निवेशकों की यात्रा

लालच, विवेक और इतिहास के सबक़

बाज़ार की तेज़ी के ख़त्म होने पर निवेश को लेकर सावधान करने वाली ज़रूरी बातें

लालच, विवेक और इतिहास के सबक़

निवेश के क्षेत्र में, पीटर लिंच के मशहूर कॉकटेल पार्टी थ्योरी की याद दिलाने वाला एक पैटर्न सामने आ रहा है. पीटर लिंच के पास डिनर पार्टियों में बाज़ार की भविष्यवाणी करने की एक थ्योरी थी. जब शेयर बाज़ार सुस्त या सीमित दायरे में होता है तो लोग उन पर कम ध्यान देते हैं. लेकिन जब इसमें तेज़ी आती है, तो लोग स्टॉक चुनने और इन्वेस्टमेंट के सही समय के बारे में पूछने लगते हैं. यहां तक कि दांतों के डॉक्टर भी अनुभवी फ़ंड मैनेजरों को स्टॉक के सुझाव देने लगते हैं.

आज, हम बाज़ार में गज़ब का जोश और उम्मीद देख रहे हैं, ख़ासकर मार्केट कैप को लेकर. उस बारे में कुछ निवेशक मुझसे पूछताछ कर रहे हैं:

  • "हम एक ख़ास स्मॉल-कैप पोर्टफ़ोलियो क्यों नहीं बनाते?"
  • "हमने एक सिस्टमैटिक ट्रांसफ़र क्यों शुरू किया है? क्या हम एक साथ पूरा निवेश नहीं कर सकते?"
  • "'चीन + 1' को ध्यान में रखते हुए और अर्थव्यवस्था की औपचारिकता स्मॉल-कैप कंपनियों के पक्ष में है, क्या हम डिफ़ेंस और मैन्युफ़ैक्चर जैसे सेक्टर में ज़्यादा निवेश एलोकेट कर सकते हैं?"
  • "मैं एक पोर्टफ़ोलियो बनाना चाहता हूं जिसमें सिर्फ़ सेक्टर-स्पेसिफ़िक फ़ंड शामिल हों और इसे बाज़ार के रुझानों के साथ पूरी तरह से एडजस्ट किया जा सके."

इस तरह के सवाल इन्वेस्टर कम्युनिटी में उमड़ रहे हैं, और ये स्वाभाविक भी है. आख़िरकार बाज़ार में उत्साह जो है.

लेकिन याद रखें कि पिछले रिटर्न, भविष्य के नतीजों की गारंटी नहीं होते हैं. इसके बजाय, वो अक्सर निवेशकों को उस ख़ास प्वाइंट पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले सेक्टर और विषयों की ओर लुभाते हैं. विवेक पर लालच को अहमियत देने का ये पैटर्न कोई नई बात नहीं; ये हर अप-साइकल में एक बार-बार आने वाला विषय है.

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इतिहास का सबक़
2000 के दशक की शुरुआत में, जब मैं एसेट मैनेजमेंट इंडस्ट्री में आया, तो भारतीय म्यूचुअल फ़ंड्स का AUM 46.5 फ़ीसदी बढ़कर 1.03 लाख करोड़ रुपये हो गया. इक्विटी का एक बड़ा हिस्सा IT सेक्टर के फ़ंड्स में डाला गया. लेकिन बाज़ार में गिरावट के बाद, NAVs में 80 फ़ीसदी तक की गिरावट देखना दिल दहला देने वाला था. इसके चलते कई निवेशकों ने अपनी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा गंवा दिया.

इतिहास में झांकें तो सेंसेक्स में भी कुछ ऐसा ही नज़ारा दिखाई देगा. 1992 तक, इसमें 267 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई और ये 1,168 से बढ़कर 4,285 हो गया. फिर भी, अगले साल इंडेक्स 2,281 पर बंद हुआ, और एक साल में 47 फ़ीसदी गिरावट के साथ. जिन रिटेल निवेशकों ने मार्केट की पीक पर निवेश किया था, उन्हें एक दशक के बाद भी 2 फ़ीसदी का नुक़सान हुआ होगा. ऐसी मिसालों को याद रखना ज़रूरी है, क्योंकि समय के साथ यादें धुंधली पड़ जाती हैं. हालांकि, अब भी, बाज़ार के कुछ हिस्सों में ऐसा मूड दिखाई देता है कि "अभी निवेश करें, और बाद में जांच करें".

स्मॉल-कैप का आकर्षण समझें
जुलाई 2023 में नेट फ़्लो पर क़रीब से नज़र डालने से दिलचस्प रुझान पता चलता है. स्मॉल-कैप फ़ंड्स ने ₹4,000 करोड़ से ज़्यादा का नेट फ़्लो आकर्षित किया, जबकि फ़्लेक्सी-कैप कैटेगरी में ₹932 करोड़ का नेगेटिव फ़्लो देखा गया, जिसका झुकाव खास तौर से लार्ज-कैप निवेश की ओर रहता है.

इसके अलावा, स्मॉल-कैप फंड, मिड-कैप फ़ंड और सेक्टर-ओरिएंटेड फ़ंड कैटेगरी के बारे में सोचें. पोर्टफ़ोलियो का क़रीब 50 फ़ीसदी इन फ़ंड्स में एलोकेट करना ठीक नहीं, यहां तक कि सबसे एग्रेसिव इन्वेस्टर्स के लिए भी. लेकिन ऐसा ही हो रहा है. इन कैटेगरी में ग्रॉस फ़्लो, कुल इक्विटी का 82 फ़ीसदी है. इक्विटी में ईयर-टू-डेट (YTD) नेट फ़्लो की समीक्षा करते वक़्त भी, ये कैटेगरी का कुल 86 फ़ीसदी हिस्सा हैं. इस प्वाइंट पर, किसी को ये सवाल करना चाहिए कि क्या बाज़ार तर्क के आधार पर व्यवहार कर रहा है.

लेकिन इससे एक और सवाल उठता है: निवेशक लार्ज-कैप कंपनियों के मुक़ाबले में स्मॉल और माइक्रो-कैप शेयरों को लेकर ज़्यादा आश्वस्त क्यों हैं?

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सीधे शब्दों में कहें तो इन कैटेगरी ने पिछले साल असाधारण रिटर्न दिया है. निफ़्टी 50 का एक साल का रिटर्न 10.8 फ़ीसदी है, जबकि निफ़्टी मिड-कैप और स्मॉल-कैप इंडेक्स में क्रमशः 26.5 और 29.6 फ़ीसदी का रिटर्न मिला है. ऐसी असमानताएं स्वाभाविक तौर पर निवेशकों को उनकी ओर लुभाती हैं.

सतर्क होना
अगर आप बाज़ार के बारे में 3 साल का नज़रिया रखने वाले इंसान के बजाय लॉन्ग-टर्म इनवेस्टर हैं, तो आपको सावधानी बरतनी चाहिए और दौड़ में फंसने से बचना चाहिए. अपने तय किए गए एसेट एलोकेशन पर क़ायम रहें और आंख बंद करके भीड़ का पीछा करने से बचें. जैसा कि वॉरेन बफे़ की मशहूर सलाह है, "जब दूसरे डरे हुए हों तो लालची हो जाओ, और जब दूसरे लालची हों तो डर जाओ."

श्यामली 20 साल से ज़्यादा समय से एसेट मैनेजमेंट की दुनिया में काम कर रही हैं, अनुभवी सुपर अमीर से लेकर शुरुआती निवेशकों तक हर तरह के लोगों के साथ काम कर रही हैं. उनमें निवेश के मानवीय पहलू को समझने और निवेशकों के साथ सहानुभूति रखने की क्षमता है, जो उनके लेखन में झलकता है. उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है.


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