ज़ी-सोनी विलय की दो साल की उतार-चढ़ाव से भरी यात्रा, आखिरकार ख़त्म हो गई है. 22 जनवरी, 2024 को, कल्वर मैक्स (Culver Max का नाम पहले Sony Pictures था) ने ज़ी एंटरटेनमेंट के साथ अपने 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर के विलय सौदे (merger deal) को ख़त्म कर दिया है. अब सोनी, मर्जर एग्रीमेंट के उल्लंघन के लिए ज़ी से 90 मिलियन अमेरिकी डॉलर की टर्मिनेशन फ़ीस मांग रही है.
लेकिन इससे पहले कि हम विस्तार में जाएं, आइए ज़रा एक री-कैप करते हैं.
इसकी शुरुआत कैसे हुई?
सोनी-ज़ी विलय की कहानी, ज़ी एंटरटेनमेंट के उथल-पुथल भरे दौर में शुरू हुई. 2021 में, कंपनी बोर्डरूम विवादों में फंस गई, विशेष रूप से इसके इन्वेस्टर रिलेशंस विभाग के प्रमुख को इनसाइडर ट्रेडिंग का दोषी ठहराया गया था. इसी के साथ, मेजर स्टेक-होल्डर्स, इन्वेस्को और OFI ग्लोबल चाइना, ज़ी के मैनिजिंग डायरेक्टर, पुनीत गोयनका को बोर्ड से बाहर करने की वकालत कर रहे थे.
कुल मिला कर इन मामलों के चलते, ज़ी का फ़ाइनेंशियल परफ़ॉर्मेंस लड़खड़ा रहा था, जैसा "मनोरंजन के लिए संघर्ष" टेबल में दिखाया गया है.
मनोरंजन के लिए संघर्ष
FY20 के बाद से ज़ी की कमाई में काफ़ी उतार-चढ़ाव रहा है
फ़ाइनेंशियल | TTM सितंबर 2023 | FY23 | FY22 | FY21 | FY20 | 3 साल की ग्रोथ (%) |
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रेवेन्यू (करोड़ ₹) | 8645 | 8088 | 8186 | 7730 | 8130 | -0.2 |
ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट | 657 | 788 | 1539 | 1329 | 991 | -7.3 |
ऑपरेटिंग मार्जिन (%) | 7.6 | 9.7 | 18.8 | 17.2 | 12.2 | -7.2 |
कंसॉलिडेटेड नेट प्रॉफ़िट (करोड़ ₹) | -102 | 48 | 365 | 800 | 527 | -511 |
ROCE (%) | 7.1 | 5 | 14.5 | 14.5 | 11 | - |
ROCE यानी लगाई गई कैपिटल पर रिटर्न |
इस सबके चलते, सितंबर 2021 में, बोर्ड ने अपने ख़ास प्रतिद्वंदी, सोनी पिक्चर्स के साथ मर्जर प्लान से मार्केट को चौंका दिया था. सोनी पिक्चर्स के मर्जर का लक्ष्य 70 से ज़्यादा चैनल, दो OTT प्लेटफ़ॉर्म (ज़ी5 और सोनी लिव) और दो फिल्म स्टूडियो (ज़ी स्टूडियो और सोनी पिक्चर्स फिल्म्स इंडिया) को मिला कर 10 बिलियन डॉलर का बड़ा एंटरटेनमेंट ग्रुप बनाना था. इसके अलावा, तालमेल बढ़ाने और इंडियन ब्रॉडकास्ट एंटरटेनमेंट नेटवर्क में बड़े मार्केट शेयर के साथ इंडस्ट्री लीडर बनने की कोशिश थी.
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कैसे हुई शुरुआत
शुरुआत में डील के प्लान के मुताबिक़, पुनीत गोयनका को मर्ज होने वाली कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO बनाया जाना था. हालाकि, गोयनका और ज़ी के संस्थापक सुभाष चंद्रा, फ़ंड्स में हेराफेरी के आरोप में सेबी की जांच के दायरे में आ गए. जांच इस बात के साथ ख़त्म हुई कि रेगुलेटर ने गोयनका को किसी भी लिस्टिड कंपनी में कोई भी ख़ास प्रबंधकीय पद संभालने से प्रतिबंधित कर दिया.
इस बात का असर तब समझ में आया जब विलय की समय सीमा 21 दिसंबर, 2023 से बढ़ाकर 21 जनवरी, 2024 कर दी गई. ज़ी के 6 महीने के एक्सटेंशेन के अनुरोध और गोयनका के अंतरिम इस्तीफ़े की पेशकश के बावजूद, सहमती की शर्तों को पूरा करने में होने वाली देर का हवाला देते हुए, सोनी ने अंत में विलय से पीछे हटने का फ़ैसला किया है.
इसका परिणाम
जैसे ही मर्जर नहीं होने की अफ़वाह फैलनी शुरू हुई, ज़ी एंटरटेनमेंट के शेयर की क़ीमत पर असर पड़ा. 9 जनवरी 2024 तक इसके प्राइस में लगभग 8 प्रतिशत गिरावट देखी गई, जो इसके हाल के इतिहास में सबसे ख़राब था. हालांकि, सबसे बड़ा झटका 23 जनवरी 2024 को लगा, जब शुरुआती ट्रेडिंग सेशन में इसके शेयर की क़ीमत 25 प्रतिशत से ज़्यादा गिर गई.
इसका नतीजा
ज़ी एंटरटेनमेंट का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है. पुनीत गोयनका फ़िलहाल सेबी प्रतिबंध का विरोध करने के लिए क़ानूनी रास्ते तलाश रहे हैं, जबकि कंपनी की फ़ाइनेंशियल रिकवरी अभी तक नहीं हुई है, जैसा कि फ़ाइनेंशियल टेबल भी दिखाती है.
हालांकि, निवेशकों के लिए, ज़ी-सोनी का ये पूरा मामला मैनेजमेंट की ईमानदारी पर सवाल खड़े करता है, जो अहम है लेकिन इसे मापना एक मुश्किल काम है. जहां, निवेश पहले फाइनेंशियल परफ़ॉर्मेंस की पूरी जांच की जानी चाहिए, वहीं, प्रबंधन के इतिहास पर भी उतना ही ध्यान दिया जाना चाहिए.
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