेजमेंट ने FY29 तक मैकेनाइज़्ड तरीक़े से लगभग 915 MTPA (मिलियन टन पर एनम) कोयला ढोने की योजना बनाई है. कंपनी पहले ही 764 MTPA क्षमता वाला प्रोजेक्ट शुरू कर चुकी है; प्रोजेक्ट की पहली लाइन FY2025 से लगभग 92 MTPA क्षमता के साथ शुरू होने की उम्मीद है.

क्या कंपनी को लेकर ये उत्साह ठीक है?
इसके फ़ाइनेंशियल्स में सुधार से पता चलता है कि मैनेजमेंट ग्रोथ पर फ़ोकस कर रहा है, न कि सिर्फ़ ऑपरेशन को बनाए रखने पर. इसका हालिया capex इस बात को भी दर्शाता है कि कंपनी सक्रिय रूप रीइन्वेस्टिंग कर रही है. इसलिए, कंपनी को लेकर मार्केट में जो उत्साह है उसकी वजह काफ़ी हद तक सही है.

हालांकि, ऐसे जोख़िम भी हैं जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए.

पहला, रिन्यूएबल एनर्जी एक बढ़ता हुआ ख़तरा है. भारत सरकार धीरे-धीरे अपनी एनर्जी बास्केट से कोयले को बाहर करने का लक्ष्य बना रही है, और इसलिए, कोयला कंपनियों का भविष्य अनिश्चितताओं में घिरा हुआ है. हालांकि, कोयले से देश की लगभग 70 फ़ीसदी बिजली बनती है. एक ही बार में कोयले के इस्तेमाल को बंद करना लगभग असंभव होगा. कोल इंडिया भी अपना भविष्य सुरक्षित करने लिए कदम उठा रही है और धीरे-धीरे रिन्यूएबल एनर्जी वैल्यू चेन को शामिल करने की दिशा में काम कर रही है.

दूसरा, कोल इंडिया का पिछला रिकॉर्ड ख़राब रहा है. कंपनी का हालिया परफ़ॉरमेंस भले ही अच्छा रहा हो, लेकिन उतार-चढ़ाव भरा प्रॉफ़िट, ठहराव और क्वालिटी संबंधी चिंताओं से इसका पुराना नाता रहा है. मैनेजमेंट ने हाल ही में FY26 तक एक बिलियन एमटी प्रोडक्शन हासिल करने का बड़ा लक्ष्य रखा है.

लेकिन, कोल इंडिया इससे पहले कई बार लक्ष्य हासिल करने में विफल रही है.

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