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पेटीएम मत करो?

पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर RBI के बैन पर हर बात, जो आपको जानना ज़रूरी है.

पेटीएम मत करो?

वन97 कम्युनिकेशन्स, जिसे हम सब पेटीएम के नाम से जानते है, उसे हाल ही में एक बड़ा झटका लगा है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक सर्कुलर जारी कर, पेटीएम की बैंकिंग सर्विस ऑफ़र करने पर बैन लगा दिया है. जिसका नतीजा ये हुआ कि केवल 2 दिनों में इसका स्टॉक लगभग 36 फ़ीसदी तक नीचे गिर गया है.

RBI का डायरेक्टिव क्या है
RBI ने नॉन-कंप्लायंस और मटीरियल सुपरवाइज़री चिंताओं की वजह से पेटीएम को सभी तरह की बैंकिंग सर्विस ऑफ़र करने से बैन कर दिया है.

29 फ़रवरी से प्रभावी, पेटीएम पेमेंट्स बैंक अब नए यूज़र नही बना पाएगा. यहां तक कि मौजूदा यूज़र्स भी एक वक़्त के बाद पेटीएम वॉलेट, फ़ास्टैग और मोबिलिटी कार्ड का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. ये बैन, दूसरी बैंकिंग सर्विस, जैसे फ़ंड ट्रांसफ़र, UPI, और तत्काल पेमेंट वाली सर्विस पर भी लागू होगा. हालांकि, पैसे निकाले जा सकेंगे.

और ये पहली बार नहीं है
ये पहली बार नहीं है कि जब पेटीएम ने रेग्युलेटरी गाइडलाइनों का उल्लंघन किया है.

जून 2018 में, RBI ऑडिट ने KYC प्रोसेस में हुई दिक्कत के कारण पेटीएम पेमेंट्स बैंक को नए यूज़र स्वीकार करने पर रोक लगा दी थी.

इसके अलावा, RBI ने ग़लत बयानी और लाइसेंस की गाइडलाइन और साइबर सिक्योरिटी को अमल में न लाने के लिए अक्टूबर 2021 में ₹1 करोड़ और अक्टूबर 2023 में ₹5 करोड़ की पैनल्टी लगाई थी.

मार्च 2022 में, नॉन-कंप्लायंस की लगातार आने वाली दिक़्क़तों के चलते, बैंक को तुरंत ऑन-बोर्डिंग बंद करने का निर्देश दिया था.

नवंबर 2023 में, RBI ने बैंकों और NBFC को कंज़्यूमर क्रेडिट पर रिस्क को 25 परसंटेज प्वाइंट से बढ़ाकर 125 प्रतिशत करने का निर्देश दिया था. इसका नतीजा रहा कि पेटीएम को अपनी 'अभी खरीदो, बाद में भुगतान करो' की सर्विस को रोकना पड़ा और अपना लोन एक्सपोज़र ₹50,000 से कम करना पड़ा.

बिज़नस पर इसका असर
RBI के इस निर्देश से पेटीएम के रेवेन्यू और मुनाफ़े की क्षमता पर काफ़ी असर पड़ेगा. कामकाज में और लोन देने में रुकावट आएगी. इसी वजह से, व्यापारिक संबंधों को दोबोरा देखना होगा, और इंटीग्रेटेड सर्विस (जो पेटीएम के ख़ास आकर्षण थे) उनको रोकना होगा, क्योंकि प्वाइंट-ऑफ़-सेल सर्विस, वॉलेट, UPI और दूसरी सर्विस, जो पेटीएम पेमेंट्स बैंक से जुड़ी हुई हैं, वो बंद हो जाएंगी.

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अगर स्थिति बहुत ख़राब होती है, तो पेटीएम का रेवेन्यू 30 फ़ीसदी तक गिरकर ₹7,032 करोड़ तक जा सकता है क्योंकि पूरा मर्चेंट ट्रांज़ैक्शन, तलवार की धार पर चल रहा है. मैनेजमेंट के अनुसार, EBITDA (ब्याज से पहले की कमाई, टैक्स, डेप्रीसिएशन और एमोर्टाइज़ेशन) गिर कर, 300 - 500 करोड़ रुपये पर आ सकता है, जिससे कंपनी का EBITDA पर आधारित घाटा 37-62 फ़ीसदी तक बढ़ सकता है.

निवेशक की बात
अपने उतार-चढ़ाव भरे कैश-फ़्लो और नुक़सान में रहने वाले बिज़नस के कारण पेटीएम पहले से ही कई निवेशकों की नज़र में गिर चुका है. ग्रोथ ड्राइवर के तौर पर पेमेंट बैंक पर इसकी निर्भरता अब ख़तरे में है.

जिन निवेशकों ने पेटीएम का शेयर IPO में ख़रीदा था वो आज तक 77 प्रतिशत के नुक़सान में हैं.

मैनेजमेंट का इस मामले को सुलझाने का इरादा होने के बावजूद, ये बात पूरी तरह से साफ़ है कि कंपनी पर काफ़ी असर होगा, पहले से हो रहे नुक़सान को देखते हुए ये समझ आता है कि पेटीएम का भविष्य अब अंधेरे में है.

निवेशक इस समय पेटीएम ख़रीदने के लिए आकर्षित हो सकते हैं क्योंकि उन्हे लगता है कि ये बहुत 'सस्ता' मिलेगा, पर ध्यान रहे कि ये कंपनी काफ़ी नुकसान में है, लगातार पैसे ख़र्च कर रही है, और अब इस कंपनी में किसी भी तरह की ग्रोथ नहीं दिख रही है.

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