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ट्रेंट कैसे लिख रही है सफलता की कहानी

मुश्किल हालात से उबरने के बाद ज़ूडियो बड़े पैमाने पर बाज़ार में पैठ बना रही है

ट्रेंट कैसे लिख रही है सफलता की कहानी

कोविड के बाद, भारतीय परिधान उद्योग (indian apparel industry) तेज़ी से आगे बढ़ रही है. भले ही इससे कई कंपनियों को फ़ायदा हुआ है, लेकिन इस इंडस्ट्री की दूसरी कंपनियों की तुलना में ट्रेंट काफ़ी आगे नज़र आ रही है.

पिछले तीन साल के दौरान इसके स्टॉक ने 63 फ़ीसदी का दमदार सालाना रिटर्न दिया है और इसका मार्केट कैप 4 गुना से ज़्यादा बढ़ चुका है.

हाल ही में, इसका मार्केट कैप ₹1 लाख करोड़ से ज़्यादा हो गया और अब कंपनी निफ़्टी 50 में शामिल होने के लिए तैयार है.

वैसे, ट्रेंट की इस क़ामयाबी की वजह क्या है? आइए जानते हैं...

कोविड के बाद की तेज़ी
ट्रेंट को भी इंडस्ट्री की दूसरी कंपनियों की तरह कोविड के बाद इस सेक्टर में डिमांड के वापस लौटने का फ़ायदा हुआ. लगभग सभी कंपनियों के रेवेन्यू और प्रॉफ़िट में शानदार ग्रोथ देखी गई. ट्रेंट की तगड़ी प्रतिस्पर्धी कंपनी आदित्य बिड़ला फ़ैशन को देखें, तो FY20-23 के दौरान इसका सालाना रेवेन्यू 12 फ़ीसदी बढ़ा है.

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लेकिन ट्रेंट को दूसरों से अलग बनाने वाली बात ये है कि कोविड के बाद की तेज़ी थमने के बावजूद इसकी ग्रोथ बरक़रार रही है. भले ही, FY23 में दूसरी कंपनियों की ग्रोथ कम रही, लेकिन ट्रेंट का दमदार प्रदर्शन जारी रहा. हक़ीक़त में, कच्चे माल की क़ीमतों में गिरावट की वजह से इसका मार्जिन और बढ़ गया.

ट्रेंड का बहीखाता

TTM सितंबर 2023 मार्च 2023 मार्च 2022 मार्च 2021 मार्च 2020 2Y ग्रोथ (%)
रेवेन्यू (करोड़ ₹) 9959 8929 4892 2832 3789 33.1
ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट (करोड़ ₹) 1269 1113 594 184 557 26
ऑपरेटिंग मार्जिन (%) 17 12.5 12.1 6.5 14.7
कंसोलिडेटेड प्रॉफ़िट (करोड़ ₹) 543 394 35 -181 106 54.9
ROCE (%) 17.6 32.3 15.9 2.1 17.7
TTM यानी पिछले 12 महीने
ROCE यानी लगाई गई कैपिटल पर रिटर्न

दूसरों से अलग राह पर
दूसरी कंपनियां जहां प्रॉफ़िट बढ़ाने के लिए प्रीमियम पेशकशों के दम पर अमीर कस्टमरों को टारगेट कर रही थीं, उसके उलट ट्रेंट ने अलग ही रास्ता अपनाया. कंपनी ने दिखाया है कि प्रॉफ़िटेबिलिटी के लिए वॉल्यूम बढ़ाना सही तरीक़ा हो सकता है. ट्रेंट ने इस मामले में अपनी क्षमता का अच्छा प्रदर्शन किया है.

ट्रेंट का ₹1,000 से कम के प्रोडक्ट्स पर केंद्रित ज़ूडियो ब्रांड ख़ासतौर पर टियर-2 और टियर-3 शहरों में पॉपुलर है. पिछले कुछ साल में इस ब्रांड की पैठ अच्छी-ख़ासी बढ़ी है. पिछले चार साल में इसका ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट 136 फ़ीसदी बढ़ा है और मौजूदा समय में कंपनी के कुल ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट में इसका योगदान क़रीब 38 फ़ीसदी है.

इस ग़ज़ब की ग्रोथ के पीछे ज़ूडियो स्टोर्स का तगड़ा सपोर्ट है, जो उसके प्रीमियम ब्रांड वेस्टसाइड से अलग हैं.

हालांकि रेमंड जैसे उसके कुछ प्रतिद्वंद्वियों के एक्सक्लूसिव ब्रांड स्टोर्स (EBO) को मुनाफ़ा नहीं होने के संकेत मिले हैं, लेकिन अगर वो कस्टमर्स को अपनी तरफ़ खींचने में नाक़ाम रहते हैं तो ज़ूडियो इस क्षेत्र में उतरने की कोशिश करती नज़र आ सकती है.

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आगे का सफ़र
कंपनी ने अपने स्टोर प्रॉफ़िट को बरक़रार रखा है. उसकी AGM से मिली जानकारी के मुताबिक़, इसके कुल स्टोर में से क़रीब 99 फ़ीसदी फ़ायदेमंद रहे हैं. कंपनी इस साल, लगभग ₹800 करोड़ के कैपेक्स के लक्ष्य के साथ क़ारोबार को फैलाने की योजना पर काम कर रही है.

कंपनी का मक़सद ऑर्गनाइज़ रिटेल को भुनाना है. भले ही, दूसरी कंपनियां प्रीमियम प्रोडक्टस पर ज़ोर देते हुए आगे बढ़ रही है. लेकिन ट्रेंट ने सस्ते प्रोडक्ट बनाने पर ध्यान देते हुए बेहतरीन प्रदर्शन करके ख़ुद को साबित किया है.

लेकिन सब कुछ अच्छा ही नहीं रहा है. कंपनी 167 गुने P/E फ़ैक्टर के साथ बिज़नस कर रही है, जिससे उसको लेकर सतर्क रहने के संकेत मिलते हैं. इसके अलावा, कंपनी को ऑर्गनाइज़्ड, अन-ऑर्गनाइज़्ड और ऑनलाइन रिटेलरों से सीधी टक्कर का सामना करना पड़ता है.

आख़िरी और सबसे अहम बात, ट्रेंट का ज़ोर, ज़्यादा वॉल्यूम वाले बाज़ार पर है. इसीलिए डिमांड में कमी से कंपनी के लिए बड़ा जोख़िम पैदा हो सकता है. ये बात इसलिए भी अहम है, क्योंकि दूसरे ब्रांड्स का ज़ोर प्रीमियम प्रोडक्ट पर बना हुआ है.

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