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Arbitrage Funds: बढ़िया मुनाफ़े वाले लिक्विड फ़ंड?

आइये जानें कि आर्बिट्राज फ़ंड्स में निवेश करना आपके लिए सही है या नहीं

Arbitrage Funds: बढ़िया मुनाफ़े वाले लिक्विड फ़ंड?

पिछले वित्त-वर्ष में आर्बिट्राज फ़ंड्स को काफ़ी बड़ा झटका लगा था. ये बड़ा झटका ठीक वैसा ही था जैसा आमिर खान की "ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान" फ़िल्म को बॉक्स ऑफ़िस पर लगा था. पिछले वित्त-वर्ष में आर्बिट्राज फ़ंड्स में ₹35,000 करोड़ से ज़्यादा का नेट आउटफ़्लो देखा, जो इनके एसेट्स का क़रीब एक तिहाई था.

लेकिन अगले ही वित्त-वर्ष में इनके प्रदर्शन में बड़ा बदलाव देखा गया.

और अगर मौजूदा समय की बात करें, तो पिछले सात महीनों (अप्रैल 2023 से अक्टूबर 2023) में इन फ़ंड्स में क़रीब ₹49,000 करोड़ का नेट इनफ़्लो रहा, और ये सुपरहिट साबित हुए हैं.

लेकिन सवाल उठता है कि इतने बड़े बदलाव के क्या कारण रहे?

टैक्सेशन
इसका मुख्य कारण डेट फंड्स पर इंडेक्सेशन के फ़ायदे का कम होना था. दरअसल, मुद्रास्फ़ीति या महंगाई को ध्यान में रखते हुए इंडेक्सेशन ने कैपिटल गेन टैक्स को कम कर दिया.

इंडेक्सेशन के इस प्रभाव को समझने के लिए नीचे एक उदाहरण दिया गया है:

मान लीजिए, आपने अप्रैल 2017 में ₹2 लाख का निवेश किया. और 2023 में ये पैसा बढ़कर ₹3 लाख हो गया.

इंडेक्सेशन के बिना, ₹1 लाख के इस फ़ायदे को आपकी इनकम में जोड़ा जाएगा और उसी हिसाब से इस पर टैक्स लगाया जाएगा. यदि आप 30 फ़ीसदी के टैक्स ब्रैकेट में आते हैं तो आपको ₹30,000 टैक्स देना होगा.

लेकिन इंडेक्सेशन के साथ, आपके निवेश को महंगाई के हिसाब से एडजस्ट किया जाएगा और फिर 20 फ़ीसदी टैक्स लगाया जाएगा, जो ₹8,824 बनेगा.

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आर्बिट्राज फ़ंड्स को इक्विटी-ओरिएंटेड फंड्स की तरह ही माना जाता है, जिस कारण इन पर बेहतर टैक्स संबंधी फ़ायदे मिलते हैं. इन फंड्स पर, आपको छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर 15 फ़ीसदी टैक्स और लंबी अवधि के गेन पर 10 फ़ीसदी टैक्स देना पड़ता है, वो भी केवल तब जब एक वित्त-वर्ष में इस कैपिटल गेन की वैल्यू ₹1 लाख से ऊपर चली जाए.

टैक्स एफ़िशिएंट होने के साथ-साथ, आर्बिट्राज फ़ंड्स रिस्क-फ़्री भी हो सकते हैं. आइये समझें क्यों और कैसे.

आर्बिट्राज फ़ंड कमाई कैसे करते हैं
जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है, ये फ़ंड आर्बिट्राज अवसरों (एक ही एसेट की एक ही वक़्त में अलग-अलग मार्केट्स में ख़रीद और बिक्री) में निवेश करते हैं. उदाहरण के लिए, यदि किसी कंपनी के शेयर NSE पर ₹100 और BSE पर ₹105 पर कारोबार कर रहे हैं, तो आर्बिट्राज फ़ंड NSE पर स्टॉक ख़रीदता है और BSE पर ₹5 के फ़ायदे में बेच देता है.

इसी तरह, ये फ़ंड कैश (नक़दी) और डेरिवेटिव मार्केट्स में क़ीमतों के बीच अंतर का भी फ़ायदा उठाते हैं. मान लीजिए कि किसी कंपनी के शेयर की क़ीमत नक़दी बाज़ार में ₹104 है, और इसका फ़्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट ₹115 पर क़ारोबार कर रहा है; तो आर्बिट्राज फ़ंड शेयर को ख़रीदेगा और फ़्यूचर्स को बेचेगा.

चूंकि आर्बिट्राज फ़ंड रेगुलर इक्विटी फ़ंड की तुलना में कम उतार-चढ़ाव भरे होते हैं, इसलिए बहुत से निवेशक अपने इमरजेंसी फ़ंड को लिक्विड फ़ंड के बजाय आर्बिट्राज फ़ंड में निवेश करना पसंद करते हैं.

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आर्बिट्राज फ़ंड बनाम लिक्विड फ़ंड
अगर आप वैल्यू रिसर्च (Value Research) के नियमित पाठक हैं, तो जानते होंगे कि हम आपको अपने इमरजेंसी फ़ंड को लिक्विड फ़ंड में निवेश करने की अक्सर सलाह देते हैं.

लेकिन ये बात भी सच है कि आर्बिट्राज फ़ंड्स ने बेहतर पोस्ट-टैक्स रिटर्न दिए हैं.

यदि आप इन दोनों फंड्स के एक साल के प्री-टैक्स रिटर्न पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि ये काफ़ी हद तक एक जैसे हैं. लेकिन पोस्ट-टैक्स रिटर्न की बात करें तो आर्बिट्राज फ़ंड्स का प्रदर्शन ज़्यादा बेहतर रहा है (नीचे ग्राफ़ देखें).

भले ही आर्बिट्राज फंड्स का प्रदर्शन बेहतर रहा है लेकिन रिस्क-प्रोफ़ाइल की बात करें तो, आर्बिट्राज फंड्स की तुलना में लिक्विड फ़ंड ज़्यादा सुरक्षित और कम अस्थिर होते हैं.

चूंकि बहुत से लोग अपने ख़ाली पड़े पैसे को निवेश करने के लिए लिक्विड फ़ंड के बजाय आर्बिट्राज फ़ंड्स की तरफ भी रुख करते हैं, तो आइए अलग-अलग छोटी अवधि में इनके ख़राब प्रदर्शन पर भी नज़र डालते हैं.

सबसे ख़राब प्रदर्शन

अलग-अलग छोटी अवधि में सबसे ख़राब रिटर्न (%)

1-महीना 3-महीने 6-महीने 12-महीने
आर्बिट्राज फ़ंड -0.22 0.12 1.35 3.09
लिक्विड फ़ंड 0.2 0.76 1.57 3.24
नोट: 2013 से कैटेगरी औसत के 1, 3, 6 और 12 महीने के रोलिंग रिटर्न (प्री-टैक्स) पर आधारित.

हमारा नज़रिया
इतने अस्थिर स्वभाव के बावज़ूद भी क्या इनमें निवेश करना सही फ़ैसला है?

आपका फ़ैसला इन तीन बातों पर निर्भर करता है:

  • आपके पास कितना पैसा अतिरिक्त पड़ा हुआ है
  • आप किस टैक्स ब्रैकेट में आते हैं
  • आपकी जोख़िम लेने की सीमा (रिस्क प्रोफ़ाइल)

अगर आप नीचे दी गई टेबल को देखें, तो पाएंगे कि आर्बिट्राज फ़ंड आपको लिक्विड फ़ंड की तुलना में 0.6 से 1.5 फ़ीसदी ज़्यादा कमाई का मौक़ा देते हैं. लेकिन ये मौक़ा आपको तभी मिलेगा जब (a) आपके पास बड़ी मात्रा में ख़ाली पैसा पड़ा हो, (b) आप 30 फ़ीसदी के टैक्स ब्रैकेट में आते हों और (c) छोटी अवधि की अस्थिरता को सहन कर सकते हों.

आर्बिट्राज फ़ंड में कब निवेश करना चाहिए

ये फ़ंड उन्हें सूट करते हैं जिनके पास बड़ी मात्रा में ख़ाली पैसा पड़ा है और जो 30 फ़ीसदी के टैक्स ब्रैकेट में आते हैं

निवेश राशि (₹) लिक्विड फ़ंड की तुलना में ज़्यादा पोस्ट-टैक्स रिटर्न (छोटी अवधि) (₹) लिक्विड फ़ंड की तुलना में ज़्यादा पोस्ट-टैक्स रिटर्न (लंबी अवधि) (₹)
10 लाख 6102 15615
25 लाख 15255 33182
50 लाख 30510 56364
75 लाख 45765 79546
1 करोड़ 61020 102728
2 करोड़ 122040 195457
नोट: संबंधित कैटेगरी के 1 साल के रोलिंग रिटर्न एवरेज को दिखाया गया है. लंबे समय के फ़ायदे को लेकर, हमने माना है कि ₹1 लाख की लिमिट के अलावा दूसरा कोई गेन नहीं है जिसे एडजस्ट करने की ज़रूरत हो.

अगर ये कंडीशन आपको सूट नहीं करती हैं, तो फिर आपको अपना पैसा लिक्विड फ़ंड में निवेश करना चाहिए.

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