जहां रेवेन्यू और कमाई का लगातार बढ़ना अहमियत रखता है, वहीं हर निवेशक शेयर प्राइस में ग्रोथ को अपना पहला मक़सद मानता है. और लौरुस लैब्स के हाल के परफ़ॉर्मेंस ने इसके शेयरधारकों को मायूस किया होगा.
FY20 से FY23 तक रेवेन्यू और कमाई में प्रभावशाली बढ़ोतरी दर्ज करने के बावजूद, कंपनी को इस फ़ाइनेंशियल ईयर में वैसी ही तेज़ी बनाए रखने के लिए मशक़्क़त करनी पड़ी. असल में, FY24 की दूसरी तिमाही के दौरान, इसके रेवेन्यू और नेट प्रॉफ़िट में साल-दर-साल (YoY) के आधार पर, क्रमशः 22 और 83 फ़ीसदी की गिरावट आई.
नतीजतन, स्टॉक की क़ीमत अगस्त 2021 में ₹707 के अपने सबसे उपरी स्तर से गिरकर 19 दिसंबर, 2023 को ₹397 हो गई, जो 27.5 फ़ीसदी की सालाना गिरावट है.
मौजूदा गिरावट पर चर्चा करने से पहले, आइए उन फ़ैक्टर्स पर बात करें जिन्होंने कंपनी की शुरुआती ग्रोथ में मदद की.
रेवेन्यू डाइवर्सिफ़िकेशन से ग्रोथ
लौरुस लैब्स वित्त-वर्ष 2018 तक ख़ास तौर से API (एक्टिव फ़ार्मास्युटिकल इनग्रीडिएंट्स) सेगमेंट से अपना रेवेन्यू पैदा करती रही है. इस सेगमेंट में, एंटीरेट्रोवाइरल (ARV) सबसे बड़े रेवेन्यू के ज़रिए के तौर पर सामने आया, जो कुल रेवेन्यू का 74 फ़ीसदी था. इसके उलट, CDMO (कॉन्ट्रैक्ट डवलपमेंट एंड मैन्यूफ़ैक्चरिंग ऑर्गनाइज़ेशन) सेगमेंट ने कुल रेवेन्यू में उम्मीद के मुताबिक़ मामूली 11 प्रतिशत का योगदान दिया.
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रेवेन्यू डाइवर्सिफ़िकेशन को बढ़ाने के लिए, मैनेजमेंट ने जेनेरिक फ़ॉर्म्यूलेशन और सिंथेसिस पर अपना फ़ोकस शिफ़्ट किया. इस क़दम का नतीजा वित्त-वर्ष 2023 के आंकड़ों से पता चलता है कि ARV का रेवेन्यू शेयर कम हो कर 37 फ़ीसदी और CDMO शेयर बढ़ कर 36 फ़ीसदी हो गया.
सिंथेसिस CDMO सेगमेंट एक गेम-चेंजर बन गया, जिससे पिछले पांच सालों में रेवेन्यू और नेट प्रॉफ़िट दोनों में, क्रमशः सालाना 27 फ़ीसदी और 70 फ़ीसदी रेट से बढ़ोतरी हुई. रेवेन्यू स्ट्रीम डाइवर्सिफ़िकेशन की वजह से प्रोडक्ट मिक्स में भी सुधार हुआ है, जिससे वित्त-वर्ष 2018 में ऑपरेटिंग मार्जिन 14 फ़ीसदी से बढ़कर वित्त-वर्ष 23 में 21 फीसदी हो गया.
लौरस लैब्स: पिछले पांच साल में कैसा रहा प्रदर्शन
पिछले 12 महीने में प्रॉफ़िटेबिलिटी और ROE में काफ़ी कमी आई है
TTM | FY23 | FY22 | FY21 | FY20 | |
---|---|---|---|---|---|
रेवेन्यू (करोड़ ₹) | 5332 | 6041 | 4936 | 4814 | 2832 |
PAT (करोड़ ₹) | 378 | 797 | 832 | 984 | 255 |
ऑपरेटिंग मार्जिन (%) | 12.9 | 21 | 23.7 | 28 | 13.3 |
ROE (%) | 9.1 | 21.6 | 28.1 | 45.2 | 15.4 |
PAT यानी प्रॉफ़िट आफ्टर टैक्स ROE यानी इक्विटी पर रिटर्न TTM यानी पिछले 12 महीने में प्रदर्शन |
मौजूदा समय में
हालांकि, FY24 में, कंपनी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. अमेरिका और यूरोपीय बाज़रों में प्रमुख API क़ीमतों को कम करने का दबाव और हाई-मार्जिन सिंथेसिस बिज़नस में निराशाजनक प्रदर्शन ने रेवेन्यू और प्रॉफ़िट मार्जिन पर असर किया है.
CDMO सेगमेंट, जिसमें वित्त-वर्ष 2022 में बड़े ऑर्डर के कारण काफ़ी ग्रोथ देखी गई थी, लड़खड़ा गया, क्योंकि कंपनी बड़े ऑर्डर हासिल करने में नाक़ाम रही. इसका नतीजा हुआ कि दूसरी तिमाही में रेवेन्यू में 69 फ़ीसदी की गिरावट आई.
हालांकि FY24 की पहली छमाही में फ़ॉर्मूलेशन से रेवेन्यू में 24 फ़ीसदी की ग्रोथ हुई, लेकिन बाद में फ़ॉर्मूलेशन बिज़नस की क़ीमत में कमी के कारण भारी गिरावट आई. इसका ऑपरेटिंग मार्जिन वित्त-वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में 23.3 फ़ीसदी से घटकर, हालिया तिमाही में 7.7 फ़ीसदी रह गया.
आगे का सफ़र
मैक्रो माहौल का ख़राब होना और बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा, मौजूदा वित्त-वर्ष में कंपनी के प्रदर्शन को चुनौती दे रही है.
API और फ़ॉर्मूलेशन सेगमेंट में बिक्री में ग्रोथ के बावजूद, अप्रत्याशित दामों और क़ारोबारी माहौल, दोनों ही लौरस लैब्स के लिए बेहतर स्थिति में पहुंचने को मुश्किल बना रहे हैं.
इसके अलावा, कंपनी ने पिछले तीन साल में काफ़ी कैपिटल एक्सपेंडिचर किया है, जो क़रीब ₹2,900 करोड़ है. ये ख़र्च ख़ास तौर से सिंथेेसिस और CDMO बिज़नस के लिए किया गया है. कंपनी ने अपनी मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ैसिलिटी बढ़ाई हैं और पशु हेल्थकेयर सिंथेसिस के बिज़नस में क़दम रखा है, जिसका कमर्शियल ऑपरेशन अक्तूबर 2023 में शुरू हुआ. अब वक़्त ही बताएगा कि सिंथेसिस बिज़नस पर मैनेजमेंट के दांव से कंपनी और उसके शेयरधारकों को लंबे समय में फ़ायदा होगा या नहीं.
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