Anand Kumar
कुछ दिन पहले, मेरी बातचीत एक म्यूचुअल फ़ंड एग्ज़ीक्यूटिव से हुई. बातचीत दिलचस्प थी. ये एग्ज़ीक्यूटिव पिछले दो दशकों के दौरान इंडस्ट्री में अलग-अलग तरह का निवेश प्रबंधन कर रहे हैं. जैसा कि आजकल होता ही है, इक्विटी निवेश पर शुरू हुई चर्चा स्मॉल-कैप की ओर मुड़ गई. ज़्यादातर सीनियर ऑब्ज़र्वर की तरह, मेरा मित्र भी इस बात से सहमत था कि स्मॉल कैप का चलन अपने चरम पर है. भले ही, हर स्मॉल कैप का नहीं, लेकिन काफ़ी - शायद ज़्यादातर के मामले में ये सही बात है.
स्टॉक की क़ीमतें ऐसे स्तर तक पहुंच गई हैं जिन्हें सही ठहराना मुश्किल है, और किसी एक प्वाइंट पर हिसाब-क़िताब होगा. इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है - स्मॉल-कैप निवेश में ये पूरी तरह सामान्य है. हर बार जब तेज़ उछाल होता है, तो इसका अंत तेज़ गिरावट में होता है. कुल मिलाकर, चीज़ें काम कर रही हैं, लेकिन केवल उन निवेशकों के लिए जिन्होंने अपने शेयरों को अच्छी तरह से चुना है, और कॉस्ट-एवरेज, डाइवर्सिफ़िकेशन और एसेट एलोकेशन जैसे दूसरे पहलुओं को अच्छी तरह से मैनेज किया है. जो लोग झुंड के पीछे चलते हैं वे देर-सबेर बाहर निकल ही जाते हैं. ये ऐसे ही होता है.
बदक़िस्मती से, जैसा कि मेरे मित्र ने स्वीकार किया, इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड मैनेजरों के लिए स्मॉल-कैप बूम से बचना असंभव है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि बड़े रिटर्न की तलाश में स्मॉल कैप एक अनूठा आकर्षण पेश करते हैं. ऊंची अस्थिरता और जोख़िम के बावजूद, कम समय में तेज़ ग्रोथ और अच्छे फ़ायदे की उनकी क्षमता बेजोड़ है. अच्छा प्रदर्शन करने और अपने निवेशकों को औसत से ज़्यादा रिटर्न देने के दबाव में फ़ंड मैनेजर अक्सर जोख़िमों को जानने-समझने के बावजूद इन रैलियों में भाग लेने के लिए मजबूर महसूस करते हैं. ये भागीदारी न केवल उनके बेहतर प्रदर्शन की खोज को लेकर होती है, बल्कि म्यूचुअल फ़ंड इंडस्ट्री के भीतर तीखी प्रतिस्पर्धा भी दिखाती है, जहां किसी उछाल से बाहर रहने का मतलब अक्सर ज़्यादा जोख़िम होता है. किसी भी रैली से बाहर रहने का मतलब साथियों की तुलना में ख़राब प्रदर्शन है, और, जैसा कि मुझे बताया गया था, पैसे बहने शुरू हो जाते हैं. एक समझदार फ़ंड मैनेजर को इस संकट से निपटने में सक्षम होना ही चाहिए, लेकिन मूल रूप से, स्मॉल-कैप बूम के दौरान, हर कोई बाघ की पीठ पर सवार होता है.
सही लॉन्ग-टर्म के नज़रिए वाला एक निवेशक इन समस्याओं से बचने में सक्षम होगा. हालांकि, अजीब बात ये है कि कई इन्वेस्टर अग्रेसिव होने की ग़लत भावना के कारण उसी बाघ की पीठ पर चढ़ने का मैनेजमेंट भी करते हैं. ये एक ख़तरनाक फ़ीडबैक लूप बनाता है, क्योंकि उनकी मांग क़ीमतों को और बढ़ा देती है, जिससे खेल में और भी ज़्यादा खिलाड़ी आकर्षित होते हैं. बाघ और ज़्यादा उत्तेजित हो जाता है, और अंत में गिरने का ख़तरा भगदड़ में बदल जाता है, जिससे बाहर निकलने के लिए हर कोई संघर्ष करता है. इसलिए, व्यक्तिगत निवेशक, झुंड की मानसिकता से बचने की ताक़त ज़रूर रखते हैं, पर स्मॉल-कैप बूम की बड़ी कहानी एक छल-प्रपंच वाला जाल होती है, जो बाघ की डांवाडोल पीठ पर जुआ खेलने के लिए बड़े-बड़े अनुशासित व्यक्तियों को भी लुभा सकती है.
आक्रामक होना अक्सर संभावित हाई रिटर्न से चूक जाने के डर (FOMO) से पैदा होता है, जो स्मॉल-कैप अपनी तेज़ी के दौरान मन में पैदा कर सकते हैं. व्यक्तिगत निवेशक, इंडेक्स और कुछ म्यूचुअल फ़ंड्स द्वारा के तेज़ी से बनने वाले मुनाफ़े को देख कर, इसके जोख़िमों को पूरी तरह समझे बिना इसका फ़ायदा उठाने की उम्मीद में मैदान में कूद पड़ते हैं. ये झुंड वाली सोच, स्मॉल-कैप बाज़ारों को बिगाड़ सकती है, जिससे वैल्युएशन बढ़ सकता है और अंततोगत्वा, बड़ी गिरावट आ सकती है. विडम्बना ये है कि शॉर्ट-टर्म मुनाफ़े को ज़्यादा-से-ज़्यादा करने की कोशिश में; ये निवेशक ख़ुद उसी अस्थिरता और मंदी का सामना करते हैं जिससे वे मुनाफ़ा कमाना चाहते हैं. ऐसे अशांत बाज़ारों में सफलता की चाभी, अनुशासित निवेश रणनीतियों में छुपी है, जैसे गहरी रिसर्च, धीरज और अटकलों पर आधारित मुनाफ़े के बजाय निवेश के बुनियादी सिद्धांतों पर ध्यान देना है. व्यक्तिगत निवेशकों के लिए, सबक़ साफ़ है: भले ही, तुरत-फुरत मुनाफ़े का आकर्षण आकर्षक होता है, मगर धीरज, रिसर्च और एक सोची समझी निवेश की रणनीति की ख़ूबियों की अहमियत कतई कम नहीं समझी जा सकती.
लेकिन उन फ़ंड मैनेजरों का क्या जो प्रदर्शन के पीछे भागते हैं? मुझे डर है कि आज की स्थिति उसी तरह की है जहां निवेशकों की शॉर्ट-टर्म और ओपन-एंडेड फ़ंड चलाने की व्यावसायिक वास्तविकता एक ऐसी खदान तैयार कर रही है जिससे बाहर निकलना मुश्किल है. अंत में, सभी निवेशकों के लिए सफलता की चाभी, आकर्षक शॉर्ट-टर्म के मौक़ों का पीछा करने और लॉन्ग-टर्म में निवेश के सिद्धांतों पर मज़बूती से टिके रहने के बीच संतुलन बनाने में छुपी है. इस तरह के नज़रिए में कुछ भी 'स्मॉल-कैप' नहीं है - ये कुछ ऐसा है जिसे निवेशकों को हमेशा मानना और फ़ॉलो करना चाहिए.
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