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बार-बार KYC कराने का झंझट ख़त्म?

Uniform KYC: FSDC ने नए तरीक़े को लागू करने का फ़ैसला लिया

एक ही KYC से होंगे सारे काम, सरकार जल्द कर सकती है ऐलान

क्या आप बैंक में खाता खुलवाने, शेयर बाज़ार और म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश आदि अलग-अलग कामों के लिए बार-बार KYC कराकर परेशान हो चुके हैं? तो अब सरकार आपकी इस चिंता को दूर करने के लिए बड़ा क़दम उठाने जा रही है.

हाल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई फ़ाइनेंशियल स्टेबिलिटी एंड डवलपमेंट काउंसिल (FSDC) की मीटिंग में कस्टमर्स को वेरिफ़ाई करने के लिए Uniform Know Your Customer यानी KYC लागू करने का फैसला लिया गया. हालांकि, अभी ये साफ़ नहीं है कि ये कब तक लागू होगा. यहां पर हम यूनिफ़ॉर्म KYC से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में बता रहे हैं...

1. KYC प्रोसेस हो जाएगा सरल
इसके लागू होने पर, पूरे फ़ाइनेंशियल सेक्टर में KYC रिकॉर्ड्स की इंटर-यूजेबिलिटी हो सकेगी. साथ ही, KYC प्रोसेस का सरलीकरण और डिजिटलीकरण संभव होगा.

2. समय की होगी बचत
यूनिफ़ॉर्म KYC लागू होने से बार-बार KYC कराने की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी. इससे कस्टमर्स के साथ-साथ फ़ाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए समय की बचत होगी.

3. बार-बार नहीं देने होंगे डॉक्यूमेंट
इससे इन्वेस्टर्स को बैंक, इंश्योरेंस कंपनियों, एसेट मैनेजमेंट कंपनियों, स्टॉक ब्रोकर्स, डिपॉज़िटरी पार्टिसिपैंट्स आदि फ़ाइनेंशियल इंटरमीडियरीज के पास अकाउंट खुलवाने के लिए बार-बार KYC डॉक्युमेंट्स नहीं देने होंगे.

4. इंटरमीडियरी के लिए कॉस्ट होगी कम
इंटरमीडियरीज की बात करें तो उनके लिए बार-बार रजिस्ट्रेशन और डेटा बनाकर रखने से जुड़ी कॉस्ट कम हो जाएगी.

5. मौजूदा KYC सिस्टम की समस्या
मौजूदा व्यवस्था में KYC से इन्वेस्टर की पहचान और पता निर्धारित होता है. इसके लिए, परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN), आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस आदि देने होते हैं. असल में, प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के तहत KYC कंप्लायंस ज़रूरी है.

6. 2016 में लॉन्च हुई थी सेंट्रल KYC रिकॉर्ड्स रजिस्ट्री
केंद्र सरकार ने विभिन्न फ़ाइनेंशियल एसेट्स के लिए बार-बार KYC की ज़रूरत को खत्म करने के लिए वर्ष 2016 में सेंट्रल KYC रिकॉर्ड्स रजिस्ट्री (CKYCR) लॉन्च की थी, लेकिन इसकी भूमिका सिर्फ़ कैपिटल मार्केट्स तक ही सीमित रह गई.

7. सिक्योरिटीज़ मार्केट में दोबारा नहीं करानी पड़ती KYC
वास्तव में सिक्योरिटीज़ मार्केट्स में निवेश की शुरुआत करते समय ब्रोकर, डिपॉजिटरी पार्टिसिपैंट्स, म्यूचुअल फ़ंड्स जैसी Sebi रजिस्टर्ड इंटरमीडियरी के जरिये KYC कराने के बाद इन्वेस्टर्स को नए निवेश के लिए इस प्रोसेस को दुबारा नहीं करना पड़ता है.

8. कैसे काम करती है सेंट्रलाइज़ KYC
यह सेंट्रलाइज़ रजिस्ट्री डिजिटली सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में कस्टमर के KYC रिकॉर्ड प्राप्त करती है, संग्रहीत करती है, उन्हें सुरक्षित रखती है. कस्टमर्स को खाता खोलते समय भारतीय रिज़र्व बैंक, Sebi, इरडा, PFRDA की किसी भी रिपोर्टिंग इकाई के साथ केवल एक बार अपना KYC विवरण जमा करना होगा. एक बार डिटेल रजिस्टर होने के बाद, कस्टमर्स को 14 अंकों की KYC पहचान संख्या प्राप्त होगी, जिसका उपयोग CERSAI के साथ पंजीकृत किसी भी फ़ाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन में किया जा सकता है.

9. फ़ाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन की CKYCR डेटाबेस तक है पहुंच
फ़ाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन कस्टमर्स को जोड़ते समय उनके KYC रिकॉर्ड को फिर से प्राप्त करने के लिए CKYCR डेटाबेस तक पहुंच सकते हैं. किसी कस्टमर के विवरण में किसी भी बदलाव के मामले में, रिपोर्टिंग इकाई कस्टमर का नवीनतम KYC रिकॉर्ड लेने के बाद एक सेंट्रलाइज़ KYC (CKYC) अपडेट शुरू करेगी.


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