Anand Kumar
New company + IPO + new business.
ऊपर लिखे तीनों टॉपिक पर अब तक मैंने जो भी लिखा है, उसके आधार पर तो हमें इस बार वैल्थ इनसाइट मैगज़ीन की नवंबर 2023 की ये कवर स्टोरी नहीं करनी चाहिए. IPO में निवेश एक मुश्किल काम है, छोटी कंपनियां इससे ज़्यादा मुश्किल होती हैं, और ऐसी कंपनियां जो नए बिज़नस ईजाद करती हैं (ख़ासतौर पर डिजिटल कंपनियां), वो तो और भी ज़्यादा मुश्किल होती हैं. यही बात उन कंपनियों पर भी सच बैठती है, जो इस बार मैगज़ीन के अंक में हम लाए हैं. इनमें से कई तो बहुत अच्छे बिज़नस भी नहीं कहे जाएंगे; कुछ संघर्ष कर रहे हैं, कुछ ने कभी कोई मुनाफ़ा नहीं कमाया है, और कुछ शायद कभी कमा भी न पाएं. यही वजह रही कि मैं इनमें से कुछ को लेकर काफ़ी आलोचनात्मक रहा हूं.
हालांकि, इस कवर स्टोरी के लिए, असल में ये बात मायने नहीं रखती. एक निवेशक के तौर पर, हमारा पहला काम होता है बिज़नस के ट्रेंड और बिज़नस की जानकारियों को समझने का. उसके बाद ही अनालेसिस और सलेक्शन का काम शुरू होता है, और फिर आख़िर में, हम निवेश की स्टेज पर पहुंचते हैं. एक सफल बिज़नस की पहचान के लिए, हमें दर्जनों ऐसे बिज़नस देखने की ज़रूरत हो सकती है जो सफल नहीं हों, पर उनमें कोई और ख़ूबी हो जो उन्हें एक हद तक अनालेसिस के लायक़ बनाती हो. असल में, बिज़नस की दुनिया काफ़ी बड़ी और विविधताओं से भरी है. इसमें इनोवेशन, एक्सपेरिमेंट, और सपनों से भरी तमाम नई-नई चीज़ें होती रहती हैं. कुछ सपने सच होते हैं, वहीं कुछ दूसरे गुमनामी के अंधेरे में गुम हो जाते हैं. मगर चाहे सफल हो या नहीं, हर वेंचर एक कहानी ज़रूर कहता है. और ये ऐसी कहानियां हैं जिन्हें हमें, एक निवेशक, एनेलिस्ट, या फिर एक आम ऑबज़र्वर के तौर पर भी सुनने के लिए उत्सुक होना चाहिए. क्योंकि इनमें सबक़, पैटर्न, और शायद छुपे हुए अवसर भी होते हैं.
एक प्वाइंट पर, मैं ख़ुद से पूछता हूं, "ऐसे बिज़नस पर फ़ोकस क्यों किया जाए जो उस स्तर के नहीं हैं?" इसका जवाब है कि इसे समझने से हमें मार्केट का झुकाव पता करने में मदद मिलती है. हर बिज़नस साफ़-साफ़ दिखाता है कि ख़तरे और ग़लतियां क्या हो सकती हैं जिनसे दूसरों को बचना चाहिए. इसके उलट, जो लोग इसके बावजूद ख़तरा मोल लेते हैं, वो चाहे इस समय मुनाफ़े में नहीं हों (या शायद कभी नहीं हों!), पर अक्सर कुछ ऐसा नया कर देते हैं या एक नया परिप्रेक्ष्य दे देते हैं, जो इंडस्ट्री में बड़े बदलाव का कारण बन सकता है. उससे भी बड़ी बात है कि इस डिजिटल दौर में, सफलता की परिभाषा बार-बार लिखी जा रही है.
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उदाहरण के लिए, एक बिज़नस के तौर पर, फ़्लिपकार्ट पूरा फ़ेलियर था. हालांकि, इसके निवेशकों और प्रमोटरों के लिए ये एक सफल एग्ज़िट रही, और अब ये वॉलमार्ट की समस्या बन गया है. मुझे लगता है कि ये एक सफलता है, फिर चाहे असल में इतने साल तक कंपनी चलाने वाले लोग इस बेसिक बिज़नस में नाक़ाम साबित हुए. कई दूसरे न्यू-एज (new-age) डिजिटल फ़ाउंडर, यहां तक कि कुछ सबसे प्रसिद्ध नाम भी ऐसी ही नावों के सवार हैं.
फिर भी, इनमें गहराई से गोता लगाने से, इन क्षेत्रों में उभरते हुए कंज़्यूमर बिहेवियर, उभरती हुई टेक्नोलॉजी के ट्रेंड और सामाजिक मानदंडों में बदलाव के बारे में जानकारियां और समझ मिल सकती है. और कभी-कभी तो चुनौतियों, असफलताओं और दृढ़ता से भरी इन कहानियों के भीतर, हमें कोई अगला बड़ा मोती मिल जाता है.
तो, जैसे-जैसे हम इन नई कंपनियों की दुनिया, IPOs और इनोवेटिव बिज़नस को एक्सप्लोर करने के सफ़र पर आगे बढ़ते हैं, तब ये याद रखना चाहिए कि इस सफ़र की कहानी सिर्फ़ सफलता तक ही सीमित नहीं है. ये एक यात्रा की कहानी है, सीख देने वाले सबक़, और भविष्य की संभावनाओं कहानी है. ये हमारे क्षितिज को फैलाव देने और समझने की बात है कि अक्सर, जो कहानियां लीक से हट कर होती हैं वो बड़ी क़ीमती सीख और नज़रिया दे जाती हैं.
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हमने ये कवर स्टोरी इसलिए नहीं की है कि ये तय करें कि कौन ठीक कर रहा है और कौन गड़बड़. इसके बजाए ये बिज़नस की दुनिया की बड़ी तस्वीर को समझने की कोशिश है. चाहे वो आसमान छू रहे हों या संघर्ष कर रहे हों, हर बिज़नस किसी न किसी के सपने, मेहनत के पसीने और हिम्मत की उपज होता है. यानी, ये हमेशा आकंड़ों के खेल की बात नहीं होती. ये उन लोगों के साहस को पहचानने की बात भी होती है, जिन्होंने बिज़नस शुरू करने की हिम्मत दिखाई. जैसे-जैसे हम कहानी में आगे बढ़ेंगे, आप इसमें सिर्फ़ सफलता और असफलता को ही मत देखिएगा. आइए बिज़नस की इस अव्यवस्थित, अप्रत्याशित और ग़ज़ब की आकर्षक दुनिया को सराहें. उस दुनिया को जिससे शानदार निवेश भी निकलते हैं और ऐसे भी जो उतने अच्छे नहीं होते.
क्रिकेट की भाषा में कहूं, तो बिज़नस हमेशा एक परसेंटेज शॉट होता है. कुछ सीधे फ़ील्डर के हाथ में समा जाते हैं, वहीं कुछ दूसरे रस्सी को पार कर जाते हैं.